पंजाब में होने वाले आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए राज्य के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने ईसाइयों को बोर्ड में उचित प्रतिनिधित्व देने और राज्य में ईसा मसीह के नाम का चेयर स्थापित करने की घोषणा की है। यह एक स्टडी सेंटर होगा, जहाँ छात्र बाइबिल और ईसाईयत की शिक्षा ले सकेंगे। यह चेयर विश्वविद्यालय स्तर पर स्थापित होगा।
To commemorate the birth anniversary of the Lord Jesus Christ at a state-level event, decided to set up a chair at university level for the study of Bible. The problem of graveyards to be resolved. Also, community hall would be constructed in each district. pic.twitter.com/AIxHtm80GY
— Charanjit S Channi (@CHARANJITCHANNI) December 17, 2021
इस बात की जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री चन्नी ने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा है, “ईसा मसीह की जयंती के अवसर पर राज्यस्तरीय एक कार्यक्रम में यूनिवर्सिटी स्तर पर बाइबिल की पढ़ाई के लिए यूनिवर्सिटी लेवल पर चेयर स्थापित करने का फैसला लिया गया है। ईसाइयों के कब्रिस्तान की समस्या का भी निराकरण होगा। हर जिले में कम्युनिटी हॉल बनाए जाएँगे।”
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, मुख्यमंत्री कार्यक्रम स्थल पर दोपहर 12 बजे ही पहुँच गए थे, लेकिन दर्शकों की कुर्सियाँ खाली होने के चलते उन्होंने कुछ समय और लिया। तब तक उन्होंने सरकारी स्कूलों को चेक किया। लौट के आने पर कुछ और लोग जरूर जमा हुए, पर संख्या फिर भी उतनी नहीं थी, जो एक मुख्यमंत्री के कार्यक्रम के लिए होनी चाहिए।
एक अन्य रिपोर्ट के मुताबिक, चंडीगढ़ के पंजाब भवन में आयोजित एक प्रेस वार्ता के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा, “जिन जिलों में कब्रिस्तान की समस्या थी, उनका समाधान कर दिया गया है। जहाँ समस्या बनी है, वहाँ भूमि उपलब्ध करवाई जाएगी। ईसाई वेलफेयर बोर्ड को 1 करोड़ रुपए की राशि भी दी गई। ईसाइयों को बिजली यूनिट में भी रियायत दी जाएगी।” मुख्यमंत्री चन्नी ने ये फैसले राज्य अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष प्रो. इमैनुएल नाहर के साथ बैठक के बाद लिए।
मुख्यमंत्री की तारीफ करते हुए पंजाब अल्पसंख्यक बोर्ड के अध्यक्ष इमैनुएल नाहर ने कहा, “आज़ादी के बाद पहली बार पंजाब के किसी मुख्यमंत्री ने ईसाइयों के हित में ऐसे कदम उठाए हैं। जीसस के नाम पर चेयर की हमारी काफी पुरानी माँग थी, जिसे मान लिया गया है। मुख्यमंत्री ने हमारी बाकी समस्याओं का भी समाधान कर दिया है। हम इसमें सहयोग करने वाले कैबिनेट मंत्री डॉ राजकुमार वेरका को भी धन्यवाद करते हैं।”