हरियाणा और महाराष्ट्र के विधानसभा चुनावों के नतीजे आने शुरू हो गए हैं। जहाँ महाराष्ट्र के नतीजों में भाजपा के लिए चैन की साँस का स्थान बिल्कुल है और वे सत्ता में वापसी के बेहद करीब दिख रहे हैं वहीं हरियाणा में पार्टी कर्नाटक जैसी स्थिति में फँसी लग रही है और विधानसभा त्रिशंकु होने की पूरी संभावना है। हरियाणा की जननायक जनता पार्टी और उसके अध्यक्ष दुष्यंत चौटाला किंगमेकर की भूमिका में आ गए हैं और अगर कर्नाटक वाला ही फार्मूला दोबारा इस्तेमाल हुआ तो वे ‘किंग’ भी बन सकते हैं।
ऐसे में उन एग्जिट पोलों पर उँगली उठना तय है जिन्होंने भाजपा की जीत की गलत घोषणा से हवाई आशा का माहौल बाँध दिया था।
लगभग सारे एग्जिट पोलों ने भारतीय जनता पार्टी और उसके गठबंधन राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के दोनों राज्यों में सत्ता में धमाकेदार वापसी की घोषणा की थी। राज्यवार बात करें तो टाइम्स नाउ के सर्वे ने भाजपा और शिवसेना की युति को 288 में 230 सीटें दी थीं, इंडिया टुडे और एक्सिस के पोल ने 181 क्षेत्रों में जीत की घोषणा की थी, न्यूज़ 18-इप्सोस ने चौंकाने वाला 243 सीटों का आँकड़ा मोदी-शाह की पार्टी को दिया था। एबीपी न्यूज़ के पोल में 204 सीटें मिलीं थीं, टीवी 9 मराठी ने 197 का अनुमान किया था और रिपब्लिक जन की बात ने भगवा गठबंधन को 223 सीटें दी थीं।
वहीं इन चुनावी पंडितों ने कॉन्ग्रेस और शरद पवार की राष्ट्रवादी कॉन्ग्रेस पार्टी (राकांपा) के गठबंधन के महज़ क्रमशः 81, 41, 69, 48 और 55 सीटों पर ही सिमट जाने का ऐलान किया था। और अब चुनावी नतीजों को देख कर लग रहा है कि स्टूडियो मठाधीशों ने भाजपा और राजग को कुछ अधिक ही अहमियत दे दी, और कॉन्ग्रेस व यूपीए को हल्के में ले लिया। लेकिन इतने के बाद भी राजग महाराष्ट्र में सत्ता में लौटता दिख रहा है।
अब अगर हरियाणा की बात करें तो हवाई सर्वे और सच्चाई एक दूसरे के बिलकुल उलटे दिख रहे हैं। जहाँ सभी चुनावी सर्वे भाजपा के भारी बहुमत का दावा कर रहे थे, वहीं हकीकत इससे दूर दिख रही है। टाइम्स नाउ ने भाजपा को 90 में 71 सीटें दी थीं, इप्सोस ने 75, एबीपी न्यूज़ ने 72, और न्यूज़ एक्स ने तो भाजपा की गिनती 75 से 80 के बीच रहने की भविष्यवाणी कर दी थी। यहाँ तक कि भाजपा को इन सबसे कुछ कम देने वाले टीवी 9 भारतवर्ष और जन की बात ने भी क्रमशः 47 और 52-63 सीटों की बात की थी।
केवल इंडिया टुडे और माय एक्सिस का सर्वे त्रिशंकु विधानसभा की ओर इशारा कर रहा था। उन्होंने भाजपा को 32-44 और कॉन्ग्रेस को 30-42 सीटें दी थीं। हालाँकि, राष्ट्रीय स्तर पर विकल्पहीनता का माहौल ज़रूर है, लेकिन राज्य चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी के सामने स्थानीय मुद्दों की वजह से विपक्ष आज भी ताकतवर है।