दिल्ली शराब घोटाला मामले में जेल में बंद मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल की इन्सुलिन और वीडियो कॉल सम्बन्धित याचिका एक कोर्ट ने खारिज कर दी है। उनकी इस याचिका का जाँच एजेंसी प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने विरोध किया था। केजरीवाल पर एजेंसी ने आरोप लगाया था कि वह जानबूझ कर मीठी चीजें खा रहे हैं जिससे उन्हें मेडिकल आधार पर जमानत मिल सके।
जानकारी के अनुसार, दिल्ली के न्यायालय ने केजरीवाल की रोज 15 मिनट निजी डॉक्टर के साथ वीडियो कॉल की माँग वाली याचिका को खारिज किया। CM केजरीवाल ने कोर्ट से यह माँग कि थी कि उन्हें यह सुविधाएँ उपलब्ध करवाने के लिए तिहाड़ जेल प्रशासन को आदेश दिया जाए। हालाँकि, कोर्ट ने तिहाड़ प्रशासन को आदेश दिया है कि वह केजरीवाल को अच्छी स्वास्थ्य सुविधाएँ उपलब्ध करवाए। कोर्ट ने यह भी आदेश दिया कि AIIMS के डॉक्टरों से सलाह लेकर आगे की कार्रवाई की जाए।
कोर्ट ने यह भी कहा कि मेडिकल बोर्ड इस बात का निर्णय करेगा कि मुख्यमंत्री केजरीवाल को इन्सुलिन दी जाए या नहीं। मेडिकल बोर्ड इस बात का निर्णय भी करेगा कि केजरीवाल को क्या खिलाया-पिलाया जाए और साथ ही उनके लिए व्यायाम का खाका भी तैयार करे।
केजरीवाल की इस याचिका पर फैसला पिछले शुक्रवार को सुरक्षित रख लिया गया था। सोमवार (22 अप्रैल, 2024) को इस मामले में फैसला सुनाया गया। इस मामले में ED ने केजरीवाल को वीडियो कॉल सुविधा दिए जाने का विरोध किया था। ED ने कहा कि केजरीवाल जानबूझ कर आम खा रहे हैं ताकि उनका सुगर स्तर बढ़ जाए और वह इसका उपयोग मेडिकल आधार पर जमानत में कर सकें।
इस मामले में तिहाड़ जेल की तरफ से पेश हुए वकील ने कहा कि केजरीवाल के संबंध में AIIMS के डॉक्टरों की राय ली गई थी। तिहाड़ के वकील ने बताया कि AIIMS के डॉक्टरों ने राय दी कि डायबिटीज वाले रोगियों को आम नहीं खाने चाहिए और साथ ही केजरीवाल का डायबिटीज स्तर अभी नियंत्रण में है। उन्होंने यह भी बताया कि केजरीवाल को इन्सुलिन देने की कोई आवश्यकता नहीं है। इससे पहले सोमवार को ही केजरीवाल की जमानत सम्बंधित एक याचिका खारिज की गई थी।
गौरलतब है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल को 21 मार्च, 2024 को प्रवर्तन निदेशालय ने दिल्ली शराब नीति घोटाला मामले में गिरफ्तार किया था। वह तब से न्यायिक हिरासत में हैं। उनकी न्यायिक हिरासत 23 अप्रैल, 2024 तक है। उन्होंने जमानत के लिए भी याचिका दाखिल की थी।