ऐसा कहा गया कि केंद्र की सत्ता से दूर कॉन्ग्रेस फंड की कमी का सामना कर रही है। कॉन्ग्रेस पिछले दो-तीन साल से कह रही है कि उसके पास फंड्स की कमी है। लेकिन वर्तमान में जो तथ्य सामने आ रहे हैं उससे कॉन्ग्रेस के फंड की कमी वाली थ्योरी सोचने पर मजबूर कर देगी।
जानकारी के मुताबिक कॉन्ग्रेस ने 2019 के लोकसभा चुनाव और अरुणाचल प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, ओडिशा और सिक्किम के विधानसभा चुनावों में प्रचार अभियान के लिए 820 करोड़ रुपए खर्च किए थे। यह आँकड़ा 2014 में पार्टी द्वारा आम चुनाव के दौरान खर्च किए गए 516 करोड़ रुपए से कहीं ज्यादा है।
खुद कॉन्ग्रेस ने चुनाव आयोग को सौंपी रिपोर्ट में यह जानकारी दी है। नोटबंदी और उसके बाद आर्थिक मंदी को लेकर लगातार केंद्र और नरेंद्र मोदी सरकार पर हमलावर रही कॉन्ग्रेस ने 31 अक्टूबर को चुनाव आयोग के सामने अपनी डिटेल्स सौंपी। इसके अनुसार पार्टी ने अपने प्रचार के लिए 626.36 करोड़ रुपर्य खर्च किए, जबकि उम्मीदवारों पर तकरीबन 193.9 करोड़ रुपए खर्च किए। चुनावों की घोषणा से लेकर प्रक्रिया खत्म होने तक कॉन्ग्रेस ने कुल 856 करोड़ रुपए खर्च किए।
मई 2019 में कॉन्ग्रेस पार्टी की सोशल मीडिया हेड दिव्या स्पंदना ने मई में कहा था, “हमारे पास पैसा नहीं है।” उन्होंने कहा था कि पार्टी को सरकारी बॉन्ड के माध्यम से पर्याप्त योगदान नहीं मिल रहा है। जो पार्टी को पैसे जुटाने के लिए ऑनलाइन क्राउड सोर्सिंग का विकल्प चुनने के लिए मजबूर कर रहा है। कॉन्ग्रेस नेता शशि थरूर ने भी ट्वीट करते हुए इसका समर्थन किया था। उन्होंने कहा था, “मुझे नहीं लगता कि हमें यह स्वीकार करने के बारे में शर्मिंदा होने की आवश्यकता है कि कॉन्ग्रेस फंडिंग संकट का सामना कर रहा है।”
आम चुनाव 2019 में कॉन्ग्रेस द्वारा प्रचार पर खर्च किए गए 626.36 करोड़ रुपए में से 573 करोड़ रुपए का भुगतान चेक द्वारा किया गया। केवल 14.33 करोड़ रुपए नकद में किया गया। केंद्रीय पार्टी मुख्यालय ने मीडिया प्रचार और विज्ञापनों पर 356 करोड़ रुपए खर्च किए।
लगभग 47 करोड़ रुपए पोस्टर और मतदान सामग्री पर खर्च किए गए, जबकि 86.82 करोड़ रुपए स्टार प्रचारकों की यात्रा खर्च पर किए गए। कॉन्ग्रेस ने छत्तीसगढ़ और ओडिशा में 40 करोड़ रुपए, यूपी में 36 करोड़ रुपए और महाराष्ट्र में 18 करोड़ रुपए खर्च किए। पार्टी ने पश्चिम बंगाल में लगभग 15 करोड़ रुपए और 13 करोड़ रुपए केरल में खर्च किए थे, जहाँ से राहुल चुनाव मैदान में खड़े थे।
वहीं अगर लोकसभा चुनाव में अन्य पार्टियों द्वारा खर्च किए गए रकम की बात करें तो तृणमूल कॉन्ग्रेस ने 83.6 करोड़ रुपए, बहुजन समाज पार्टी ने 55.4 करोड़ रुपए, राष्ट्रवादी कॉन्ग्रेस पार्टी ने 72. 3 करोड़ रुपए, वहीं सीपीएम ने 73.1 लाख रुपए खर्च किए। बीजेपी ने 2014 के चुनाव में 714 करोड़ रुपए खर्च किए। 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी के द्वारा खर्च का ब्यौरा देना बाकी है।