Monday, December 23, 2024
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CBI ने मछली घोटाले में CBI ने लक्षद्वीप के NCP सांसद मोहम्मद फैजल और भतीजे पर दर्ज किया केस, बीफ खाने को बता चुके हैं संवैधानिक अधिकार

इस मामले में अन्य आरोपितों के लक्षद्वीप, दिल्ली और कोझीकोड केरल में भी तलाशी ली गई। वहीं इस मामले में फैजल ने कहा, "सीबीआई ने कुछ दस्तावेजों की माँग की थी, जिसे उन्हें उपलब्ध करा दिया गया है।"

केंद्रीय जाँच एजेंसी (CBI) ने टूना मछली घोटाले के मामले में केंद्र शासित प्रदेश लक्षद्वीप से एनसीपी के सांसद मोहम्मद फैजल और उनके भतीजे अब्दुल रज्जाक के खिलाफ केस दर्ज किया है। चाचा-भतीजे पर स्थानीय मथुआरों को धोखा देकर श्रीलंका की एक कंपनी के साथ कथित तौर पर मिलीभगत करने का आरोप लगाया गया है। इस मामले में मंगलवार (12 जुलाई, 2022) को एजेंसी ने फैजल के लक्षद्वीप और दिल्ली स्थित दोनों ठिकानों पर छापेमारी की।

सीबीआई सूत्रों ने कहा कि इस मामले में अन्य आरोपितों के लक्षद्वीप, दिल्ली और कोझीकोड केरल में भी तलाशी ली गई। वहीं इस मामले में फैजल ने कहा, “सीबीआई ने कुछ दस्तावेजों की माँग की थी, जिसे उन्हें उपलब्ध करा दिया गया है। उन्होंने मेरे घर की तलाशी ली। उन्होंने ठीक होने पर शून्य रिपोर्ट दी है। देखते हैं वे आगे क्या कार्रवाई करते हैं। हम वहाँ से देखेंगे।”

क्या है पूरा मामला

गौरतलब है कि पिछले महीने यह मामला उस वक्त प्रकाश में आया था, जब सीबीआई ने लोकल विजिलेंस के साथ मिलकर इस मामले में कार्रवाई शुरू की। सीबीआई ने लक्षद्वीप सहकारी विपणन संघ (एलसीएमएफ), मत्स्य पालन, लोक निर्माण विभाग, खादी बोर्ड और सहकारी समिति और पशुपालन सहित विभिन्न विभागों पर एक संयुक्त औचक निरीक्षण किया था।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक DIG रैंक के अधिकारी के नेतृत्व में CBI की 25 सदस्यीय टीम इस कथित भ्रष्टाचार की जाँच कर रही है। टूना मछली की अंतर्राष्ट्रीय मार्केट में कीमत लगभग 400 रुपए प्रति किलो है। इसे LCMF (लक्ष्यद्वीप कॉर्पोरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन) द्वारा स्थानीय मछुआरों से खरीदा गया। बाद में इसे श्रीलंका की राजधानी कोलंबो स्थित SRT जनरल मर्चेंट नाम की कम्पनी को बेचा गया था। लेकिन बदले में ART कम्पनी ने LCMF को पैसे नहीं दिए। इस से स्थानीय मछुआरों को काफी नुकसान उठाना पड़ा।

फैज़ल का रिश्तेदार अब्दुल रज़्ज़ाक श्रीलंका की उसी कम्पनी में प्रतिनिधि था जिस पर मछलियों के बदले LCMF का पैसा न देने का आरोप है।

उल्लेखनीय है कि ये वहीं मोहम्मद फैजल हैं, जिन्होंने पिछले साल 2021 में प्रशासनिक सुधारों का विरोध किया था और बीफ को लेकर विवादित बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि बीफ खाना हमारा संवैधानिक अधिकार है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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