Tuesday, November 5, 2024
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मंच से ज्ञान बाँचते नीतीश कुमार, नीचे गूँजते रहे ‘तेजस्वी यादव ज़िंदाबाद’ के नारे: बिहार के सत्ताधारी गठबंधन में फिर से दिखी दरार, मुस्कुराते रहे RJD नेता

दरअसल हुआ ये कि प्रोटोकॉल के हिसाब से उप-मुख्यमंत्री यानी तेजस्वी यादव को पहले भाषण देना था, लेकिन सीएम नीतीश का पहले भाषण करवाया गया।

बीजेपी को 2024 आम चुनावों में हराने की जुगत भिड़ा रहे और I.N.D.I. गठबंधन के सर्वेसर्वा बने ‘सुशासन बाबू’ के राज में सबकुछ सही नहीं चल रहा है। इसका एक नमूना समस्तीपुर में श्रीराम जानकी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के उदघाटन समारोह में रविवार (21 जनवरी, 2024) देखने को मिला है।

कार्यक्रम में इसमें सीएम नीतीश कुमार और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव दोनों मौजूद थे, लेकिन जनता दल यूनाईटेड (JDU) और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) की रार सामने आने में पल भर नहीं लगा। इस बीच सुशासन बाबू की तरफ से ऐसे इशारे भी हैं कि वो NDA का दामन फिर से थाम सकते हैं।

दरअसल हुआ ये कि प्रोटोकॉल के हिसाब से उप-मुख्यमंत्री यानी तेजस्वी यादव को पहले भाषण देना था, लेकिन सीएम नीतीश का पहले भाषण करवाया गया। बिहार सरकार के मंत्री विजय कुमार चौधरी ने मंच से ऐलान किया कि वक्त कम है, इसलिए सीएम नीतीश उनको दो मिनट उनको संबोधित करेंगे।

यहाँ पहले डिप्टी सीएम के तौर पर तेजस्वी यादव को बोलने नहीं दिया गया। अब जैसे ही सीएम ने मंच से भाषण शुरू किया समारोह स्थल पर तेजस्वी यादव जिंदाबाद के नारे गूँजने लगे। सीएम नीतीश ने लगभग एक मिनट भाषण दिया। इस दौरान कार्यकर्ता तेजस्वी के पक्ष में नारे लगाते रहे।

इस दौरान मंच पर मौजूद डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव सहित अन्य लोग मंद-मंद मुस्कुराते दिखे। ये देखकर सीएम कुमार ने तेजस्वी यादव को बोलने के लिए कहा और फिर डिप्टी सीए तेजस्वी यादव ने भाषण दिया। हालाँकि इस दौरान उनके बगल में सीएम नीतीश कुमार खड़े रहे।

बताते चलें कि बिहार के सीएम और डिप्टी सीएम के समारोह स्थल पर पहुँचते ही उनके बीच की दूरियाँ वहाँ मौजूद लोगों को भी साफ नजर आ रही थी। जब सीएम नीतीश श्रीराम जानकी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के उद्घाटन शिलापट्ट का फीता काटने पहुँचे उस वक्त भी डिप्टी सीएम उनसे दूर ही खड़े रहे।

उनकी जगह सीएम के बगल में मंत्री विजय कुमार चौधरी थे। इसके बाद डिप्टी सीएम यादव एक कोने में जाकर खड़े हो गए। इसके बाद जब सीएम नीतीश मंच पर मौजूद लोगों का अभिवादन करने के लिए गए तो वहाँ आने में भी तेजस्वी यादव ने देर लगाई।

बताते चलें कि एक दिन पहले ही 20 जनवरी,2024 को सीएम नीतीश कैबिनेट में तीन मंत्रियों की जिम्मेदारी बदली है और ये तीनों ही मंत्री लालू यादव की आरजेडी कोटे से हैं। शिक्षा मंत्रालय संभाल रहे आरजेडी के चंद्रशेखर यादव को गन्ना विकास विभाग की जिम्मेदारी दी गई।

अब शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी आलोक मेहता दी गई है। मंत्री ललित यादव को भूमि राजस्व विभाग का अतिरिक्त प्रभार दिया गया। ललित यादव के पास पहले से लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग है।

चंद्रशेखर यादव वहीं मंत्री हैं जो गाहे-बगाहे हिंदू-देवी देवताओं के खिलाफ विष वमन करते रहते हैं। जनवरी 2023 में उन्होंने दावा किया था कि हिंदू महाकाव्य रामचरितमानस, मनु स्मृति और साथ ही ‘बंच ऑफ थॉट’ किताब समाज में नफरत फैलाती हैं।

बीते साल ही 7 सितंबर को उन्होंने नालंदा में एक और विवादास्पद बयान देते हुए दावा किया कि पैगंबर मोहम्मद ‘मर्यादा पुरोषोत्तम’ थे और भगवान ने उन्हें बुराई को मिटाने के लिए धरती पर भेजा था।

साफ है कि पूर्व शिक्षा मंत्री के इन आपत्तिजनक बयानों से सीएम नीतीश की गठबंधन सरकारी की खासी किरकिरी हुई थी। अब जब सीएम नीतीश के लिए बीजेपी के दरवाजे बंद हो चुके हैं कहने वाले गृहमंत्री अमित शाह उनके लिए नरम पड़े हैं। ऐसे में उनके और आरजेडी में दूरी होना स्वाभाविक है।

गृहमंत्री शाह ने एक सवाल के जवाब में हाल ही में कहा है कि NDA को छोड़कर गए नेता अगर वापस आना चाहते हैं और अगर इस संबंध में कोई प्रस्ताव आएगा तो उस पर विचार किया जाएगा। वहीं 30 जनवरी, 2024 को जेपी नड्डा बिहार के कटिहार में एक जनसभा करने जा रहे हैं।

नीतीश की फितरत रही है कि वो कभी भी करवट बदल सकते हैं। उनके और आरजेडी के गठबंधन को लेकर अमित शाह पहले ही चेता चुके हैं कि ये तेल और पानी का गठबंधन है जो कभी एक नहीं हो सकता है और अब आसार ऐसे ही नजर आ रहे हैं।

I.N.D.I गठबंधन को खड़ा करने वाले नीतीश कुमार उससे ही कटते नजर आ रहे है। दरअसल इसकी फिक्र आरजेडी अध्यक्ष लालू यादव को पहले ही सताने लगी थी। यही वजह रही कि उन्होंने कॉन्ग्रेस के गाँधी परिवार के पास नीतीश को इंडी गठबंधन का संयोजक बनाने की बात कही थीं।

लेकिन पलटीमार नीतीश कुमार इससे भी पलटी मार गए उन्होंने ये पद लेने से मना कर दिया। थक हार कर गठबंधन को कॉन्ग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को I.N.D.I. गठबंधन का अध्यक्ष बनानना पड़ा।

इससे लालू का तेजस्वी यादव को बिहार के सीएम बनाने का ख्वाब टूटता नजर आ रहा है। वैसे ही I.N.D.I. गठबंधन के दलों में एक जुटता नजर नहीं आ रही है। जहाँ टीएमसी सुप्रीमो ममता बनर्जी और बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने लोकसभा चुनाव 2024 में अपने दम पर उतरने का ऐलान किया है।

वहीं सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के तेवर भी कम नहीं है। ऐसे में नीतीश को अपनी कुर्सी बचाने के लिए बीजेपी की नाव का ही सहारा है। एक तरफ सीएम नीतीश कुमार को बिहार में अपनी पार्टी की साख बचाने की फिक्र है तो दूसरी तरफ अपनी सीएम की कुर्सी बचाने की। इसके लिए उन्होंने धीरे-धीरे ही सही लेकिन पक्की कोशिशें शुरू कर दी हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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