Sunday, November 17, 2024
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कॉन्ग्रेस नेता सलमान खुर्शीद की बीवी को अग्रिम ज़मानत नहीं: दिव्यांगों की रकम हड़पने का मामला

सरकार से डॉक्टर ज़ाकिर अली मेमोरियल ट्रस्ट को 71 लाख रुपए के उपकरण दिव्यांग जनों को बांटने के लिए दिए गए थे। मुरादाबाद में भी संस्था को कैंप लगाकर दिव्यांगों को ट्राईसाइकिल आदि बांटने के लिए पैसे मिले थे। आरोप है कि संस्था ने उपकरण नहीं बांटकर सरकारी रकम हड़प ली थी।

कॉन्ग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद की बीबी लुईस खुर्शीद की मुश्किलें बढ़ सकती है। उनकी संस्था पर गड़बड़ी के आरोप में चल रहे मुक़दमे में उनकी ज़मानत याचिका स्थानीय अदालत ने ख़ारिज कर दी है। शुक्रवार (27 सितंबर) को ज़मानत याचिका एडीजे कोर्ट में दाखिल की गई थी। इसमें सलमान खुर्शीद की बीवी के वकील हाज़िर हुए थे। साथ ही लुईस की तरफ़ से बचाव के लिए बाहर से आए दो अधिवक्ता भी मौजूद थे।

यह मामला 2009 में सामने आया था। तत्कालीन प्रदेश सरकार से डॉक्टर ज़ाकिर अली मेमोरियल ट्रस्ट को 71 लाख रुपए के उपकरण दिव्यांग जनों को बांटने के लिए दिए गए थे। मुरादाबाद में भी संस्था को कैंप लगाकर दिव्यांगों को ट्राईसाइकिल आदि बांटने के लिए ढाई लाख रुपए मिले थे। आरोप है कि संस्था ने उपकरण नहीं बांटकर सरकारी रकम हड़प ली। इस मामले में FIR तो दर्ज हुई, लेकिन मामले की पूरी हक़ीकत 2017 के बाद सामने आई।

शुक्रवार को कोर्ट में लुईस खुर्शीद और संस्था के मैनेजर फारूकी की ओर से राहत के लिए अग्रिम ज़मानत याचिका दाखिल की गई। शुक्रवार को ज़िला जज शशिकांत शुक्ला ने कोर्ट में ज़मानत याचिका दी। लेकिन, कोर्ट ने वो याचिका एडीजे (पाँच) अनिल कुमार की कोर्ट में ट्रांसफर कर दी।

स्थानीय अधिवक्ता इमरान आदि ने तर्क दिए पर कोर्ट ने अग्रिम ज़मानत देने से इनकार कर दिया। कॉन्ग्रेस से जुड़े नेता अधिवक्ता इमरान का कहना है कि मुरादाबाद में उपकरण बांटे गए थे, इस बात के गवाह ज़िला विकलांग अधिकारी भी हैं। जबकि दिव्यांगों को उपकरण के बांटने में दर्ज FIR में लुईस खुर्शीद का नाम नहीं था, पर बाद में तफ़्तीश के दौरान उनका नाम जोड़ा गया। शुक्रवार को अग्रिम ज़मानत याचिका रद्द होने के बाद उन्होंने कहा कि अब वो हाईकोर्ट जाएँगे।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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