फेसबुक से जुड़े विवाद को लेकर बीजेपी और कॉन्ग्रेस में राजनीतिक घमासान जारी है। कॉन्ग्रेस सांसद और आईटी स्टैंडिंग कमेटी के अध्यक्ष शशि थरूर के खिलाफ कमेटी के सदस्य और बीजेपी सांसद राज्यवर्धन सिंह राठौड़ और निशिकांत दुबे ने लोकसभा स्पीकर को एक पत्र लिखा है।
भाजपा सांसद निशिकांत दूबे ने स्पीकर ओम बिड़ला को लिखे अपने पत्र में माँग की है कि शशि थरूर को आईटी मामलों की संसदीय समिति के अध्यक्ष पद से हटाया जाए।
We are not favouring any social media. I had said in the Parliament that social media platforms be regulated just like Print and Electronic media, as it propagates a lot of fake and biased news and it infringes on the privacy of people: BJP MP Nishikant Dubey https://t.co/sSJuIarhLz
— ANI (@ANI) August 20, 2020
गोड्डा से भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने कहा, “हमलोग किसी भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को फेवर नहीं कर रहे हैं। मैंने संसद में कहा था कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की तरह ही विनियमित किया जाना चाहिए। क्योंकि यह बहुत सारे फेक और पक्षपातपूर्ण खबरों का प्रसार करता है। जिससे लोगों की निजता का उल्लंघन होता है।”
वहीं राज्यवर्धन सिंह राठौड़ ने पत्र में कहा, “कमेटी के सदस्य किसी के समन करने के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन कमेटी के नियमों का शशि थरूर ने उल्लंघन किया। कमेटी सदस्यों से बिना चर्चा के नोटिस भेजा गया।” उन्होंने आगे कहा, कमेटी सदस्यों को बताए बिना मीडिया में मामले को लीक किया गया जो नियमों के खिलाफ है।
बता दें यह पूरा विवाद अमेरिकी अखबार ‘वाल स्ट्रीट जर्नल’ की ओर से शुक्रवार (14 अगस्त, 2020) को प्रकाशित रिपोर्ट के बाद आरंभ हुआ। इस मामले में सूचना प्रौद्योगिकी (IT) मामलों की संसदीय स्थाई समिति की अध्यक्षता करने वाले कॉन्ग्रेस नेता शशि थरूर और समिति के सदस्य निशिकांत दुबे ने एक-दूसरे के खिलाफ विशेषाधिकार के उल्लंघन का नोटिस भेजा है।
दरअसल, सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक पर आरोप लगा था कि फेसबुक के वरिष्ठ भारतीय नीति अधिकारी ने कथित तौर पर सांप्रदायिक आरोपों वाली पोस्ट डालने के मामले में तेलंगाना के एक बीजेपी विधायक पर स्थाई पाबंदी को रोकने संबंधी आंतरिक पत्र में हस्तक्षेप किया था। जिसपर थरूर ने एक ट्वीट कर कहा था कि आईटी मामलों की संसदीय समिति इस बारे में फेसबुक की सफाई सुनना चाहेगी। निशिकांत दूबे सहित समिति में शामिल एनडीए के कई सदस्यों ने इसका विरोध किया था।
उधर, फेसबुक ने अपने ऊपर लगे आरोपों पर कहा था कि उसके मंच पर ऐसे भाषणों और सामग्री पर अंकुश लगाया जाता है, जिनसे हिंसा फैलने की आशंका रहती है। इसके साथ ही कंपनी ने कहा कि उसकी ये नीतियाँ वैश्विक स्तर पर लागू की जाती हैं और इसमें यह नहीं देखा जाता कि यह किस राजनीतिक दल से संबंधित मामला है। फेसबुक ने इसके साथ ही यह स्वीकार किया कि वह घृणा फैलाने वाली सभी सामग्रियों पर अंकुश लगाती है, लेकिन इस दिशा में और बहुत कुछ करने की जरूरत है।