वकीलों और पुलिस के बीच दिल्ली में पिछले चार दिनों से चल रहे संघर्ष में एक बड़ा फैसला देते हुए कोर्ट ने वकीलों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की अनुमति देने से इंकार कर दिया है। यह फैसला अदालत ने साकेत कोर्ट वाली घटना में दिया है, जिसके एक चर्चित वीडियो में कुछ वकील एक पुलिस वाले के साथ हाथापाई करते देखे जा सकते हैं। दिल्ली हाई कोर्ट ने 3 नवंबर के अपने आदेश के बारे में कोई स्पष्टीकरण देने से भी इंकार करते हुए उसे स्वतः स्पष्ट (सेल्फ एक्सप्लनेटोरी) बताया है।
इसके अलावा बार काउन्सिल ऑफ़ इंडिया ने बड़ा बयान दिया है। काउन्सिल ने दिल्ली पुलिस के हड़ताली कर्मचारियों को ‘बेकाबू भीड़’ बताते हुए उन पर ‘भद्दे’ नारे लगाने का आरोप लगाया और साथ ही पूरे मामले के राजनीति से प्रेरित होने का शक जताया। उन्होंने इसे आज़ाद भारत का सबसे काला दिन बताया है। काउन्सिल ने ‘दोषी’ पुलिस वालों के खिलाफ एक हफ्ते में गिरफ़्तारी और कार्रवाई न होने पर धरने पर बैठने की धमकी दी है।
Bar Council of India: We have seen media reports on yesterday’s unruly mob,protests and filthy slogans by Delhi Police. It was the darkest day in the history of independent India.Certainly it seemed like a politically managed move and it is very sad
— ANI (@ANI) November 6, 2019
Bar Council of India: Our demand is to arrest the guilty police officials within a period of 1 week, failing which we shall resort to peaceful ‘dharnas’ for the arrest of these people and for proper disciplinary action against them. The Bar stands united. https://t.co/cW5swALxHd
— ANI (@ANI) November 6, 2019
इसके अलावा खबर यह भी आ रही है कि एक सुप्रीम कोर्ट वकील ने दिल्ली के कमिश्नर अमूल्य पटनायक को क़ानूनी नोटिस भेजा है क्योंकि उन्होंने आईटीओ स्थित पुलिस हेडक्वार्टर के सामने प्रदर्शन कर रहे पुलिस वालों के खिलाफ कार्रवाई नहीं की।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली पुलिस जहाँ एक तरफ विरोध प्रदर्शन कर रही थी वहीं सत्तारूढ़ आम आदमी पार्टी ने इस मामले को लेकर बीजेपी पर हमला बोल दिया था। आम आदमी पार्टी ने कहा कि दिल्ली पुलिस ‘राजनीतिक इकाई’ में तब्दील हो गई है। यह बीजेपी की सशस्त्र शाखा की तरह काम कर रही है, जबकि इसका काम कानून-व्यवस्था बनाए रखने का है। वकीलों के समर्थन में आई आप ने दिल्ली पुलिस पर कई सवाल खड़े किए हैं।
BJP has emboldened Delhi Police so much that we are living in a Police State.
— Saurabh Bharadwaj (@Saurabh_MLAgk) November 5, 2019
The Police is least concerned about basic law & order issues in Delhi. Police officers are so arrogant.
Delhi Police has been converted into Political Entity and works like a Armed Wing of BJP. pic.twitter.com/jArD95vF7E
इसके अलावा आप के मुखिया अरविन्द केजरीवाल ने भी वकीलों का पक्ष लेते हुए पुलिस द्वारा की गई फायरिंग को बेवजह करार दिया था। उन्होंने यह बयान फायरिंग में घायल दो वकीलों को देखने अस्पताल पहुँचने पर दिया था।
पिछले हफ्ते के शनिवार (2 नवंबर, 2019 को) पार्किंग विवाद को लेकर दिल्ली के तीस हज़ारी कोर्ट के बाहर वकीलों और पुलिस के बीच हिंसा हुई थी। एक पुलिस कार और 20 अन्य वाहनों को आग लगा दी गई थी। 2 पुलिस वालों को दिल्ली हाई कोर्ट ने सस्पेंड कर दिया था और न्यायिक जाँच के आदेश दे दिए थे।
इस मामले के खिलाफ कल दिल्ली के हज़ारों पुलिस वाले वर्दी उतार कर सादे कपड़ों में विरोध प्रदर्शन और हड़ताल भी किया था। इसके अलावा कई वर्तमान और भूतपूर्व अफसरों ने भी इसके खिलाफ ट्विटर पर आवाज़ उठाई थी।