असम विधानसभा में असम मुस्लिम मैरिज एंड डायवोर्स रजिस्ट्रेशन एक्ट, 1935 को राज्य सरकार खत्म कर चुकी है। इसके विरोध में असम विधानसभा में सोमवार (26 फरवरी 2024) को जमकर हंगामा हुआ। विपक्षी कॉन्ग्रेस और आल इंडिया यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) ने विधानसभा में वॉक आउट किया। इस दौरान मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने इन पार्टियों को जमकर निशाने पर लिया और ऐलान किया कि उनके रहते असम में अब छोटी मुस्लिम बच्चियों का विवाह नहीं होगा। हिमंता ने कहा कि वो 2026 तक इस दुकान को पूरी तरह से बंद करा देंगे।
असम विधानसभा में गरजते हुए हिमंता ने कहा, “असम में चाइल्ड मैरिज की इजाजत नहीं दी जाएगी। मेरी बात ध्यान से सुनो, जब तक मैं जीवित हूँ, मैं असम में बाल विवाह नहीं होने दूँगा। जब तक हिमंता बिस्वा सरमा जीवित है, ऐसा नहीं होगा। मैं आपको चुनौती देना चाहता हूँ राजनीतिक रूप से, मैं इस दुकान को 2026 से पहले बंद कर दूँगा।”
हिमंता बिस्वा सरमा ने विधानसभा की कार्यवाही का वीडियो एक्स पर शेयर किया और लिखा, “कॉन्ग्रेस के लोग सुन लें, जब तक मैं, हिमंत बिस्वा सरमा ज़िंदा हूँ, तब तक असम में छोटी बच्चियों का विवाह नहीं होने दूँगा। आप लोगों ने मुस्लिम समुदाय की बेटियों को बर्बाद करने की, जो दुकान खोली है, उन्हें पूरी तरह से बंद किए बिना हम चैन से नहीं बैठेंगे।”
कांग्रेस के लोग सुन लें, जब तक मैं, हिमंत बिस्वा सरमा ज़िंदा हूं, तब तक असम में छोटी बच्चियों का विवाह नहीं होने दूँगा। आप लोगों ने मुस्लिम समुदाय की बेटियों को बर्बाद करने की जो दुकान खोली है उन्हें पूरी तरह से बंद किए बिना हम चैन से नहीं बैठेंगे। pic.twitter.com/3yXLi4C23o
— Himanta Biswa Sarma (@himantabiswa) February 26, 2024
इससे पहले, सीएम हिमंता 23 फरवरी को ऐलान किया था कि असम में अब दशकों पुराना असम मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम निरस्त कर दिया गया है। उन्होंने एक्स (पहले ट्विटर) पर लिखा था, “23 फरवरी, 2024 को असम कैबिनेट ने दशकों पुराने असम मुस्लिम विवाह और तलाक पंजीकरण अधिनियम को निरस्त करने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। भले ही दूल्हा और दुल्हन की उम्र 18 और 21 ना हुई हो, जैसा कि कानूनन होना चाहिए, के विवाह का पंजीकरण भी इसके अंतर्गत हो रहा था। यह निर्णय असम में बाल विवाह पर रोक लगाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।”
On 23.22024, the Assam cabinet made a significant decision to repeal the age-old Assam Muslim Marriages & Divorces Registration Act. This act contained provisions allowing marriage registration even if the bride and groom had not reached the legal ages of 18 and 21, as required…
— Himanta Biswa Sarma (@himantabiswa) February 23, 2024
कॉन्ग्रेस और एआईयूडीएफ कर रहीं विरोध
असम सरकार के फैसले का मुस्लिम नेता विरोध कर रहे हैं। असम के ऑल इंडिया यूनाइटडेट डेमोक्रेटिक फ्रंट (AIUDF) के प्रमुख बदरुद्दीन अजमल ने कहा कि एक्ट को निरस्त करके मुस्लिमों को भड़काना चाहती है। मुस्लिम भड़केगा नहीं। इसके जरिए सरकार राज्य में यूनिफॉर्म सिविल कोड लाना चाहती है। अजमल ने कहा कि काजी लोग भिखारी नहीं हैं। वे सरकार से एक रुपया नहीं ले रहे हैं। उन्होंने चुनाव बाद विरोध करने की बात कही है।
कॉन्ग्रेस नेता अब्दुर राशिद मंडल ने सरकार के इस कदम को भेदभाव वाला बताया। उन्होंने कहा कि असम सरकार यूनिफॉर्म सिविल कोड लाने और बहु-विवाह को रोक पाने में विफल रही है। राशिद ने कहा कि सरकार कह रही है कि ये ब्रिटिश राज का कानून है और चाइल्ड मैरिज की बात कर रही है। ये सच नहीं है। उन्होंने कहा, “ये मुस्लिमों का निजी कानून है, इसे रद्द नहीं किया जा सकता।”
अंग्रेजों ने बनाया था कानून, नाबालिगों का भी हो रहा था निकाह
बता दें कि यह अधिनियम वर्ष 1935 में अंग्रेजों द्वारा लाया गया था। यह असम के मुस्लिमों के लिए विवाह पंजीकरण और तलाक के नियम बनाता था। इसके अंतर्गत कोई भी मुस्लिम व्यक्ति, जिसे सरकार अधिकृत कर दे, मुस्लिम निकाह को पंजीकृत कर सकता था। इसी के साथ वह तलाक का पंजीकरण भी कर सकता था। इसके लिए वह एक शुल्क भी ले सकता था।
इस अधिनियम के तहत एक इलाके में दो मुस्लिम रजिस्ट्रार नियुक्त किए जाने थे, जिनमें से एक सुन्नी और एक शिया होता। वहीं, असम सरकार का मानना है कि इस नियम का लाभ उठा कर ऐसे निकाह भी पंजीकृत हो रहे थे, जो कि कानूनी मान्यता पूरी नहीं करते। चूंकि इस अधिनियम में निकाह की न्यूनतम आयु का जिक्र नहीं था, ऐसे में 18 वर्ष से कम की बच्चियों का निकाह भी हो रहा था।