पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के नतीजे इसी साल 2 मई को आए थे। नतीजों में सत्ताधारी तृणमूल कॉन्ग्रेस (TMC) की जीत सुनिश्चित होते ही राज्य में राजनीतिक हिंसा भड़क उठी थी। विपक्षी दलों खासकर, बीजेपी से जुड़े लोगों और उनकी संपत्तियों को निशाना बनाया गया। उससे पहले भी बीजेपी कार्यकर्ताओं को लगातार निशाना बनाया गया था। इनमें एक 31 साल के दिलीप कीर्तनिया भी थे। उनका शव नदिया के चकदह में 18 अप्रैल को मिला था।
कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश के बाद सीबीआई बंगाल हिंसा के मामलों की जाँच कर रही है। हाई कोर्ट ने 19 अगस्त को केंद्रीय एजेंसी को जाँच का आदेश देते हुए 6 सप्ताह के भीतर स्टेटस रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए थे। इस सिलसिले में सीबीआई अब तक 34 केस दर्ज कर चुकी है। इनमें से एक मामला दिलीप कीर्तनिया से भी जुड़ा है।
सीबीआई की वेबसाइट पर इससे जुड़ा एफआईआर उपलब्ध है। इसमें शिकायकर्ता दीनानाथ कीर्तनिया ने बताया है कि किस तरह उनके भाई दिलीप की हत्या की गई। उन्होंने बताया है कि उनके परिवार का लंबे समय से बीजेपी से जुड़ाव रहा है। दिलीप पार्टी की सक्रिय कार्यकर्ता थे। उनके परिवार को बीजेपी के लिए काम नहीं करने की धमकी दी गई थी। इस मामले में 9 लोग आरोपित बनाए गए हैं जिनके नाम एफआईआर में दर्ज हैं।
इसमें कहा गया है, “17 अप्रैल को दिलीप बीजेपी के बूथ कैंप ऑफिस में काम कर रहे थे। इसी दौरान दोपहर के करीब 2:30 बजे उनलोगों ने उन्हें फिर धमकी दी। उनसे कहा- तू अब भी BJP के लिए काम कर रहा है, आज तुझे मार डालेंगे।” दीनानाथ ने अपनी शिकायत में कहा है कि पार्टी ऑफिस से काम निपटाने के बाद दिलीप घर लौट आए। खाना खाया। टीवी देखा और फिर सो गए। रात के करीब एक बजे वे पेशाब के लिए घर से बाहर निकले और इसी दौरान उन पर पीछे से हमला किया गया। सुबह के 5 बजे उनकी माँ ने अपने बेटे का शव देखा। दीनानाथ के मुताबिक दिलीप की हत्या के लिए बदमाश उनके घर के बाहर घात लगाए बैठे थे। उनके सिर पर किसी भारी चीज से वार किया गया। वे जिंदा नहीं बचे यह सुनिश्चित करने के लिए उनका गला और अंडकोष दबाया गया। माँ ने सुबह जब उनकी लाश देखी तो उनके मुँह और नाक से खून बह रहा था। दीनानाथ के अनुसार उनके भाई की हत्या करने वाले इलाके के कुख्यात बदमाश हैं।
गौरतलब है कि दिलीप की लाश मिलने के बाद बीजेपी ने इसके लिए टीएमसी के गुंडों को जिम्मेदार ठहराया था। एनएच 34 पर प्रदर्शन भी किया था। वैसे दिलीप इकलौते नहीं हैं जिन्हें राजनीतिक वजहों से साजिशन मारा गया। चुनाव बाद हिंसा को लेकर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने कलकत्ता हाईकोर्ट को जो रिपोर्ट दी थी उसमें भी इस तरह की कई बर्बरता का जिक्र है।
इसी तरह मई में सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान बीजेपी कार्यकर्ता अभिजीत सरकार की विधवा ने बताया था कि किस बेरहमी से उनके पति की हत्या की गई थी। उन्होंने कहा था, “भीड़ ने उनके गले में सीसीटीवी कैमरे का तार बाँध दिया। गला दबाया। ईंट और डंडों से पीटा। सिर फाड़ दिया और माँ के सामने उनकी बेरहमी से हत्या कर दी। आँखों के सामने बेटे की हत्या होते देख उनकी माँ बेहोश होकर मौके पर ही गिर गईं।” वहीं एक 60 वर्षीय महिला ने शीर्ष अदालत को बताया था कि 4-5 मई को पूर्व मेदिनीपुर में विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद टीएमसी के कार्यकर्ता उसके घर में घुस गए। लूटपाट करने से पहले 6 साल के पोते सामने ही उसका गैंगरेप किया।