बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के संग ‘ऊँट किस करवट बैठेगा’ वाली कहावत अक्षरशः सही साबित होती है। बीते महीने वो जनता दल यूनाईटेट (JDU) के अध्यक्ष ललन सिंह को पद से हटा कर खुद पार्टी चीफ बन बैठे। अब उन्होंने शनिवार (20 जनवरी, 2024) को पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी का पुनर्गठन कर डाला है।
अब JDU ने अपने सभी विधायकों को 72 घंटे तक पटना में ही रुकने का फरमान सुनाया है। इस बीच बिहार के पल-पल बदलते सियासी माहौल पर पूरे देश की नजर बनी हुई है तो वहीं राजद के लालू-तेजस्वी की जोड़ी I.N.D.I. महागठबंधन की अगुवाई करने वाले सुशासन बाबू के मूड को लेकर पेशोपश में पड़ी है। हालिया कुछ घटनाक्रम ऐसे हैं जो इशारा कर रहे हैं कि सीएम नीतीश किसी को भी गच्चा दे सकते हैं और कभी भी पलट सकते हैं।
लोकसभा चुनावों के लिए JDU राष्ट्रीय कार्यकारिणी की नई टीम
हम शुरू करते हैं नीतीश कुमार के जदयू के राष्ट्रीय पदाधिकारियों की टीम का पुनर्गठन करने से। शनिवार को ही उन्होंने इस काम को अंजाम दिया है। नई टीम में कई लोकसभा सांसदों को उनके संगठनात्मक पदों से मुक्त कर दिया गया। इसे नीतीश की अपने हिसाब से डील करने की रणनीति माना जा रहा है।
जनता दल (यूनाइटेड) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के नवनियुक्त सभी पदाधिकारियों को हार्दिक बधाई।#Congratulations #JDU #Bihar #NitishKumar pic.twitter.com/Eeek4yWimH
— Janata Dal (United) (@Jduonline) January 20, 2024
राज्यसभा सांसद वशिष्ठ नारायण सिंह को मंगनी लाल मंडल की जगह उपाध्यक्ष बनाया गया है। मंगनी लाल नई टीम में अब संगठन के 11 महासचिवों में से एक हैं। केसी त्यागी को राजनीतिक सलाहकार के रूप में प्रमोशन दिया गया। वो पहले विशेष सलाहकार और पार्टी के चीफ प्रवक्ता रहे हैं।
नई टीम में पार्टी के पहले प्रवक्ता त्यागी है तो दूसरे नंबर पर राजीव रंजन हैं। पार्टी के मुताबिक, जेडीयू के 11 महासचिवों में पाँच लोकसभा सांसद भी शामिल हैं। कहा जा रहा है कि ये जेडीयू की लोकसभा चुनाव 2024 को लेकर बनाई रणनीति है।
नई टीम में पुरानी टीम के बिहार के मंत्री संजय झा, राज्यसभा सांसद रामनाथ ठाकुर, अली अशरफ फातमी और अफाक अहमद खान को महासचिव पद पर बरकरार रखा गया है। बताते चले कि पूर्व पार्टी अध्यक्ष ललन सिंह की टीम में 22 महासचिव थे। नई टीम से उत्तर प्रदेश के कद्दावर नेता धनंजय सिंह और हर्ष वर्धन सिंह समेत अन्य नेताओं को नई बाहर कर दिया गया हैं।
जेपी नड्डा का बिहार दौरा
वहीं नीतीश कुमार पर अमित शाह की नरमी से आरजेडी के नेताओं लालू-तेजस्वी के पेशानी पर बल पड़ रहे हैं। खबर है की बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा बिहार की 40 लोकसभा सीटों पर विजय पताका फहराने के लिए बिहार दौरे पर जाने वाले हैं।
नड्डा की 30 जनवरी को कटिहार में होने जा रही जनसभा कई मायनों में अहम मानी जा रही है। इसमें नड्डा मिशन 2024 के तहत सीमांचल के मतदाताओं किशनगंज, पूर्णिया, कटिहार और अररिया की सीटों को साधने की कोशिश में है।
चूँकि ये सीटें बीजेपी के लिए ही नहीं बल्कि सभी राजनीतिक दलों के लिए अहम मानी जाती हैं, यहाँ की हार-जीत का सीधा असर इसके साथ सटे बंगाल की सीटों पर पड़ता है। बिहार में लोकसभा चुनाव में 2019 में किशनगंज सीट से जेडीयू कॉन्ग्रेस से हार गई। तब कॉन्ग्रेस को बिहार में बस यही एक सीट मिली थी। साल 2019 बीजेपी-जेडीयू 17-17 सीटों पर लड़ी।
उस चुनाव में BJP 17 तो JDU 16 सीट जीती थी। वहीं टूटने से पहले लोकजनशक्ति पार्टी (LJP) 6 सीट पर लड़ी और सब जीती थी। इस तरह 2019 के आम चुनावों में NDA ने बिहार की 40 सीटों में 39 जीत ली थी।
अमित शाह ने खोली नीतीश के लिए खिड़की
बताते चलें कि साल 2022 में नीतीश कुमार ने NDA से नाता तोड़ कर महागठबंधन का दामन थाम लिय था। इसके बाद साल 2023 में झंझारपुर की रैली गृहमंत्री अमित शाह ने बिहार में बीजेपी की एक चुनावी जनसभा में साफ कहा था कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए एनडीए के दरवाजे पूरी तरह बंद हो चुके हैं।
इसके बाद बिहार भाजपा के कई वरिष्ठ नेताओं ने भी अमित शाह के बयान को दोहराया था, लेकिन कुछ दिन पहले उन्होंने एक अखबार को दिए इंटरव्यू में जब अमित शाह से पूछा गया कि NDA को छोड़कर गए नेता अगर वापस आना चाहते हैं तो इस पर उनका क्या रुख है।
इस सवाल के जवाब में अमित शाह ने अपने तेवर नरम करते हुए कहा कि अगर इस संबंध में कोई प्रस्ताव आएगा तो विचार किया जाएगा। इसके बाद से ही नीतीश कुमार के एक बार फिर महागठबंधन और I.N.D.I. गठबंधन को छोड़कर एनडीए के साथ जाने की चर्चाएँ तेज हो गई हैं।
बीते दिनों RJD के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव और उनके बेटे व राज्य के उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के घर पर जाकर मुलाकात की तो चर्चाओं का बाजार और गर्म हो गया। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और ‘हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (HAM) सेकुलर’ के अध्यक्ष जीतन राम माँझी ने कहा है कि अगर नीतीश कुमार एनडीए में वापस आते हैं तो वह इसका विरोध नहीं करेंगे।
बिहार की सियासत में इस बात की चर्चा आम है कि नीतीश कुमार लोकसभा सीटों के बँटवारे में हो रही देरी के वजह से ख़ासे नाराज हैं और वह चाहते हैं कि लोकसभा सीटों को लेकर जल्द से जल्द बँटवारा हो, जबकि राजद के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव इसे लेकर जल्दबाजी में नहीं दिखाई देते।
कुल मिलाकर एक बार फिर नीतीश कुमार के एनडीए में वापसी की अटकलों ने बिहार से लेकर दिल्ली तक सियासी पारा चढ़ा दिया है। अगर नीतीश कुमार I.N.D.I. गठबंधन का साथ छोड़कर एनडीए से हाथ मिलाते हैं तो निश्चित रूप से यह इंडी गठबंधन के लिए बहुत बड़ा झटका साबित होगा क्योंकि नीतीश कुमार की पहल पर ही विपक्षी दलों को एक मंच पर लाने की कवायद शुरू हुई थी।