दिल्ली में आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार की तीसरी बार वापसी होने वाली है। रुझानों में AAP को 62 सीटें मिलती दिख रही है। वहीं, भारतीय जनता पार्टी 12 सीटों पर आगे है, लेकिन कॉन्ग्रेस खाता तक नहीं खोल पाई। कॉन्ग्रेस के प्रदर्शन पर अब उनके नेता ही सवाल उठाने लगे हैं।
We r again decimated in Delhi.Enuf of introspection, time 4 action now. Inordinate delay in decision making at the top, lack of strategy & unity at state level, demotivated workers, no grassroots connect-all r factors.Being part of d system, I too take my share of responsibility
— Sharmistha Mukherjee (@Sharmistha_GK) February 11, 2020
चुनाव परिणाम आने के बाद कॉन्ग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रणव मुखर्जी की बेटी शर्मिष्ठा मुखर्जी ने ट्वीट किया, “दिल्ली में हम एक बार फिर नकार दिए गए। आत्ममंथन बहुत हो चुका, अब कार्रवाई का वक्त है। शीर्ष पर निर्णय लेने में देरी, रणनीति और राज्य स्तर पर एकता में कमी, हतोत्साहित कार्यकर्ता, जमीनी स्तर पर जुड़ाव में कमी- ये सभी कारक रहे हैं। सिस्टम का हिस्सा होने के नाते, मैं अपने हिस्से की जिम्मेदारी लेती हूँ।”
चुनाव नतीजों में अब तक पार्टी का एक भी जगह पर खाता नहीं खुला है। इस बीच पार्टी के भीतर की अंदरूनी कलह भी सामने आने लगी है। शर्मिष्ठा मुखर्जी ने इस ट्वीट के जरिए दिल्ली की हार पर जमकर सवाल खड़े किए। शर्मिष्ठा ने इसके लिए पार्टी आला कमान को भी जिम्मेदार ठहराया है।
इसके साथ ही कॉन्ग्रेस सांसद प्रताप सिंह बाजवा ने दिल्ली विधानसभा चुनाव में हार के लिए पार्टी के निराशाजनक प्रदर्शन को दोषी ठहराया है। प्रताप सिंह बाजवा ने मंगलवार (फरवरी 11, 2020) को दिल्ली चुनाव में हार के लिए दिल्ली कॉन्ग्रेस इकाई को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा कि स्थानीय कॉन्ग्रेस इकाई के बीच मतभेद और आधा-अधूरा प्रचार की वजह से पार्टी की ये हालत हुई है। बाजवा ने कहा कि कॉन्ग्रेस आलाकमान ने दिल्ली की जमीनी स्थिति से अच्छी तरह वाकिफ होने के बावजूद उन्होंने कोई काम नहीं किया और AAP को आसानी से वॉकओवर दे दिया।
बता दें कि कॉन्ग्रेस पहले से ही हार के लिए आश्वस्त थी। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा था, “ये तो हम पहले से ही जानते थे, लेकिन सबसे बड़ी बात यह है कि भाजपा का क्या परिणाम हुआ? जो इतनी लम्बी-लम्बी बातें करते हैं।” वहीं कॉन्ग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी तो पहले से ही अपनी हार से आश्वस्त नजर आए। उन्होंने कहा, “दिल्ली में कॉन्ग्रेस पार्टी ने सत्ता पर कब्ज़ा करने का कभी नहीं सोचा, हमने सोचा था कि कॉन्ग्रेस कुछ सीटें जीते और दिल्ली में कॉन्ग्रेस पार्टी का अस्तित्व बना रहे।”