2015 के दिल्ली विधानसभा चुनावों से पहले, आम आदमी पार्टी ये वादा कर के सत्ता में आई थी कि अगर वो सत्ता में आती है, तो दिल्ली में 15 लाख CCTV कैमरे लगाएगी। लेकिन 15 लाख CCTV कैमरा लगाने की बात कहकर सत्ता में आई अरविन्द केजरीवाल सरकार इन CCTV कैमरा के इन्स्टाइलेशन के प्रति कितनी तत्पर है, इसकी जानकारी RTI कार्यकर्ता विवेक पांडेय को मिले जवाब बता रहे हैं।
दिल्ली की अरविन्द केजरीवाल सरकार द्वारा CCTV कैमरा लगाने पर किए गए व्यय और कार्य की प्रगति के सम्बन्ध में एक RTI में खुलासा हुआ है कि अपने वादों की तुलना में केजरीवाल सरकार अभी धरातल पर आधा भी लक्ष्य पूरा कर पाने में नाकामयाब रही है। यही नहीं, CCTV कैमरा लगाने के लिए उन्हें जो फंड मिला, वो अब तक उसका इस्तेमाल कर पाने में भी असमर्थ रहे हैं।
रीवा, मध्य प्रदेश के RTI कार्यकर्ता विवेक पांडेय ने दिल्ली सरकार से सूचना के अधिकार (RTI) के तहत CCTV कैमरा के सम्बन्ध में कुछ सवाल किए थे। नवंबर 05, 2020 को दायर की गई इस RTI में विवेक ने कुल 6 सवालों की जानकारी माँगी।
2015 से लेकर 2020 तक CCTV पर व्यय
इनमें सबसे पहले सवाल में वर्ष 2015 से लेकर 2020 तक दिल्ली सरकार द्वारा पूरी दिल्ली में CCTV कैमरा लगाने के लिए जारी किए गए धन की जानकारी माँगी गई थी। इसके जवाब में बताया गया है कि 571.40 करोड़ रूपए का फंड सम्बंधित विभाग द्वारा CCTV लगाने के पहले चरण के लिए प्राप्त कर लिए गए, जो कि 5 साल तक बिजली कैमरा लगाने और इसमें खर्च होने वाली बिजली के भुगतान में इस्तेमाल किया जाना है। इसके अलावा, 613.53 करोड़ रूपए का फंड फेज-2 के लिए सम्बंधित विभाग द्वारा जारी किया गया है।
RTI कार्यकर्ता ने अपने दूसरे सवाल में 2015 से लेकर 2020 तक CCTV कैमरा लगाने में खर्च किए गए धन की जानकारी माँगी है। इसके जवाब में विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, CCTV कैमरा लगाने में अब तक (जनवरी 28, 2021) मात्र 264.37 करोड़ ही खर्च हो सके हैं।
RTI कार्यकर्ता विवेक पांडेय के तीसरे प्रश्न के जवाब में बताया गया है कि 2015 से 2020 तक लगभग 1 लाख 32 हजार CCTV कैमरा ही लगाए जा सके हैं। जबकि अरविन्द केजरीवाल सरकार ने 2015 में 15 लाख CCTV कैमरा लगाने की बात को अपना चुनावी अजेंडा बनाया था।
सिर्फ 7000 वाइ-फाइ हॉटस्पॉट
इसी RTI से प्राप्त जानकारी के मुताबिक, दिल्ली में केजरीवाल सरकार वर्ष 2015 से लेकर 2020 के बीच लगाए गए मुफ्त वाइ-फ़ाइ हॉटस्पॉट की संख्या 7000 है। और इसमें दिल्ली सरकार ने 99.50 करोड़ रूपए खर्च किए हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने विधानसभा चुनाव से ठीक पहले, दिसंबर, 2019 में फिर घोषणा की थी कि पहले फेज में दिल्ली में कुल 11 हजार वाइ-फाइ हॉट स्पॉट लगाए जाएँगे।
उल्लेखनीय है कि सार्वजनिक स्थानों पर मुफ्त वाइ-फाइ 2015 में आम आदमी पार्टी के चुनावी वादों में से एक था। पार्टी 70 में से 67 सीटों के साथ सत्ता में आई थी, लेकिन इन वादों की वास्तविकता RTI में मिले जवाब बयाँ कर रहे हैं। RTI में केजरीवाल सरकार ने बताया है कि 2015 से लेकर 2020 तक इन वाइ-फ़ाइ के इन्स्टाइलेशन में वो अब तक 99.50 करोड़ रूपए में से मात्र 28.70 करोड़ रूपए ही खर्च कर पाए हैं।
हालाँकि, पिछले वर्ष सम्पन्न हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले, अरविंद केजरीवाल सीसीटीवी कैमरों और फ्री वाइ-फाइ में देरी के लिए उपराज्यपाल और केंद्र सरकार को दोषी ठहराते रहे। केजरीवाल से कई बार यह सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा था कि उपराज्यपाल ने सीसीटीवी और मुफ्त वाइ-फाइ की फाइलों को अपनी स्वीकृति देने में काफी समय लगाया। जबकि RTI में यह स्पष्ट है कि दिल्ली सरकार के पार इसके लिए भरपूर फंड मौजूद है और वो इसे खर्च तक नहीं कर पा रही।
इससे पहले एक अन्य RTI में यह भी खुलासा हुआ था कि कोरोना वायरस से लड़ने के नाम पर दिल्ली सरकार के एलजी/सीएम रिलीफ फंड में 3469.99 लाख (34 करोड़ 69 लाख 99 हजार) रुपए आए। इसमें से दिल्ली सरकार ने मात्र 1702.44 लाख (17 करोड़ 2 लाख 44 हजार) रुपए ही खर्च किए। आश्चर्यजनक तौर पर कोरोना संक्रमण को रोकने पर इसमें से एक भी पैसा खर्च नहीं किया गया।
RTI एक्टिविस्ट विवेक द्वारा ही दायर की गई एक और RTI से खुलासा हुआ था कि दिल्ली सरकार ने 2012-13 से अब तक विज्ञापनों पर 659.02 करोड़ रुपए खर्च कर चुकी है। इसका 77% वर्ष 2015 से केजरीवाल के कार्यकाल के दौरान खर्च किया गया।