समय-समय पर कश्मीर की आज़ादी का राग अलापने वाली जेएनयू की शेहला रशीद द्वारा भारतीय सेना के ख़िलाफ़ ट्वीट करने के मामले में शुक्रवार (15 नवंबर) को हुई सुनवाई में दिल्ली की एक अदालत ने दिल्ली पुलिस (Delhi Police) को शेहला राशिद को गिरफ़्तार करने की स्थिति में 10 दिन पूर्व गिरफ़्तारी नोटिस जारी करने का निर्देश दिया है। दरअसल, दिल्ली की अदालत ने आरोपित शेहला राशिद की अग्रिम ज़मानत याचिका पर यह फै़सला दिया है।
A Delhi court directs police to issue 10 day pre-arrest notice to Shehla Rashid if the need arises to arrest her in the alleged case of defaming Indian Army on social media, while disposing of her anticipatory bail application. pic.twitter.com/N8fMY7AqZy
— ANI (@ANI) November 15, 2019
शेहला हाल ही में कश्मीर को लेकर सनसनीखेज दावें कर सुर्खियों में आई थीं, जब उन्होंने कहा था कि आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद सेना लोगों को प्रताड़ित कर रही है। इस मामले को लेकर उनके ख़िलाफ़ राजद्रोह का मुक़दमा किया गया था। इसके अलावा, उन्होंने कश्मीर की चुनावी राजनीति से अलग रहने का ऐलान भी किया था।
उन्होंने यह घोषणा ऐसे वक़्त में की थी जब जम्मू-कश्मीर में बीडीसी यानी ब्लॉक डेवलपमेंट कौंसिल के चुनाव होने थे। राजनीति से तौबा करने का दोष भी उन्होंने केंद्र की मोदी सरकार पर ही मढ़ा। उन्होंने कहा था कि कश्मीर में जो कुछ हो रहा है उसे वह बर्दाश्त नहीं कर पा रहीं, इसलिए चुनावी राजनीति से दूर रहने का फ़ैसला किया है। इसकी जानकारी उन्होंने ट्वीट कर दी थी।
I’d like to make clear my dissociation with the electoral mainstream in Kashmir. Participation in the electoral process in a situation where even the election rhetoric is to be dictated by the centre will only amount to legitimising the actions of the Indian govt in #Kashmir pic.twitter.com/7PMi2aIZdw
— Shehla Rashid شہلا رشید (@Shehla_Rashid) October 9, 2019
ग़ौरतलब है कि शेहला ने इस साल की शुरुआत में पूर्व आईएएस और जम्मू-कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट (जेकेपीएम) के नेता शाह फैसल की पार्टी भी ज्वाइन की थी। लेकिन, केंद्र सरकार ने 5 अगस्त को अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया। इसके बाद से आतंकवाद की दुकान बंद होने के गम में देशभर के वामपंथी गिरोह ने तमाम तरीकों से छाती कूटकर कर अपना गुस्सा ज़ाहिर किया।