दिल्ली विधानसभा चुनावों की मतगणना जारी है, ऐसे में उन नेताओं पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं, जिन्होंने अपनी पार्टी को छोड़कर दूसरे राजनीतिक दलों में जाकर अपनी पैठ जमाई और फ़िर विधानसभा का टिकट भी हासिल किया। बस इंतजार है दिल्ली के चुनावी परिणाम का।
दिल्ली विधानसभा चुनावों को जीतने के लिए मैदान में उतरे विभिन्न दलों के प्रत्याशियों की किस्मत का फैसला आज हो जाएगा। इस बीच अपने दल को छोड़ दूसरे दल से मैदान में उतरे उन प्रत्याशियों पर सभी की निगाहें हैं,
क्योंकि दिल्ली का यही चुनावी परिणाम उनकी भविष्य की राजनीति तय करेगा। दिल्ली में एक-दो नहीं करीब 10 से भी अधिक प्रत्याशी ऐसे हैं, जिन्होंने पार्टी को छोड़कर दूसरी राजनीतिक पार्टी को ज्वॉइन किया और फ़िर उस पार्टी की टिकट से मैदान में भी उतरे। ऐसे प्रत्याशियों में आम आदमी पार्टी से चुनाव लड़ने वाले सबसे अधिक नेता हैं।
ॐ असतो मा सद्गमय।
— Manish Sisodia (@msisodia) February 11, 2020
तमसो मा ज्योतिर्गमय।
मृत्योर्मामृतं गमय।।
हे ईश्वर! हमको असत्य से सत्य की ओर ले चलो। अंधकार से प्रकाश की ओर ले चलो। मृत्यु से अमरता के भाव की ओर ले चलो।
दल बदलकर चुनाव लड़ने वालों में सबसे अधिक आम आदमी पार्टी से मैदान में है। इसमें द्वारका से महाबल मिश्रा के बेटे विनय मिश्रा, बदरपुर से रामसिंह नेताजी, मटियामहल से शोएब इकबाल, चाँदनी चौक से प्रहलाद साहनी, हरि नगर से राजकुमारी ढिल्लन समेत अन्य नेता हैं। पार्टी के साथ इनकी भी प्रतिष्ठा दाँव पर है। दल बदलने के बाद चुनावी नतीजों से इनके आगे का राजनीतिक भविष्य तय होगा।
Delhi Election Result early trends… AAP leading.. pic.twitter.com/w0Z4hkTLTi
— Nad (@nadeemripples) February 11, 2020
इस लिस्ट में कपिल मिश्रा का नाम भी आता है, जोकि आम आदमी पार्टी से विधायक रहे, लेकिन उन्होंने AAP का साथ छोड़ा और बीजेपी में शामिल हुए, फ़िर मॉडल टाउन से दिल्ली विधानसभा का टिकट भी हासिल किया। वहीं दूसरा नाम आता है अल्का लांबा का, जोकि AAP से निकलकर कॉन्ग्रेस में शामिल हुईं और चाँदनी चौक विधानसभा से टिकट भी हासिल किया। ऐसे ही कुछ अनिल वाजपेयी हैं, जोकि AAP को छोड़कर बीजेपी के टिकट से चुनावी मैदान में हैं।
वहीं टिकट कटने से नाराज AAP विधायक एनडी शर्मा भी हैं, जो इस बार बसपा से बदरपुर से चुनाव लड़े। कमांडो सुरेंद्र दिल्ली कैंट से एनसीपी के टिकट पर चुनाव लड़े। उनकी हार जीत आगे का राजनीतिक भविष्य तय होगा। हालाँकि यह सभी नेता अपनी जीत को लेकर आश्वस्त है। वहीं गौर करें तो हरियाणा विधानसभा चुनावों में जनता ने दल-बदलू नेताओं को महत्व नहीं दिया था, जिसमें सबसे अधिक बीजेपी पार्टी को नुकसान उठाना पड़ा था।
कॉन्ग्रेस नेता ने डेढ़ घंटे में ही मान ली हार, ट्वीट कर ‘पहली फुरसत’ में निकल लिए