दिल्ली हाईकोर्ट ने पशुपति पारस को लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) का नेता मानने के खिलाफ चिराग पासवान की याचिका खारिज कर दी है। केंद्रीय मंत्रिमंडल के विस्तार के बाद LJP सांसद पासवान ने बुधवार (7 जुलाई, 2021) को चाचा पशुपति कुमार पारस के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। हालाँकि, अदालत ने शुक्रवार (9 जुलाई, 2021) को उनकी यह याचिका खारिज कर दी। पारस ने बुधवार को कैबिनेट मंत्री के तौर पर शपथ ली थी। चिराग ने इसका भी विरोध किया था।
HC dismisses LJP leader Chirag Pawan’s plea challenging LS Speaker’s decision to recognise Pashupati Paras as leader of party in the House
— Press Trust of India (@PTI_News) July 9, 2021
पासवान की इस याचिका को लेकर दिल्ली उच्च न्यायालय की न्यायमूर्ति रेखा पल्ली ने कहा, “मुझे इस याचिका में कोई दम नजर नहीं आ रहा।” पशुपति पारस की तरफ से पेश वकील ने कहा कि जो लेटर पारस ने लोकसभा अध्यक्ष को दिया था उस समय पशुपति पारस पार्टी के चीफ व्हिप थे और बाद में पार्टी के लीडर चुने गए थे। कोर्ट ने कहा कि आपको चुनाव आयोग जाना चाहिए। यहाँ नहीं आना चाहिए था। उल्लेखनीय है कि अदालत इस मामले में चिराग पासवान पर जुर्माना भी लगाना चाहती थी लेकिन उनके वकील के अनुरोध करने के बाद उसने ऐसा नहीं किया।
LJP के नेता चिराग पासवान ने सीधे PM नरेंद्र मोदी को चुनौती दी थी। चिराग ने पटना में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा था, “LJP कोटे से निष्कासित सांसद पशुपति पारस को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किया गया, तो मैं कोर्ट जाऊँगा। राष्ट्रीय अध्यक्ष मैं हूँ, पार्टी भी मेरी है। समर्थन भी मेरे पास है। मेरी अनुमति के बिना, पार्टी के कोटे से किसी भी सांसद को मंत्री बनाना गलत है।”
बता दें कि LJP में 13 जून की शाम से कलह शुरू हुई थी। 14 जून को चिराग पासवान को छोड़ बाकी पाँचों सांसदों ने संसदीय बोर्ड की बैठक बुलाई थी। इसमें हाजीपुर सांसद पशुपति कुमार पारस को संसदीय बोर्ड का नया अध्यक्ष चुन लिया गया। इसकी सूचना लोकसभा स्पीकर को भी दे दी गई। 14 जून की शाम तक लोकसभा सचिवालय से उन्हें मान्यता भी मिल गई थी। इधर चिराग पासवान ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाकर पाँचों बागी सांसदों को LJP से हटाने की अनुशंसा कर दी। फिर 17 जून को पटना में पारस गुट की बैठक में उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुन लिया गया।