तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि (RN Ravi) को जान से मारने की धमकी देने वाले सत्ताधारी DMK के प्रवक्ता शिवाजी कृष्णमूर्ति को पार्टी से निलंबित कर दिया है। राज्यपाल पर आपत्तिजनक बयानबाजी करने के के बाद पार्टी ने उन्हें तत्काल प्रभाव से सभी जिम्मेदारियों से अस्थायी रूप से हटा दिया।
कृष्णमूर्ति ने विवादित बयान देते हुए कहा था, “अगर राज्यपाल अपने विधानसभा भाषण में अंबेडकर का नाम लेने से इनकार करते हैं तो क्या मुझे उन पर हमला करने का अधिकार नहीं है? यदि आप (राज्यपाल) तमिलनाडु सरकार द्वारा दिए गए भाषण को नहीं पढ़ते हैं तो कश्मीर जाएँ और हम खुद आतंकवादी भेजेंगे, ताकि वो आपको बंदूक से मार गिराए।”
कृष्णमूर्ति के इस बयान पर राज्यपाल के उप-सचिव प्रसन्ना रामासामी ने चेन्नई के पुलिस कमिश्नर के पास शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत में कहा गया कि DMK नेता ने तमिलनाडु के राज्यपाल के खिलाफ सबसे घृणित और अपमानजनक भाषा का प्रयोग किया।
हालाँकि, डीएमके के संगठन सचिव आरएस भारती पर पार्टी ने अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है। भारती ने राज्यपाल की तुलना पानीपुरी बेचने वालों से की थी। भारती ने कहा था, “मैंने पहले ही कहा था कि जो लोग सोनपापड़ी और पानीपुरी बेचते हैं, वे तमिलनाडु के गौरव को नहीं जानते हैं। कई लोग यहाँ बिहार से आए हैं और मुझे लगता है कि राज्यपाल भी इसी तरह ट्रेन से आए हैं।”
उन्होंने यह भी कहा था कि एक राज्यपाल का काम उस व्यक्ति की तरह है, जो दावत के बाद पत्तल उठाता है। आरएस भारती ने कहा, “गाँव में एक पुरानी कहावत है, अगर आपको पत्ते उठाने के लिए कहा जाए तो पत्ते (केले के पत्तों को दावत के लिए प्लेटों के रूप में इस्तेमाल किया जाता है) की गिनती न करें, राज्यपाल का काम पत्ते उठाने वाले व्यक्ति की तरह है।”
डीएमके नेता ने राज्यपाल के भाषण को लेकर कहा था, “वह भाषण पत्ते (केले के पत्ते पर खाना परोसा जाता है) पर रखे खाने की तरह था, आप (राज्यपाल) रसोइया हैं। आपको खाना पकाकर वहीं छोड़ देना चाहिए था। यदि कुछ रखने का इरादा है तो क्या खाने वाला चुप होगा रहेगा? मैं शेखी नहीं बघार रहा, लेकिन यदि जयललिता का शासन होता तो उन पर (राज्यपाल) हमला होता और पार्टी के लोग भी चुप नहीं बैठते।”
बता दें कि सोमवार (9 जनवरी, 2023) को तमिलनाडु विधानसभा में राज्यपाल भाषण दे रहे थे। इस भाषण के दौरान उन्होंने सरकार द्वारा लिखकर दिए गए भाषण के कुछ हिस्से को नहीं पढ़ा था। यही नहीं, उन्होंने अपनी ओर से भी कुछ टिप्पणी की थी। इस टिप्पणी के बाद राज्यपाल और डीएमके बीच विवादित बयानबाजी जारी है।
वहीं, मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने लिखित भाषण के अलावा की गई टिप्पणियों के खिलाफ मंगलवार (10 जनवरी, 2023) को प्रस्ताव पेश कर दिया था। इस प्रस्ताव में कहा गया था, “संविधान के अनुसार, परंपरा है कि राज्यपाल (राज्य) सरकार द्वारा तैयार भाषण पढ़ते हैं। इस अभिभाषण में राज्यपाल के निजी विचारों और आपत्तियों के लिए कोई स्थान नहीं है। यह उनका व्यक्तिगत वक्तव्य नहीं है, बल्कि सरकार का भाषण है।”