उत्तर प्रदेश से बीजेपी सांसद और कुश्ती फेडरेशन के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह ने बड़ा खुलासा किया है। बृजभूषण शरण सिंह ने शुक्रवार (17 मई 2024) को कर्नलगंज में अपने बेटे करण भूषण सिंह के समर्थन में जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि ‘नरसिंह यादव’ जैसे कमजोर घरों से आने वाले पहलवानों का साथ देने पर उनके खिलाफ विरोध शुरू हो गया। उन्होंने कहा कि नरसिंह यादव के पक्ष में खड़े होने की वजह से ये पूरा बखेड़ा खड़ा किया गया।
आजतक की रिपोर्ट के मुताबिक, बृजभूषण शरण सिंह ने कहा, “आज जो मेरा विरोध कर रहे हैं वह इसलिए कर रहे हैं क्योंकि मैं कमजोर का साथी हूँ। नरसिंह यादव 5 साल पहले जो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया था, वह जीत करके आया तो इन लोगों ने कहा हमारा ट्रायल कराइए, ट्रायल करने की परंपरा नहीं थी, हमने कहा ट्रायल नहीं करेंगे, वहीं से मेरा विरोध शुरू हुआ। क्योंकि, नरसिंह बनारस का रहने वाला है और गरीब परिवार का था। उसका हक ये लोग मारना चाहते थे। हमने मना कर दिया था। तब इन लोगों ने उसके खाने में धोखे से नशीला पदार्थ मिलाया, ताकि वो क्वॉलिफाई न कर पाए।”
सब लोग मेरे हाथ से डेढ़-डेढ़ लाख रुपए पाते रहे, अहसान धरा का धरा रह गया
पहलवानों के आरोपों पर बोलते हुए बृजभूषण ने कहा कि जब मैंने मिजोरम, नागालैंड, बिहार, बंगाल के रेसलर्स के हित में काम करना शुरू किया तो कुछ लोगों की नजरों में चढ़ गया। मैंने कमजोर प्रांत के खिलाड़ियों को संरक्षण प्रदान करना शुरू किया, उसी दिन से ये लोग मेरे विरोधी हो गए। ये सब मेरे हाथ से डेढ़-डेढ़ लाख रुपये महीने पाते थे। कोई ऐसा पैदा नहीं हुआ है जो डेढ़ लाख रुपये मेरे हाथ से न लिया हो, लेकिन सब एहसान धरा का धरा रह गया। इसीलिए तो नगर-नगर बदनाम हो गए।
किस बात का जिक्र कर रहे ब्रजभूषण शरण सिंह?
बृजभूषण शरण सिंह साल 2016 के रियो ओलंपिक के दौरान डोप टेस्ट में फंसे नरसिंह यादव की बात कर रहे हैं। नरसिंह यादव ने साल 2015 में लॉग वेगास में हुई वर्ल्ड चैंपियनशिप में 4-12 से पिछड़ने के बाद वापसी करते हुए ब्रॉन्च मेडल जीता था। उन्होंने 2016 के ओलंपिक के लिए क्वॉलिफाई किया था। उन्हें ओलंपिक में उनके मुकाबले से ठीक 12 घंटे पहले डोपिंग केस में वाडा ने प्रतिबंध लगाते हुए उन पर 4 साल का बैन लगा दिया था। नरसिंह यादव ने आरोप लगाया कि उनके खाने में कुछ मिला दिया गया था। भारत की डोपिंग एजेंसी ने नरसिंह यादव को छूट दी थी और मामला कोर्ट में था, लेकिन वाडा ने नरसिंह यादव पर 4 साल का बैन लगाते हुए उन्हें ओलंपिक से बाहर कर दिया था।
सुशील कुमार थे बड़ी वजह?
दरअसल, साल 2012 के लंदन ओलंपिक में योगेश्वर दत्त ने 60 किलो वर्ग भार में, सुशील कुमार ने 66 किलो वर्ग भार में नरसिंह यादव ने 74 किलो वर्ग भार में हिस्सा लिया था। योगेश्वर ने ब्रॉन्च मेडल जीता था, और सुशील कुमार ने 66 किलो वर्ग में सिल्वर मेडल जीता था। सुशील कुमार पर सेमीफाइनल मुकाबले में प्रतिद्वंदी पहलवान ने कान काटने का आरोप लगाया था।
हालाँकि लंदन ओलंपिक के अगले साल दिसंबर 2013 में इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ एसोसिएटेड रेसलिंग स्टाइल्स (FILA) ने नियम बदले थे और रियो ओलंपिक के लिए भार वर्ग को बदल दिया था। इसके बाद योगेश्वर दत्त 60 किलो भार वर्ग से 65 किलो भार वर्ग में खेले, तो सुशील कुमार 74 किलो भार वर्ग में। यहीं से उपरोक्त विवाद की नींद पड़ी थी। चूँकि नरसिंह 74 किलो भार वर्ग में खेलते थे, ऐसे में सुशील कुमार की दावेदारी के बाद साजिशों का दौर शुरू हो गया और फिर आया साल 2015-16 का वो समय, जब नरसिंह यादव के रेसलिंग करियर को खत्म कर दिया गया और आगे सुशील कुमार ही 74 किलो भार वर्ग में हिस्सा लेने लगे।
नरसिंह यादव के साथ हुआ था ये खेल?
जैसा कि ऊपर बताया गया है कि नरसिंह यादव 2016 के रियो ओलंपिक गेम्स के लिए क्वॉलिफाई कर चुके थे, लेकिन भारत में उनके साथ खेल हो गया था। दरअसल, सुशील कुमार और उनके ग्रुप के लोगों ने ओलंपिक के लिए ट्रायल्स की माँग की थी, जिसमें सुशील कुमार और नरसिंह की कुश्ती कराई जानी थी, इसके बाद ही रियो ओलंपिक में पहलवान के चयन की बात कही जा रही थी, जबकि ऐसा कोई नियम नहीं था।
ऐसे में कुश्ती फेडरेशन के तत्कालीन अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह अड़ गए और सुशील कुमार ग्रुप की तरफ से पड़ रहे दबावों को दरकिनार करते हुए उन्होंने ट्रायल्स की अनुमति नहीं दी और रियो ओलंपिक के लिए क्वॉलिफाई कर चुके नरसिंह यादव को ही रियो ओलंपिक के लिए भेजा गया। इसके खिलाफ सुशील कुमार ने दिल्ली हाई कोर्ट का भी रुख किया, लेकिन हाई कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी थी, और नरसिंह यादव का रियो ओलंपिक में जाना पक्का हो गया।
रियो में क्यों लगाया गया बैन?
नरसिंह यादव को 18 अगस्त 2016 को वाडा ने बैन कर दिया। वो भी उनकी ओलंपिक बाउट से सिर्फ 12 घंटे पहले। इसके लिए भारत की तरफ से अपील की गई और 4 घंटे तक सुनवाई की गई, लेकिन उन्हें बैन कर दिया गया और रियो ओलंपिक से बाहर भेज दिया गया। इसकी नींव पड़ी थी, 25 जून 2016 और 5 जुलाई 2016 को हुए डोप टेस्ट के नतीजों के सामने आने के बाद, जिसमें नरसिंह यादव पर प्रतिबंधित ड्रग्स लेने के आरोप लगे।
नरसिंह यादव ने आरोप लगाया कि उनके खाने में धोखे से कुछ मिलाया गया था। उनके साथ साजिश की गई थी। इस मामले की सीबीआई जाँच भी की गई। नरसिंह यादव के आरोप शुरुआती जाँच में सही पाए गए थे, जिसके बाद उन्हें रियो ओलंपिक में भेजा गया था, लेकिन वाडा ने नरसिंह यादव को कोई छूट नहीं दी थी और उनपर 4 साल का बैन लगा दिया गया। नरसिंह यादव ने साल 2020 में कहा था कि उनके करियर को जान बूझकर साजिश के तहत खत्म किया गया था। बीते कुछ समय के घटनाक्रमों को देखकर कड़ियों को देखें, तो बहुत सारी कड़ियाँ बृजभूषण के बयान से जुड़ती नजर आ रही हैं।