कॉन्ग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा समारोह में शामिल नहीं होने का फैसला किया है। लेकिन हिमाचल प्रदेश की कॉन्ग्रेस सरकार के मंत्री विक्रमादित्य सिंह इस अवसर पर अयोध्या में उपस्थित रहेंगे। उन्होंने कहा है कि एक हिंदू होने के नाते यह उनकी जिम्मेदारी बनती है।
विक्रमादित्य सिंह हिमाचल के लोक निर्माण विभाग के मंत्री हैं। वे पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह और कॉन्ग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष प्रतिभा सिंह के पुत्र हैं। उन्होंने बताया है कि वे प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने के लिए 17 जनवरी को अयोध्या रवाना होंगे।
विक्रमादित्य सिंह ने प्राण-प्रतिष्ठा समारोह का न्योता देने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) और विश्व हिंदू परिषद (VHP) का आभार भी जताया है। उन्होंने कहा है, “यह कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं है। मैं हिमाचल प्रदेश से आमंत्रित किए गए कुछ लोगों में शामिल होने पर स्वयं को भाग्यशाली मानता हूँ। मुझे और मेरे परिवार को यह सम्मान देने के लिए आरएसएस और विहिप को धन्यवाद देता हूँ।”
सिंह ने कहा, “इस ऐतिहासिक दिन का हिस्सा बनने का जीवन में एक बार मिलने वाला अवसर है। ‘देव समाज’ में विश्वास रखने वाले एक हिंदू के रूप में यह मेरी जिम्मेदारी है कि मैं इस अवसर पर मौजूद रहूँ और भगवान राम की ‘प्राण प्रतिष्ठा’ का साक्षी बनूँ।”
पीडब्ल्यूडी मंत्री सिंह ने न्योता मिलने से पहले 4 जनवरी को कहा था कि वे अपनी ‘सुविधा’ के मुताबिक राम मंदिर का दौरा करेंगे। उन्होंने था, “मैं एक हिंदू धर्मनिष्ठ परिवार से आता हूँ और मंदिर की मेरी यात्रा का राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है। मैंने रिकॉर्ड पर कहा है कि हमारी मान्यताओं का राजनीतिक विचारधारा से कोई लेना-देना नहीं है। ये मेरे और मेरे परिवार के लिए गहरी आस्था का विषय है। मैं निश्चित रूप से राम मंदिर जाऊँगा।”
गौरतलब है कि राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा समारोह के लिए कॉन्ग्रेस पार्टी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, पूर्व पार्टी अध्यक्ष सोनिया गाँधी और लोकसभा में पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी को आमंत्रित किया गया था। लेकिन उन्होंने इसे ठुकरा दिया है। पार्टी के जनरल सेक्रेटरी (कम्युनिकेशंस) जयराम रमेश ने RSS और बीजेपी पर राम मंदिर को राजनीतिक प्रोजेक्ट बनाने आरोप जड़ते हुए कहा था कि निर्माण पूरा हुए बिना राम मंदिर का उद्घाटन चुनावी फायदे के लिए किया जा रहा है।
हालाँकि इस स्टैंड को लेकर पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने विरोध जताया है। संभल के कल्किधाम पीठाधीश्वर आचार्य प्रमोद कृष्णम ने इस फैसले का विरोध करते हुए कहा था कि श्री राम मंदिर के निमंत्रण को ठुकराना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और आत्मघाती फ़ैसला है। वहीं गुजरात की पोरबंदर सीट से पार्टी विधायक अर्जुन मोढवाडिया ने भी इस फैसले का विरोध किया है। उन्होंने कहा था, “भगवान श्री राम आराध्य देव हैं। यह देशवासियों की आस्था और विश्वास का विषय है। कॉन्ग्रेस को ऐसे राजनीतिक निर्णय लेने से दूर रहना चाहिए था।’