ताजा ख़बरों के अनुसार बिहार में सीट बँटवारे को लेकर राजग में सहमति बन गई है। उधर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आज दिल्ली पहुँच रहे हैं जहां वो भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और लोजपा सुप्रीमो रामविलास पासवान सहित राजग के अन्य नेताओं से बातचीत करेंगे और इसके बाद सीट शेयरिंग को लेकर आधिकारिक घोषणा कर दी जाएगी। सूत्रों के अनुसार लोजपा ने छः लोकसभा सीट और एक राज्यसभा सीट की मांग की थी जिसे भारतीय जनता पार्टी ने मान लिया है और जनता दल यूनाइटेड ने भी इस फोर्मुले पर मुहर लगा दी है। अभी लोजपा से एक भी राज्यसभा सांसद नहीं है। बता दें कि लोक जनशक्ति पार्टी संसदीय दल के अध्यक्ष चिराग पासवान काफी दिनों से अपने बयानों द्वारा भाजपा पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे थे।
कुछ दिनों पहले ही अपने ट्वीट्स के माध्यम से चिराग पासवान ने कहा था;
“टी॰डी॰पी॰ व रालोसपा के एन॰डी॰ए॰ गठबंधन से जाने के बाद एन॰डी॰ए॰ गठबंधन नाज़ुक मोड़ से गुज़र रहा है।ऐसे समय में भारतीय जनता पार्टी गठबंधन में फ़िलहाल बचे हुए साथीयों की चिंताओं को समय रहते सम्मान पूर्वक तरीक़े से दूर करें।”
चिराग पासवान फिलहाल जमुई से लोकसभा सांसद हैं। अभी कुछ दिनों पहले उन्होंने नोटबंदी पर भी सवाल खड़े कर के भाजपा पर दबाव बनाने की कोशिश की थी। कई लोगों का यह मानना था कि लोजपा राजग का साथ छोड़ कर महागठबंधन में शामिल हो सकती है लेकिन सीट शेयरिंग पर सहमति बनने के साथ ही इन कयासों पर विराम लग गया है। शुक्रवार को पासवान पिता-पुत्र ने भाजपा नेता अरुण जेटली से भी मुलाकात की थी जिसके बाद चिराग पासवान ने कहा था कि बात चल रही है और वह समय आने पर बोलेंगे।
ज्ञात हो कि बिहार में भाजपा के सहयोगी रहे उपेन्द्र कुशवाहा ने हाल ही में महागठबंधन का रुख कर लिया है। रालोस्पा अध्यक्ष उपेन्द्र कुशवाहा ने केंद्रीय मंत्रिमंडल से भी इस्तीफा दे दिया और भाजपा पर उनका अपमान करने का आरोप लगाया था। हालांकि इस से उपेन्द्र कुशवाहा की अपनी पार्टी के ही नेता ही उनसे नाराज हो गये और बागी तेवर अपना लिया। पार्टी के दो विधायक और एक विधान पार्षद ने रालोसपा सुप्रीमो के निर्णय का विरोध करते हुए एक प्रेस कांफ्रेंस कर राजग में बने रहने का ऐलान कर दिया।
2014 में हुए लोकसभा चुनावों में लोजपा ने 6 सीटों पर जीत हासिल की थी। राज्य की 40 लोकसभा सीटों में से भाजपा ने 22, रोलसपा ने 3, जदयू ने 2, राजद ने 4, कांग्रेस ने 2 और एनसीपी ने 1 सीट पर जीत हासिल की थी। उस समय जदयू ने भाजपा से अलग चुनाव लड़ा था। इस बार भाजपा-जदयू-लोजपा के साथ चुनाव लड़ने के कारण बिहार में कांटे की टक्कर देखने को मिल सकती है।