प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जादू कह लीजिए या उनके प्रति देशवासियों का प्रेम और स्नेह कि वे अगर मिट्टी भी छू लें तो सोना हो जाए। यह कुछ उनके किसी चुनावी रैली में दिए गए भाषण का अंग नहीं है, जब उन्होंने खुद को भाग्यशाली कहा था। न ही लिट्टी चोखा कोई ‘मिट्टी’ ही है जिसे छूकर सोना बनाया जा सकता है। उदाहरण थोड़ा कम उपयुक्त हो सकता है, पर आप ‘उपमा’ का क्या कीजिएगा, जब संदर्भ-प्रसंग का अंदाजा आप को हो ही चुका होगा तो केवल ‘भाव’ पकड़िए न!
खैर राजपथ के लॉन में आयोजित हुनर हाट में मोदी ने रुक कर जो पूर्वांचल विशेषकर बिहार के सबसे लोकप्रिय स्नैक/भोजन लिट्टी चोखा का स्वाद क्या लिया, लिट्टी-चोखा ट्रेंड करने लगा।
एक तरफ जहाँ लिट्टी चोखा के उस स्टॉल पर टूट रही भीड़ संभाले नहीं सम्भल रही, वहीं मोदी के लिट्टी-चोखा खाते हुए वायरल हो चुकीं तस्वीरें लिबरल्स को बुरे सपनों की तरह रात-रात भर परेशान कर रही हैं।
लिबरल्स की परेशानी तो समझी जा सकती है पर उस लिट्टी चोखा स्टॉल के रंजन राज की तो जैसे किस्मत ही खुल गई। पटना के रहने वाले रंजन राज बताते हैं कि उनके स्टॉल पर इतनी भीड़ हो रही है- लिट्टी चोखा खाने वालों की, कि उन्हें बुजुर्गों के लिए अलग से लाइन लगानी पड़ रही है!
रिपोर्ट्स के अनुसार अब तक जो स्टॉल लगभग गुमनाम था, अब वहाँ लोगों की भीड़ उमड़ रही है, लिट्टी चोखा खाते हुए लोग सेल्फी ले रहे हैं। पीएम मोदी के यहाँ पर लिट्टी चोखा खाने के बाद एक तरफ परिजन से मिलने वाली बधाइयां और दूसरी तरफ लिट्टी-चोखा खाने के लिए आने वाले लोगों की संख्या को देखकर, पटना के रहने वाले स्टॉल संचालक रंजन राज गदगद हैं।
यह तो हुई नरेंद्र मोदी के किसी लिट्टी चोखा स्टॉल पर रुकने और लिट्टी चोखा खाने की कहानी, अब जरा मोदी को लेकर अनर्गल बयानबाजी करते हुए घूमने वाले राहुल गाँधी के ही ऐसे किसी किस्से पर बात हो जाए वर्ना छेनू कुमार गोदी मीडिया कहकर रोने लगेंगे।
तो हुआ कुछ यूँ था कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान रायचूर पहुँचे ‘शिव भक्त जनेऊधारु’ राहुल जी भी किसी चाय पकोड़ा वाली दुकान पर ठहरे थे, अपने “जनेऊधारी” ने वहाँ मिर्ची वाले पकौड़े भी खाए थे। जिसके बाद ‘मौलाना ढाबा’ नामक उस दुकान के मालिक ने उनकी तस्वीर भी मढ़वा कर दुकान पर टाँग दी थी। अब सुनते हैं वो दुकान बंद हो गई है। सोशल मीडिया पर इसको लेकर खूब मजे लिए जा रहे हैं वहीं कुछ का कहना है कि दुकान के मालिक के यहाँ कोई शादी है और इस कारण दुकान बंद हुई है।
खैर कारण जो भी हो पर अगर यहाँ भी कुछ लोगों को लगे कि इसमें भी मोदी का हाथ है और उनको इस्तीफा देना चाहिए, तो वे बेशक अपने ‘पनौती’ बाबा के नाम का बिल मोदी के नाम फाड़ सकते हैं। आखिर इतनी तो आजादी हैए है अभी।