Monday, December 23, 2024
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मुस्लिम मुख्यमंत्री नहीं बनेगा चारधाम श्राइन बोर्ड का अध्यक्ष, उत्तराखंड कैबिनेट ने पास किया प्रस्ताव

'एक बार जब राज्य का सीएम बोर्ड का अध्यक्ष बन जाएगा, इसके बाद तीन सांसदों, छह विधायकों, कई सचिवों और चार धामों के पुजारियों को भी बोर्ड में सदस्य के रूप में शामिल कर लिया जाएगा।''

उत्तराखंड कैबिनेट ने बुधवार (27 नवंबर) को राज्य में चार धाम से संबंधित एक प्रस्ताव पास किया। प्रस्ताव में चार धाम के अलावा अन्य 51 मंदिरों के प्रबंधन का भी उल्लेख है। यह प्रस्ताव जम्मू-कश्मीर में वैष्णो देवी मंदिर और आंध्र प्रदेश में तिरुपति बालाजी मंदिर के तर्ज़ पर प्रबंधन करने संबंधी है।

राज्य सरकार ने यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ के प्रबंधन की देखरेख के लिए चारधाम तीर्थ प्रबंधन बोर्ड अधिनियम-2019 को लागू करने की योजना बनाई है।

राज्य के शहरी विकास मंत्री और राज्य सरकार के प्रवक्ता मदन कौशिक ने बुधवार को बताया कि चारधाम विकास बोर्ड में मुख्यमंत्री अध्यक्ष होंगे जबकि संस्कृति विभाग के मंत्री उपाध्यक्ष होंगे। लेकिन इसमें शर्त यह है कि मुख्यमंत्री अगर हिन्दू हो तभी वे अध्यक्ष होंगे अन्यथा सरकार का एक वरिष्ठ मंत्री (जिसका हिंदू होना अनिवार्य होगा) बोर्ड का अध्यक्ष होगा।

उन्होंने बताया कि कोशिश यह है कि राज्य में जहाँ अब तक, मंदिरों को सरकारी समितियों के साथ व्यक्तिगत समितियों द्वारा शासित किया गया है वहाँ हिन्दू पूजा स्थलों के कामकाज की देखरेख के लिए एक व्यापक क़ानून पेश किया जाए। यह क़ानून, केदारनाथ और बद्रीनाथ सहित राज्य के सभी प्रमुख मंदिरों का नियमन करेगा, जिनकी देख-रेख अब केदारनाथ-बद्रीनाथ मंदिर समिति कर रही है।

कौशिक ने बताया कि नया तीर्थस्थल जम्मू-कश्मीर के कटरा ज़िले में वैष्णो देवी मंदिर और तिरुपति में बालाजी मंदिर की तर्ज़ पर काम करेगा। उन्होंने कहा कि इस क़दम का उद्देश्य राज्य के सभी प्रमुख मंदिरों में सुविधाओं में सुधार करना है, जिससे धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिल सके।

कौशिक ने कहा कि मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की अध्यक्षता में कैबिनेट की बैठक में कुल 36 प्रस्तावों पर चर्चा की गई और 35 को मंज़ूरी दे दी गई। उन्होंने चारधाम तीर्थ प्रबंधन बोर्ड अधिनियम, 2019 को शामिल किया।

कौशिक ने बताया,

”एक बार जब राज्य का सीएम बोर्ड का अध्यक्ष बन जाएगा, इसके बाद तीन सांसदों, छह विधायकों, कई सचिवों और चार धामों के पुजारियों को भी बोर्ड में सदस्य के रूप में शामिल कर लिया जाएगा।”

कौशिक ने बताया कि बोर्ड का मुख्य कार्यकारी अधिकारी एक भारतीय प्रशासनिक सेवा का अधिकारी होगा, जो पूर्व में प्राप्त पुजारियों के अधिकारों को देखेगा। उन्होंने कहा कि अगर कोई मुस्लिम सीएम होता है तो कैबिनेट का एक वरिष्ठ हिंदू मंत्री बोर्ड का अध्यक्ष होगा।

उन्होंने कहा, ”शुरुआती चरण में, बोर्ड चार धाम और 51 मंदिरों का प्रबंधन करेगा। इस संबंध में एक विधेयक आगामी सत्र में राज्य विधानसभा में पेश किया जाएगा। अधिनियम बन जाने के बाद, बोर्ड वैष्णो देवी और तिरुपति बालाजी श्राइन मैनेजमेंट बोर्ड की तर्ज़ पर काम करेगा।”

इसके अलावा, कैबिनेट ने राज्य में मदरसों के आधुनिकीकरण के लिए नियम और क़ानून बनाने का भी फ़ैसला किया है। उन्होंने बताया,

”नियम और क़ानून मदरसों को आधुनिक बनाने में मदद करेंगे। यह उनके कम्प्यूटरीकरण में मदद करेगा क्योंकि सरकार पीएम नरेंद्र मोदी के सिद्धांत ‘सबका साथ सबका विकास’ के तहत काम करती है। इसके अलावा, राज्य मंत्रिमंडल ने राज्य में अरबी-फ़ारसी मदरसा बोर्ड के लिए नियम और क़ानून बनाने का भी फ़ैसला किया।”

इसके अलावा जिन स्कूलों में इमारतें नहीं हैं, कैबिनेट ने वहाँ बांस का उपयोग करके संरचनाओं के निर्माण के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी है। वहीं, अन्य मंज़ूरियों में के बीच, राज्य मंत्रिमंडल ने घोषणा की कि वह अप्रैल में एक वेलनेस समिट-2020 का आयोजन किया जाएगा, जिसका उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे। इस कार्यक्रम में अमेरिका, संयुक्त अरब अमीरात, चीन और थाईलैंड को भागीदार देशों के रूप में शामिल किया जाएगा और इसकी मेज़बानी के लिए 25 करोड़ रुपए ख़र्च होंगे।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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