अदालत ने एयरटेल-मैक्सिस डील में आरोपित कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम और उनके बेटे कार्ति चिदंबरम को राहत देते हुए 11 जनवरी तक उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है। वैसे ये पहली बार नहीं है जब 3500 करोड़ रुपये के इस घोटाले के मामले में आरोपित पिता-पुत्र की की जमानत की तारीख को अदालत द्वारा बढ़ा दी गई हो। इस से पहले भी अदालत कई बार उन्हें रहत दे चुकी है। बता दें कि इस से पहले 27 नवंबर को यूपीए कार्यकाल में वित्त मंत्री रहे पी चिदंबरम पर मुकदमा चलाने का रास्ता साफ़ हो गया था। इसके लिए केंद्र सरकार की अनुमति की जरूरत थी जो अब मिल गई है।
कई बार मिल चुकी है अदालत से राहत
इस से पहले प्रवर्तन निदेशालय औए सीबीआइ और प्रवर्तन निदेशालय ने अदालत से कहा था कि पी. चिदंबरम जाँच में सहयोग नहीं कर रहे हैं। इस साल 30 मई को गिरफ्तारी से राहत के लिए कोर्ट में याचिका दाखिल करने के बाद से उन्हें कई मौकों पर कोर्ट से राहत मिल चुकी है। इसी साल अगस्त महीने में सीबीआई के स्पेशल जज ओपी सैनी ने उन्हें अक्टूबर तक गिरफ्तारी से राहत प्रदान की थी। उस से पहले शीर्ष अदालत ने दिल्ली उच्च न्यायलय के चिदंबरम पिता-पुत्र को जमानत देने सम्बन्धी फैसले में हस्तक्षेप करने से मना कर दिया था। बता दें कि उस समय कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने उनकी तरफ से अदालत में जिरह की थी।
मालूम हो कि इसी मामले में फरवरी में कार्ति चिदंबरम को गिरफ्तार भी किया गया था जिसके बाद मार्च में उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया। कार्ति 2014 में कांग्रेस के टिकेट पर तमिलनाडु के शिवगंगा लोकसभा क्षेत्र से चुनाव भी लड़ चुके हैं जिसमे उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।
इसके बाद दिल्ली उच्च न्यायलय ने चिदंबरम और उनके बेटे को इस साल अक्टूबर को 25 अक्टूबर को फिर से गिरफ्तारी से राहत प्रदान कर उनकी जमानत की अवधि बढ़ा दी थी। सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय ने उनके जमानत का विरोध किया था। इसके बाद पिछले ही महीने दिल्ली कि एक अदालत ने फिर से उन्हें रहत देते हुए गिरफ्तारी से बचाया था। उस समय चिदंबरम की तरफ से कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी वकील के रूप में पेश हुए थे। बता दें कि अभिषेक मनु सिंघवी कांग्रेस के राज्ययासभा सांसद हैं। कुल मिलाकर देखें तो सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय के कड़े विरोध के बावजूद अदालत द्वारा पी चिदंबरम और उनके बेटे कार्ति चिदंबरम को कई बार गिरफ्तारी से छूट प्रदान किया जा चुका है।
क्या है आरोप?
पी. चिदंबरम पर आरोप है कि उन्होंने वित्त मंत्री रहते हुए गलत तरीके से विदेशी निवेश को मंजूरी दी। उन्हें 600 करोड़ रुपये तक के निवेश की मंजूरी देने का अधिकार था, लेकिन यह सौदा करीब 3500 करोड़ रुपये निवेश का था। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अपने अलग आरोप पत्र में कहा है कि कार्ति चिदंबरम के पास से मिले उपकरणों में से कई ई-मेल मिली हैं, जिनमें इस सौदे का जिक्र है। इसी मामले में पूर्व टेलिकॉम मंत्री दयानिधि मारन और उनके भाई कलानिधि मारन भी आरोपित हैं।