बिहार महागठबंधन में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। कॉन्ग्रेस को बिहार में तगड़ा झटका लगा है। पूर्व केंद्रीय राज्यमंत्री शकील अहमद ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर पार्टी को सांसत में डाल दिया है। मधुबनी से 2 बार सांसद रहे शकील के बग़ावती तेवर से कॉन्ग्रेस को क्षेत्र में अच्छा-ख़ासा घाटा होने की उम्मीद है। शकील अहमद ने एक ट्वीट कर ऑल इंडिया कॉन्ग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता पद से इस्तीफा देने की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि वे अपना इस्तीफा पार्टी अध्यक्ष राहुल गाँधी को भेजने जा रहे हैं। शकील अहमद कल मंगलवार (अप्रैल 16, 2019) को मधुबनी से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में पर्चा दाखिल करेंगे।
कॉंग्रेस के लिये बिहार से बुरी ख़बर। शकील अहमद जैसे वरिष्ठ प्रवक्ता और पूर्व केन्द्रीय मंत्री को पार्टी छोडनी पड़ रही है. उनकी अपनी मधुबनी सीट गठबंधन की भेंट चढ गई और अब इस पर #VIP के उम्मीदवार किस्मत आजमा रहे हैं। एक अनुभवी मुस्लिम चेहरे की नाराज़गी @INCIndia को भारी ना पड जाये! https://t.co/xZEY4IpjvC
— Sumit Awasthi (@awasthis) April 15, 2019
शकील अहमद पार्टी से इसीलिए नाराज़ चल रहे थे क्योंकि मधुबनी सीट बिहार महागठबंधन के समझौतों के बाद मुकेश साहनी की पार्टी वीआईपी को दे दी गई। इससे पहले अहमद ने पत्रकारों से कहा था कि उन्होंने अपनी पार्टी से समर्थन माँगा है और समर्थन न मिलने की स्थिति में उनका निर्दलीय लड़ना तय है। शकील अहमद ने उदाहरण देते हुए कहा कि जैसे सुपौल में कॉन्ग्रेस उम्मीदवार रंजीत रंजन के विरुद्ध राजद समर्थक उम्मीदवार मैदान में है, ठीक उसी तरह मधुबनी में भी उन्हें कॉन्ग्रेस का समर्थन मिलना चाहिए। उन्होंने पूछा कि अगर सुपौल में ऐसा हो सकता है तो मधुबनी में क्यों नहीं?
शकील अहमद ने कहा कि महागठबंधन प्रत्याशी मधुबनी में भाजपा के ख़िलाफ़ जीतने की ताक़त नहीं रखता है। बता दें कि मधुबनी से मौजूदा भाजपा सांसद हुकुमदेव नारायण यादव के बेटे अशोक यादव मैदान में हैं। सांसद के तौर पर अपनी उपलब्धियों के लिए पुरस्कृत हो चुके हुकुमदेव पद्म भूषण भी प्राप्त कर चुके हैं। पाँच बार सांसद रह चुके यादव 2 बार शकील अहमद से हार भी चुके हैं। 1999 आम चुनाव में उन्होंने शकील अहमद को हराया भी था। इलाक़े में दोनों के बीच हमेशा काँटे की टक्कर रहती है। वहीं अशोक यादव भी विधायक रह चुके हैं। शकील द्वारा नामांकन भरने से यहाँ मुक़ाबला त्रिकोणीय हो जाएगा। हुकुमदेव ने सक्रिय राजनीति से संन्यास की घोषणा कर दी है।
शकील अहमद यूपीए के पहले कार्यकाल के दौरान संचार, आईटी और गृह सहित कई अहम मंत्रालयों में केन्द्रीय राज्यमंत्री रह चुके हैं। शकील अहमद बिहार की राबड़ी देवी सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रह चुके हैं। पार्टी संगठन में सक्रिय शकील को 2011 में पश्चिम बंगाल में कॉन्ग्रेस का प्रभारी नियुक्त किया गया था। शकील अहमद ने दावा किया है कि कॉन्ग्रेस के कार्यकर्ता और स्थानीय नेता उनके साथ हैं, जिससे उन्हें मधुबनी में भाजपा को हराने में मदद मिलेगी। दिल्ली, हरियाणा और पंजाब में भी पार्टी के प्रभारी रह चुके शकील कॉन्ग्रेस के महासचिव के तौर पर भी काम कर चुके हैं।
मुकेश साहनी की पार्टी वीआईपी ने मधुबनी से पूर्व राजद नेता बद्रीनाथ पूर्वे को टिकट दिया है। बिहार महागठबंधन ख़ासकर राजद के नेता तेज प्रताप यादव के बग़ावत के कारण पहले ही परेशान हैं। अब शकील अहमद की नाराज़गी भी खुल कर बाहर आ गई है। मधुबनी मिथिलांचल की प्रमुख सीटों में से एक है जहाँ शकील अहमद के मैदान में उतरने के बाद मुक़ाबला दिलचस्प हो जाएगा।