Sunday, November 17, 2024
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जब सांसद ही नहीं रहीं तो बंगला किस बात के लिए मिले, हाई कोर्ट ने ठुकराई महुआ की याचिका, खाली करना होगा बंगला

"याचिकाकर्ता को सरकारी बंगला इसलिए मिला था क्योंकि वह सांसद थीं। उनके संसद से निकाले जाने के बाद उनका यह पद चला गया है। कोर्ट के पास ऐसा कोई नियम नहीं है, जो किसी सांसद के संसद से निकाले जाने के बाद उसके सरकारी घर में रहने सम्बन्धी मसलों से निपटता हो।"

संसद से निष्कासित तृणमूल कॉन्ग्रेस की पूर्व सांसद महुआ मोइत्रा को दिल्ली हाई कोर्ट से बड़ा झटका लगा है। दिल्ली हाई कोर्ट ने महुआ को दिल्ली का सरकारी बंगला खाली करने के मामले में कोई भी राहत देने से इंकार कर दिया है। इससे पहले 16 जनवरी, 2024 को महुआ को घर खाली करने का नोटिस मिला था।

दिल्ली हाई कोर्ट ने महुआ की याचिका को ख़ारिज करते हुए कहा, “याचिकाकर्ता को सरकारी बंगला इसलिए मिला था क्योंकि वह सांसद थीं। उनके संसद से निकाले जाने के बाद उनका यह पद चला गया है। कोर्ट के पास ऐसा कोई नियम नहीं है, जो किसी सांसद के संसद से निकाले जाने के बाद उसके सरकारी घर में रहने सम्बन्धी मसलों से निपटता हो।”

दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि उनके संसद से निकाले जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने अभी रोक नहीं लगाई है, इसलिए बंगले से उनको बाहर किए जाने के मामले में उन्हें वह कोई भी राहत संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत नहीं दे सकता। उनकी सुप्रीम कोर्ट में लगाई गई याचिका की सुनवाई 24 जनवरी, 2024 को होगी।

संपदा निदेशालय (डायरेक्टरेट ऑफ एस्टेट्स) ने मंगलवार (16 जनवरी 2024) को उन्हें सरकारी बंगले से बेदखल करने का नोटिस जारी किया था। केंद्रीय आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय से मिली जानकारी के मुताबिक, पूर्व टीएमसी एमपी महुआ मोइत्रा से सांसद के तौर पर उन्हें आवंटित हुए सरकारी बंगले को तुरंत खाली करने को कहा गया था।

बताते चलें कि उन्हें 8 दिसंबर, 2023 को लोकसभा से निष्कासित कर दिया गया था। इसके बाद संसद की हाउसिंग कमिटी ने महुआ को एक महीने के अंदर 7 जनवरी 2024 तक बंगला खाली करने को कहा था। बकायदा महुआ को 11 दिसंबर 2023 को केंद्रीय आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय ने पत्र भेजकर इस आदेश से अवगत कराया था। इसके बाद 12 दिसंबर को उन्हें तीसरा नोटिस दिया गया, लेकिन इस आदेश को चुनौती देने के लिए वो 18 दिसंबर 2023 को दिल्ली हाई कोर्ट जा पहुँची थीं।

दिल्ली HC में डाली गई याचिका में महुआ ने कहा था, ”उन्हें (महुआ को) सरकारी घर खाली करने का आदेश वक्त से पहले दिया गया है, क्योंकि याचिकाकर्ता के निष्कासन की वैधता अभी देश के सुप्रीम कोर्ट के सामने लंबित है।”

दिल्ली हाई कोर्ट को दी गई याचिका में महुआ ने डायरेक्टरेट ऑफ एस्टेट्स के 11 दिसंबर के आदेश को रद्द करने का अनुरोध किया था। उन्होंने कहा कि अगर ऐसा नहीं हो सकता तो कम से कम उन्हें उनके सरकारी आवास में वैकल्पिक तौर पर 2024 लोकसभा चुनाव के नतीजे आने तक रहने की मंजूरी दी जाए।

हाई कोर्ट को दी गई याचिका में टीएमसी नेता महुआ ने ये तक कह डाला था, “मुझे 2019 के आम चुनावों में पश्चिम बंगाल के कृष्णानगर निर्वाचन क्षेत्र से चुनकर पहली बार लोकसभा भेजा गया था। टीएमसी ने उन्हें 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए भी वहाँ से अपना उम्मीदवार बनाया है।”

हाई कोर्ट ने उन्हें 4 जनवरी 2024 को सुनवाई का वक्त दिया था। महुआ की अर्जी पर सुनवाई के बाद जज ने बताया कि केंद्र सरकार की संपत्ति के लिए निदेशालय में आवेदन किया जाना चाहिए, कोर्ट इसमें कुछ नहीं कर सकता।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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