केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने कॉन्ग्रेस शासनकाल (2008-09) में खरीदे गए 75 एयर फ़ोर्स के बेसिक ट्रेनर विमानों की ख़रीद में अनियमितता और भ्रष्टाचार (339 करोड़ रुपए की रिश्वत) के आरोपों में भगोड़े हथियार व्यापारी संजय भंडारी के ख़िलाफ़ मामला दर्ज कर लिया है।
CBI ने दिल्ली स्थित भंडारी के आधिकारिक ठिकानों पर छापेमारी की जिसमें इस मामले से जुड़े कुछ अहम दस्तावेज़ भी CBI के हाथ लगे हैं। जाँच एजेंसियों का कहना है कि रिश्वत के पैसों से लंदन में रॉबर्ट वाड्रा के लिए बेनामी सम्पत्ति ख़रीदी गई थी। इसी के चलते CBI ने संजय भंडारी से जुड़ी सम्पत्तियों पर छापेमारी की और कई दस्तावेज़ ज़ब्त किए।
CBI registers case against unknown officials of Indian Air Force & Ministry of Defence, Sanjay Bhandari,& Switzerland based Pilatus Aircraft Ltd on charges of irregularities &corruption (kickbacks to the tune of ₹339 crore) in the procurement of 75 basic trainer aircraft in 2009 pic.twitter.com/RM0BSohAMM
— ANI (@ANI) June 22, 2019
ख़बर के अनुसार, FIR दर्ज करने के अलावा CBI ने नोएडा और गाज़ियाबाद में कुल नौ स्थानों पर छापा मारा, इसमें संजय भंडारी का घर और ट्रेनर विमान बनाने वाली स्विस कंपनी पिलाटस का दफ़्तर भी शामिल है। इससे पहले भी CBI संजय भंडारी की सम्पत्तियों पर रेड डाल चुकी है।
CBI ने संजय भंडारी समेत भारतीय वायु सेना, रक्षा मंत्रालय के अज्ञात अधिकारियों और स्विटज़रलैंड की कंपनी पिलाटस एयरक्राफ्ट लिमिटेड के ख़िलाफ़ FIR दर्ज की है। यह FIR पिलाटस एयरक्राफ्ट डील को लेकर दर्ज की गई है, जो कि UPA के कार्यकाल में हुई थी। इस FIR में कॉन्ग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी और उनके जीजा रॉबर्ट वाड्रा का नाम दर्ज नहीं है। लेकिन रॉबर्ट वाड्रा के संबंध भंडारी से हैं यह साबित हो चुका है।
#Breaking | CBI has registered case against unknown officials Indian Air Force, Ministry of Defence and Sanjay Bhandari and Swiss-based Pilatus Aircraft on charges of irregularities and corruption. More details by @bhavatoshsingh. pic.twitter.com/pVmVrnhbOC
— TIMES NOW (@TimesNow) June 22, 2019
CBI की FIR के अनुसार, 2011 से 2015 के बीच एक तरफ पिलाटस वायुसेना को ट्रेनर विमान सप्लाई कर रहा था, तो दूसरी ओर संजय भंडारी के भारत और दुबई स्थित कंपनियों में करोड़ों रुपए जमा करा रहा था। इस बीच 350 करोड़ रुपए जमा कराने के सबूत मिले हैं।
यह भी पता चला है कि इसी दौरान संजय भंडारी ने करोड़ों रुपए नकद देकर कई कंपनियाँ ख़रीदी और अपनी कंपनियों में नकद के बदले दूसरी कंपनियों से फंड ट्रांसफर कराया। CBI के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पूरी डील में 350 करोड़ रुपए से अधिक दलाली की जाने की आशंका है। जाँच के बाद ही पता चल पाएगा कि असल में कुल कितने की दलाली दी गई थी।
जानकारी के मुताबिक़, संजय भंडारी के लंदन स्थित रिश्तेदार सुमित चड्ढा, मनोज अरोड़ा और रॉबर्ट वाड्रा के बीच ई-मेल पर हुई बातचीत से पता चलता है कि वाड्रा की उस सम्पत्ति में दिलचस्पी थी और वो उस प्रॉपर्टी में चल रहे रेनोवेशन वर्क के बारे में सब कुछ जानना चाहता था। प्रवर्तन निदेशालय कोर्ट को इस सम्पत्ति के बारे में बता चुका है, जिसके लाभार्थी रॉबर्ट वाड्रा हैं। इसमें लंदन के दो घर शामिल हैं जिनकी क़ीमत 5 मिलियन पाउंड और 4 मिलियन पाउंड है। इसके अलावा 6 फ़्लैट भी शामिल हैं।
आख़िर पिलाटस डील क्या है
पिलाटस डील वायु सेना के लिए बेसिक ट्रेनर एयरक्राफ्ट ख़रीदने के लिए थी, जिसके तहत 75 पिलाटस पीसी-7 बेसिक ट्रेनर एयरक्राफ्ट ख़रीदे जाने की तैयारी थी। यह डील 2,896 करोड़ रुपए में हुई थी। वर्ष 2008 में भंडारी ने ऑफसेट सॉलूशन्स नामक कंपनी बनाई। वर्ष 2010 में ऑफसेट ने पिलाटस के साथ एक डील साइन की। जाँच एजेंसियों को मिले दस्तावोज़ के अनुसार, 7,50,000 स्विस फ्रैंक पिलाटस ने कंसलटेंसी के लिए भंडारी को दिए। इसी दौरान संजय भंडारी ने लंदन में रियल एस्टेट प्रॉपर्टी ख़रीद रहे थे।