असम के स्वास्थ्य, वित्त, पीडब्ल्यूडी और शिक्षा मंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कॉन्ग्रेस विधायक शेरमन अली की माँग पर सख्त प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि गुवाहाटी में श्रीमंत शंकरदेव कलाक्षेत्र में कोई मिया संग्रहालय स्थापित नहीं किया जाएगा। वरिष्ठ मंत्री ने माँग को खारिज करते हुए कहा कि असम में चार क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की कोई अलग-अलग पहचान और संस्कृति नहीं है।
बता दें कि गुवाहाटी में स्थित श्रीमंत शंकरदेव कलाक्षेत्र एक सांस्कृतिक परिसर है, जिसमें असम के इतिहास और संस्कृति, पुस्तकालय, एक ओपन-एयर थियेटर, एक आर्टिस्ट विलेज, एक कला और सांस्कृतिक प्रदर्शनी और हेरिटेज पार्क आदि जैसी कई सुविधाएँ हैं।
हाल ही में कॉन्ग्रेस विधायक शेरमन अली अहमद ने माँग की थी कि असम सरकार को इस परिसर के अंदर एक मिया संग्रहालय स्थापित करना चाहिए। मिया शब्द का तात्पर्य राज्य में रहने वाले बांग्लादेशी प्रवासियों से है। वे बड़े पैमाने पर राज्य के चार क्षेत्रों में, ब्रह्मपुत्र नदी के सैंडबार्स और सहायक नदियों के पास रहते हैं।
दरअसल शेरमन अली अहमद ने कहा था,“मैंने असम के सैंडबार्स पर रहने वाले लोगों के लिए एक संग्रहालय प्रस्तावित किया है। संग्रहालय को कलाक्षेत्र में स्थापित किया जाना चाहिए। चूँकि इन क्षेत्रों की अधिकांश आबादी तथाकथित मिया समुदाय से है, इसलिए इसे मिया संग्रहालय का नाम दिया जाना चाहिए।”
बागबार के कॉन्ग्रेस विधायक ने कहा था कि असम के चार-चापोरिस (सैंडबार्स) में रहने वाले मिया लोगों की संस्कृति और विरासत को दर्शाते हुए एक संग्रहालय की स्थापना श्रीमंत शंकरदेव कलाक्षेत्र के परिसर में की जानी चाहिए। उन्होंने यह माँग राज्य सरकार के संग्रहालयों के निदेशक को भी लिखा था।
गौरतलब है कि कॉन्ग्रेस विधायक की इस माँग पर सत्तारूढ़ भाजपा और कई अन्य संगठनों ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए इसका विरोध किया। वहीं अहमद पर हमला बोलते हुए भाजपा नेता पाबित्रा मार्गेरिटा ने कहा, “राजीव भवन और AIUDF कार्यालय में मिया संग्रहालय स्थापित किया जाना चाहिए। हम कॉन्ग्रेस और एआईयूडीएफ को चेतावनी देते हैं कि वे श्रीमंत शंकरदेव से जुड़े कार्यों और स्थानों से दूर रहें।”
वहीं राज्य सरकार द्वारा माँग को अस्वीकार करने के बाद हिमंत बिस्वा सरमा ने रविवार को कहा, “असम सरकार स्पष्ट रूप से बताना चाहती है कि शंकरदेव कालक्षेत्र में कोई मिया संग्रहालय या कोई अन्य संग्रहालय स्थापित नहीं किया जाएगा। संग्रहालयों के प्रबंध विभाग किसी भी मिया संग्रहालय की स्थापना नहीं करेंगे।”
उन्होंने यह भी कहा कि पिछले साल सीएए के विरोध प्रदर्शन के बाद से कलाक्षेत्र एक निश्चित वर्ग के निशाने पर रहा है। उन्होंने याद दिलाया कि हिंसक विरोध के दौरान प्रदर्शनकारियों द्वारा परिसर के गेट को किस प्रकार नष्ट कर दिया गया था। मंत्री सरमा ने कहा,“अब वही लोग कलाक्षेत्र पर नजर गड़ाए हुए हैं। अन्य संस्कृति और सभ्यता को दर्शाने वाली किसी भी चीज का संग्रहालय में कोई सवाल ही नहीं है।”
उल्लेखनीय है कि इससे पहले मंत्री ने शनिवार को यह कहते हुए ट्वीट किया था कि असम के चार क्षेत्रों में कोई अलग पहचान और संस्कृति नहीं है।
In my understanding, there is no separate identity-and culture in Char Anchal of Assam as most of the people had migrated from Bangladesh. Obviously, in Srimanta Sankardeva Kalakhetra, which is the epitome of Assamese culture, we will not allow any distortion. Sorry MLA Sahab pic.twitter.com/6a2urvTRg4
— Himanta Biswa Sarma (@himantabiswa) October 24, 2020
उन्होंने अहमद द्वारा संग्रहालय के निदेशक को लिखे गए पत्र को पोस्ट करते हुए आगे लिखा था,”जाहिर है, असमिया संस्कृति का प्रतीक श्रीमंत शंकरदेव कालक्षेत्र में हम किसी भी विकृति की अनुमति नहीं देंगे। क्षमा करें विधायक साहब!”
गुवाहाटी के पंजाबी इलाके में स्थित श्रीमंत शंकरदेव कलाक्षेत्र 1985 में हस्ताक्षरित ऐतिहासिक असम समझौते का परिणाम है। यह समझौते के खंड 6 के अनुसार, असम के स्वदेशी लोगों की संस्कृति और विरासत को संरक्षित करने के लिए स्थापित किया गया था, जिसमें श्रीमंत शंकरदेव द्वारा प्रचारित स्तरीय संस्कृति भी शामिल थी।