हाल में अपने बयानों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ कर के अपनी पार्टी यानी कॉन्ग्रेस के निशाने पर आने वाले शशि थरूर ने रविवार को कॉन्ग्रेस पार्टी को कुछ जरूर राय दी है। शशि थरूर (Shashi Tharoor) ने कहा कि पार्टी की जिम्मेदारी है कि वह ‘ज़ीरो’ होकर ख़त्म होने से बचने के लिए अपनी धर्मनिरपेक्षता की नीति की रक्षा करे।
शशि थरूर ने इस बात पर जोर दिया कि कॉन्ग्रेस पार्टी को धर्मनिरपेक्षता की रक्षा करनी चाहिए। उन्होंने स्पष्ट किया कि ऐसा सोचना कि हिंदी पट्टी में बीजेपी से मुकाबला करने के लिए बहुसंख्यक तुष्टीकरण जरूरी है, गलत है। यदि मतदाता के पास असली चीज और उसकी नकल के बीच किसी एक को चुनने का विकल्प हो, तो वह हर बार असली को ही चुनेगा।
‘बहुसंख्यक तुष्टिकरण से कॉन्ग्रेस हो जाएगी ज़ीरो’
अपनी किताब ‘दि हिंदू वे: एन इंट्रोडक्शन टू हिंदुइज्म’ के लोकार्पण से पहले एक साक्षात्कार में थरूर ने कहा- “हिंदी पट्टी में पार्टी के संकट का समाधान ‘बहुसंख्यक तुष्टीकरण’ में या ‘कोक लाइट’ की तर्ज पर किसी तरह के ‘लाइट हिंदुत्व’ की पेशकश में नहीं है और इस राह पर चलने से ‘कॉन्ग्रेस जीरो’ हो जाएगी।”
उन्होंने अपने बयान में यह भी आरोप लगाया कि भाजपा और उसके सहयोगियों द्वारा हिंदू होने का दावा ‘ब्रिटिश फुटबॉल के बदमाश समर्थकों’ की अपनी टीम के प्रति वफादारी से अलग नहीं है।
‘अधिकांश भारतीय रूढ़िवादिता का विरोध करते हैं’
तिरुअनंतपुरम से कॉन्ग्रेस सांसद थरूर ने कहा कि एक सतर्क आशावादी के रूप में वह कहना चाहेंगे कि बड़ी संख्या में ऐसे भारतीय हैं, जो हाल के ‘रूढ़िवादी रुझान’ का विरोध करने के लिए प्रतिबद्ध हैं और वे लगातार यह सुनिश्चित करेंगे कि भारत को लेकर ‘विकृत विचार’ सफल न हो।
इस बातचीत में थरूर ने दावा किया कि सत्तारूढ़ लोगों द्वारा जो प्रचार किया जा रहा है वह सही मायनों में हिंदुत्व नहीं है, बल्कि वह एक महान मत को ‘विकृत करना’ है, जिसे उन्होंने विशुद्ध राजनीतिक और चुनावी लाभ के लिए एक संकीर्ण राजनीतिक हथियार में बदल दिया है।
‘भाजपा की सफलता से डरने की जरूरत नहीं’
थरूर ने कहा कि भाजपा की सफलता से भयभीत होने के बजाय कॉन्ग्रेस के लिए बेहतर होगा कि वह उन सिद्धांतों के लिए खड़ी हो, जिन पर उसने हमेशा विश्वास किया है और देश को उनके अनुसरण के लिए प्रेरित करे।
उन्होंने यह भी कहा कि हिंदुत्व की खूबसूरती यह है कि हमारे यहाँ कानून बनाने के लिए न तो कोई पोप होता है और न ही ‘सच्चाई क्या है’ इस पर कोई इमाम फतवा जारी करता है। साथ ही न कोई अकेला पवित्र ग्रंथ होता है।