राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) और नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को लेकर असम में चल रहे विरोध-प्रदर्शन के बीच सरकार मूल मुस्लिम आबादी की पहचान करने के लिए एक सर्वेक्षण कराने की योजना बना रही है। राज्य सरकार मूल मुस्लिम आबादी की पहचान करने और उन्हें बांग्लादेश से आए अवैध प्रवासियों से अलग करने की कवायद के तहत एक सर्वेक्षण कराने की योजना बना रही है। योजना के तहत यह सर्वेक्षण चार समुदाय के लोगों की पहचान करने के लिए है।
यह चार सुमदाय हैं- गोरिया, मोरिया, देसी और जोलाह। इन्हें राज्य का मूल निवासी माना जाता है। असम के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री रंजीत दत्ता ने चार समुदायों के विभिन्न संगठनों तथा अन्य पक्षकारों की मंगलवार (फरवरी 11, 2020) को एक बैठक बुलाई है। जिसमें इस योजना के अंतिम रूप दिया जाएगा।
असम अल्पसंख्यक विकास बोर्ड के अध्यक्ष मूमिनुल ओवाल ने कहा, “स्वदेशी मुस्लिम और बांग्लादेशी मुस्लमों के नाम एक जैसे हैं। जनकल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन के वक्त सरकार को उनकी पहचान में खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। दरअसल, हमारी सरकार स्वदेशी मुस्लिमों के विकास के लिए प्रतिबद्ध है, ऐसे में उनकी अलग पहचान होनी चाहिए।”
मूमिनुल ओवाल ने बताया कि असम में कुल 1.3 करोड़ मुस्लिम आबादी है जिनमें से करीब 90 लाख बांग्लादेशी मूल के हैं। शेष 40 लाख विभिन्न जनजातियों से हैं और उनकी पहचान करना जरूरी है। उन्होंने कहा, “बिना सही पहचान के मूल मुस्लिम आबादी को सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है। NRC में बांग्लादेशी मूल के लाखों लोग शामिल हैं, इसलिए हम इस पर भरोसा नहीं कर सकते। अगर हमने अब कुछ नहीं किया तो एक दिन असम से सभी मूल जनजातियाँ सामाप्त हो जाएँगी।”
ओवाल ने कहा कि जनगणना की तैयारी आखिरी चरण में है और उम्मीद है कि यह पूरी प्रक्रिया इस वित्तीय वर्ष में शुरू हो जाएगी। राज्य अल्पसंख्यक विकास विभाग समेत स्वदेशी मुस्लिम समुदायों से ताल्लुक रखने वाले लोगों की एक बैठक 11 फरवरी को बुलाई गई है। इसमें जनगणना के लिए आगे की योजना पर चर्चा की जाएगी।