कैसरगंज से भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह ने कॉन्ग्रेस महासचिव प्रियंका गाँधी को खुली चुनौती दी है। बता दें कि दिल्ली पुलिस द्वारा न्यायालय में दायर आरोप-पत्र में WFI अध्यक्ष द्वारा महिला पहलवानों के यौन उत्पीड़न का मामला चलाए जाने की बात कही गई है, जिसके बाद उन्हें समन किया गया। इसके बाद प्रियंका गाँधी ने ट्वीट कर इस मामले को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर चुप रहने का आरोप लगाया था। अब भाजपा सांसद ने एक नोट के जरिए निशाना साधा है।
उन्होंने प्रियंका गाँधी के ट्वीट को देश को गुमराह करने का षड्यंत्र बताते हुए कहा कि पुलिस की जाँच रिपोर्ट किसी को अपराधी नहीं बनाता, ये अधिकार न्यायालय का है और वहाँ अपनी बात रखने का अधिकार संविधान देता है। उन्होंने कहा कि प्रियंका गाँधी और कॉन्ग्रेस पार्टी को न्यायपालिका में भरोसा नहीं है, इसीलिए वो मीडिया ट्रायल चाहती हैं। उन्होंने इतिहास की कई घटनाएँ गिनाते हुए बड़ा आरोप लगाया कि कॉन्ग्रेस पार्टी ने हमेशा उनके और उनके परिवार के खिलाफ साजिश रची है।
महिला पहलवानों द्वारा यौन शोषण के आरोपों से पहले की 10 घटनाएँ उन्होंने उदाहरण के रूप में गिनाई हैं। पहली घटना उन्होंने अपने दादा चंद्रभान सिंह का उदाहरण देते हुए बताया है कि वो कॉन्ग्रेस पार्टी के टिकट पर विधायक बने थे, लेकिन रहस्यमयी परिस्थितियों में अस्पताल में उनकी मौत कॉन्ग्रेस की साजिश थी। इसी तरह उन्होंने 1974 में कॉन्ग्रेस सरकार द्वारा उनका घर गिराए जाने और उनके परिवार वालों को जेल में बंद करने का आरोप भी लगाया।
सांसद ने तीसरी घटना का जिक्र किया है आपातकाल के दौरान का। उन्होंने कहा है कि कॉन्ग्रेस पूर्वांचल में उनके वजूद को अपने लिए चुनौती मानती है, इसीलिए पार्टी नेताओं के दबाव में उन पर गैंगस्टर एक्ट और IPC की धाराओं में 3 दर्जन से अधिक केस इसीलिए कर दिए गए क्योंकि उन्होंने इमरजेंसी का विरोध किया था। उन्होंने 1980 की एक घटना का जिक्र करते हुए बताया कि उन पर ऑटोमैटिक हथियारों से प्राणघातक हमला हुआ था, जिसमें वो तो बच गए लेकिन उनके सहयोगी की मौत हो गई।
उन्होंने याद दिलाया है कि तब केंद्र और उत्तर प्रदेश में कॉन्ग्रेस ही सत्ता में थी। उन्होंने दावा किया है कि विश्वनाथ प्रताप सिंह के आदेश के बाद उनका एनकाउंटर करने का प्रयास भी किया गया था, लेकिन भारी जनसमर्थन के कारण ये साजिश विफल हो गई। उन्होंने छठा आरोप लगाया है कि 1989 के विधानसभा चुनाव में वो हारे नहीं थे, बल्कि कॉन्ग्रेस ने साजिश कर के 4 वोटों से उन्हें हरवाया था और उनके राजनीतिक सफर को रोकने का प्रयास किया था।
1989 में राम जन्मभूमि आंदोलन में अपनी पहली गिरफ़्तारी का ठीकरा भी उन्होंने कॉन्ग्रेस पर ही फोड़ा है। 8वीं घटना का जिक्र उन्होंने 1992 का किया है, जब बाबरी का ढाँचा गिराया गया और उन्हें भी केंद्र सरकार के इशारे पर गिरफ्तार किया गया था। साथ ही 1995 में टाडा लगा कर उन्हें देशद्रोही साबित करने की कोशिश की गई, ये आरोप भी उन्होंने लगाया है। उन्होंने बताया है कि 2004 में एक दुर्घटना को हत्या बता कर उन्हें उसमें फँसाया गया, लेकिन CBI ने उन्हें क्लीन-चिट दी।
बृजभूषण शरण सिंह ने इन 10 घटनाओं के अलावा 11वें बिंदु के रूप में ताजा प्रकरण की बात की है। उन्होंने पहलवानों वाले प्रकरण में प्रियंका गाँधी और कॉन्ग्रेस नेता भूपेंद्र हुड्डा के शामिल होने का आरोप लगाते हुए कहा कि वो देश की कानून व्यवस्था पर यकीन रखते हैं। उन्होंने चुनौती दी है कि प्रियंका गाँधी ट्विटर-ट्विटर खेलना बंद करें और उनके खिलाफ लोकसभा चुनाव लड़ कर दिखाएँ। उन्होंने लिखा कि जीत हमेशा सच्चाई की ही होती है।