आंध्र प्रदेश में हाल ही में जगन मोहन रेड्डी सरकार ने कमान संभाली है। सत्ता पर क़ाबिज़ होने के लिए उन्होंने कई चुनावी वादे किए थे। तमाम वादों में एक वादा रोज़गार में आरक्षण देना भी शामिल था, जिसे उन्होंने सोमवार (22 जुलाई 2019) को आंध्र विधानसभा में उद्योग/कारखाने अधिनियम, 2019 को पारित करके पूरा कर दिया। दरअसल, इस अधिनियम के तहत आंध्र प्रदेश सरकार अब स्थानीय अभ्यर्थियों को औद्योगिक नौकरियों में 75% आरक्षण देने जा रही है।
आंध्र प्रदेश सभी निजी औद्योगिक इकाइयों और कारखानों में स्थानीय लोगों के लिए नौकरियों को आरक्षित करने वाला देश का पहला राज्य बन गया है, फिर भले ही इन कंपनियों को सरकार से वित्तीय या अन्य मदद मिले या न मिले।
हालाँकि, कई अन्य राज्य भी स्थानीय अभ्यर्थियों के लिए निजी नौकरियों में आरक्षण की बात करते रहते हैं, लेकिन अभी तक इसे लागू करने वाले राज्यों में केवल आंध्र प्रदेश ही एक ऐसा राज्य है जिसने यह किया। मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार की ओर से 9 जुलाई को कहा गया था कि सरकार एक कानून लाएगी, जिसके माध्यम से स्थानीय अभ्यर्थियों के लिए प्राइवेट क्षेत्र की 70% नौकरियों को आरक्षित किया जाएगा।
दिसंबर 2018 में, सत्ता में आने के तुरंत बाद, मुख्यमंत्री कमलनाथ ने एक औद्योगिक नीति की घोषणा की थी, जिसमें सरकार से आर्थिक और अन्य सहायता हासिल करने के लिए कंपनियों को 70% स्थानीय अभ्यर्थियों को नौकरी देना अनिवार्य कर दिया गया। ऐसा ही कुछ कर्नाटक, गुजरात और महाराष्ट्र में भी देखने को मिला।
आंध्र प्रदेश के नए कानून में कहा गया है कि यदि आवश्यक कौशल वाले स्थानीय अभ्यर्थी उपलब्ध न हों पाएँ, तो कंपनियों को राज्य सरकार के साथ मिलकर उन्हें प्रशिक्षित करना होगा और फिर उन्हें काम पर रखना होगा। विशेषज्ञों का कहना है कि इसके साथ ही कंपनियाँ कुशल श्रम न मिलने के बहाने छिप नहीं पाएँगी।
ख़बर के अनुसार, कंपनियों को अधिनियम के शुरू होने के तीन साल के भीतर इन प्रावधानों का पालन करना होगा और एक नोडल एजेंसी को स्थानीय नियुक्तियों के बारे में त्रैमासिक रिपोर्ट प्रदान करनी होगी।
तिरुपति स्थित अमारा राजा औद्योगिक समूह के अध्यक्ष और सीईओ व सीआईआई-एपी के चेयरमैन, विजय नायडू गल्ला ने इस अधिनियम को अच्छा और बुरा दोनों बताया। अच्छा इसलिए बताया क्योंकि इससे राज्य में स्थानीय भर्ती को बढ़ावा देने की सरकार की नीति स्पष्ट होती है। बुरा इसलिए बताया कि विनिर्माण और आईटी कंपनियों में अब सरकार को स्थानीय लोगों को प्रशिक्षित करने के लिए राज्य में अपने कौशल विकास केंद्रों को किराए पर लेने के लिए तैयार रहना होगा।