पंजाब में किसानों के साथ मिलने गए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को बैठक बीच में छोड़ कर निकलना पड़ा। अनुच्छेद 370 निरस्त किए जाने के समर्थन पर किसानों ने उन्हें घेरा। ‘आम आदमी पार्टी (AAP)’ सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल फ़िलहाल गोवा के दौरे पर हैं। इससे पहले वो पंजाब गए थे। दोनों ही राज्यों में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं और AAP वहाँ पाँव पसारने की जुगत कर रही है। दोनों ही राज्यों में भाजपा और कॉन्ग्रेस से उसकी टक्कर है।
पंजाब में अरविंद केजरीवाल ने किसानों के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ बैठक की, लेकिन इस बैठक में जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद-370 के प्रावधानों को निरस्त किए जाने के भाजपा सरकार के फैसले का मुद्दा उठा। किसान नेताओं ने अरविंद केजरीवाल से पूछा कि उन्होंने आउछेद-370 को निरस्त किए जाने के मोदी सरकार के फैसले का समर्थन क्यों किया था? दिल्ली के मुख्यमंत्री ने इसे ‘राजनीतिक सवाल’ करार दिया और कहा कि इन सवालों पर वो बाहर जवाब देंगे।
अरविंद केजरीवाल ने बैठक में कहा, “दिल्ली की सारी शक्तियाँ तो इन्होंने पहले से ही छीन रखी है। मैं किसी राज्य के अधिकार छीनने का समर्थन क्यों करूँगा? मैं रोज लड़ रहा हूँ दिल्ली के लिए और हमने सुप्रीम कोर्ट में केस कर रखा है। किसानों के सम्बन्ध में आपके पास प्रश्न हैं तो पूछ सकते हैं, राजनीतिक प्रश्नों का जवाब बाहर दूँगा। अगर मैं किसानों के हक़ में नहीं हूँ तो देश का कोई नेता नहीं है। बड़ी से बड़ी क़ुरबानी देने के लिए तैयार हूँ। हमारी सरकार ने 7 वर्षों में दिल्ली के लिए जितना किया है, मुझे नहीं लगता किसी अन्य सरकार ने किया होगा।”
Delhi CM @ArvindKejriwal was grilled by farmers in Punjab on issue of article 370.
— Sandeep Singh (@PunYaab) October 29, 2021
A farmer asked him that why he supported revocation of article 370. Then he added that even new farm laws were brought by violating rights of states. pic.twitter.com/qQrN8XGD3E
इस दौरान सांसद भगवंत मान भी उनके साथ मौजूद थे। केजरीवाल अपनी व्यस्तता का हवाला देकर बैठक से निकल गए, जिसके बाद भगवंत मान किसान नेताओं का माँ-मनव्वल करते नजर आए। ‘पंजाब किसान यूनियन’ के जिला उपाध्यक्ष गुरजंत सिंह मनसा ने केजरीवाल से ये सवाल पूछा था। केजरीवाल ने पूछा कि ये किसानों का मसला कैसे हैं? इस पर किसान नेताओं ने कहा कि ये किसानों और राज्यों के अधिकार का मसला है, इसे लागू करने वाले वही लोग हैं जो तीनों कृषि कानून लेकर आए।