Friday, November 22, 2024
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जैसे कालनेमि करता था राम का गुणगान, वैसे ही राम भजन गुनगुना रहे फारूक अब्दुल्ला: राम की महिमा बाँच रहे कपिल सिब्बल, ज़ुबैर कह रहा – मंदिर वहीं बना

"हुजूर कमाल देखिए, श्रीराम के बारे में आपसे कहता हूँ जो मैं जानता हूँ उनके बाप ने अपनी दूसरी बीवी को वचन दिया था जो भी तुम जो माँगोगी मैं देने को तैयार हूँ। उसने माँगा। उन्होंने अपना वचन निभाया। राम ने नहीं कहा था।"

हाल ही में कुछ लोगों ने अफवाह उड़ाई कि राम मंदिर वहाँ नहीं बन रहा है जहाँ बाबरी ढाँचे को ध्वस्त किया गया है। इस पर फैक्ट-चेक कर के मोहम्मद ज़ुबैर ने ट्वीट किया कि मंदिर वहीं बन रहा है जहाँ ढाँचा गिरा था। सोचिए, ALTNews वाले मोहम्मद ज़ुबैर ने दिल पर कितना भारी पत्थर रख कर लिखा होगा – “मंदिर वहीं बन रहा है।” ठीक उसी तरह, अब जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला भी राम भजन गा रहे हैं। वहीं फारुख अब्दुल्ला, जो पाकिस्तान के हिमायती रहे हैं।

वैसे ही कपिल सिब्बल यूपीए काल में केंद्रीय मंत्री थे, जब अदालत में एफिडेविट डाल कर भगवान श्रीराम को काल्पनिक बताया था। राम मंदिर का फैसला अटकाने के लिए कपिल सिब्बल सुप्रीम कोर्ट तक पहुँचे थे। आज वही कपिल सिब्बल रामभक्त बने पड़े हैं। ‘The Wire’ जैसे वामपंथी मीडिया संस्थान जोशीमठ स्थित ज्योतिष्पीठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद के इंटरव्यू ले रहे हैं, ताकि वो पीएम मोदी को गलत साबित कर सकें। क्या यही वो ‘अच्छे दिन’ हैं, जिनकी हिन्दू बात करते थे?

अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह से पहले नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) के अध्यक्ष और जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने राम भजन गाया है। उन्होंने राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल के ‘दिल से विद कपिल सिब्बल’ एपिसोड में उनके कहने पर ये भजन सुनाया।

फारूक अब्दुल्ला के गाए भजन ‘किस गली गयो मेरो राम, आँगन मेरो सूना-सूना’ का वीडियो सोशल मीडिया पर खासा वायरल हो रहा है। इस दौरान कपिल सिब्बल के साथ फारूक अब्दुल्ला ने देश के कई मुद्दों पर अपनी राय रखी तो भगवान राम के बारे में भी बात की।

‘राम बादशाह थे उसकी मेहरबानी से’

कपिल सिब्बल ने जब उनसे पूछा कि आप ये कहते रहे हैं कि भगवान राम हमारे भी भगवान है। इस पर फारूक अब्दुल्ला जवाब देते हैं, “मैं ये बात बार-बार कहता हूँ। मैं आपसे कहूँ अभी पाकिस्तान में मौलाना असरार गुजर गए हैं। उनकी किताबों के सात वॉल्यूम्स हैं कुरान के तर्जुमे (अनुवाद) के और उसमें उन्होंने 2 के बारे में लिखा है, एक भगवान राम के बारे में और एक गौतम बुद्ध। दोनों के लिए कहा कि ये बादशाह थे और उसकी (अल्लाह) मेहरबानी से।”

उन्होंने आगे कहा, “गौतम बुद्ध ने बादशाहत ठुकरा दी और कहा कि मैंने लोगों को सच्चाई का रास्ता दिखाना है वो उस रास्ते पर चले बादशाहत छोड़ दी। राम ने बादशाह होकर सबके साथ इंसाफ किया। याद है आपको महात्मा गाँधी क्या कहते थे। रामराज का मतलब क्या था। सबके लिए बराबरी, कोई फर्क नहीं होगा।”

जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम ने कहा, “भारत बहुत बड़ा है। कितने लोग रहते हैं, कितनी भाषाएँ कितने धर्म हैं ये ऐसा बाग है जैसे हमारे यहाँ शालीमार है, चश्मा शाही, ट्यूलिप गार्डन हैं। लोग क्यों देखने आते हैं अलग किस्म के फूलों के रंग हैं।” इसके बाद कपिल सिब्बल कहते हैं कि इनको तो एक ही रंग दिखता है तो फारूक कहते हैं कि क्या करें।

वो आगे कहते हैं कि जब हम सड़क पर चलते हैं तो आप हमारे यहाँ सरदारों की पकड़ के रंग दिखते हैं। खुशी होती है उन्हें देखकर कि ये देखो, ये रंग हैं। यहीं हमारे धर्मों के रंग हैं। हमें धर्मों को पहचानने की कोशिश करनी चाहिए।”

‘ये था राम, हमारा कल्चर’

इस पर सिब्बल कहते हैं कि ये राम की बात करते हैं, लेकिन राम के जो आदर्श हैं उनका पालन नहीं करते हैं। इनकी (बीजेपी) राजनीति राम राज से बिल्कुल अलग है। खुद को रामभक्त कहते हैं। बकौल कपिल सिब्बल, असली रामभक्त तो आम आदमी हैं, जो सच्चाई के आधार पर अपनी जिंदगी को आगे बढ़ाते हैं।

इस पर फारूक कहते हैं, “हुजूर कमाल देखिए, श्रीराम के बारे में आपसे कहता हूँ जो मैं जानता हूँ उनके बाप ने अपनी दूसरी बीवी को वचन दिया था जो भी तुम जो माँगोगी मैं देने को तैयार हूँ। उसने माँगा। उन्होंने अपना वचन निभाया। राम ने नहीं कहा था (14 साल के वनवास के लिए)।”

फिर सिब्बल बीजेपी पर तंज करते हुए कहते हैं कि यहाँ तो लोग कुर्सी छोड़ने के लिए भी तैयार नहीं हैं। इस पर फारूक जवाब देते हैं, “जैसे कुर्सी ही सब कुछ है. ये देखिए, जब वो (राम) उस दरिया (सरयू नदी) को पार करने के लिए गए तो वो कश्ती (नाव) वाला क्या कहता है? इन्होंने (राम) कहा कि मेरे पास कुछ नहीं है।”

फारूक आगे बताते हैं, “तब सीता मैया ने अपने हाथ का कंगन निकाला और कहा कि ये ले लीजिए और हमें पार करवा दीजिए। उसने (केवट) हाथ जोड़कर कहा कि भगवान, जब मेरा वक्त आएगा न, स्वर्ग जाने के लिए तब मेरा हाथ पकड़कर ले जाइए।” फारूक अब्दुल्ला और कपिल सिब्बल इसके बाद दोहराते हैं, “ये था राम, ये था हमारा कल्चर।”

‘भगवान हर जगह, हर दिल में हैं’

वो आगे कहते हैं, “कभी राम ने फर्क किया? कौन धर्म है, ये किस धर्म को मानता है। क्या इसकी पहचान है? नहीं। मैं तो यही कहता हूँ कि अल्लाह करे कि जहाँ हम लोग खुशी से रह सकें। इंसान मंदिर जाना चाहे तो जाए। मस्जिद जाना चाहे तो जाए। भगवान हर जगह, हर दिल में हैं। मगर हम उन्हें पहचानते नहीं हैं इसलिए मैं भारतवासियों से कहूँगा कि पहले अपने धर्म को समझने की कोशिश करो। जिस दिन तुम अपने धर्म को समझ जाओगे, उस दिन से किसी दूसरे धर्म से नफरत नहीं करोगे।”

बताते चलें कि अयोध्या में भव्य राम मंदिर को लेकर बीते महीने दिसंबर में जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला ने भी मुबारकबाद दी थी। हालाँकि, वो इस शुभकामना के साथ पाकिस्तान का राग अलापना नहीं भूले थे।

‘मजहब से ज्यादा जरूरी वतन है’

इस दौरान उन्होंने पीएम मोदी और बीजेपी पर भी निशाना साधा। फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि हम हुकूमत गिरा नहीं सकते, लेकिन जहाँ वो गलत हो वहाँ कह तो सकते हैं। उन्होंने कहा, “जनाब जो ये रास्ता है थोड़ा बदला दीजिए। इसमें आपका फायदा है। किसान कानूनों को लेकर कहा तो एक नहीं सुनी, लेकिन यूपी में इलेक्शन आता देख वापस ले लिए कानून।”

उन्होंने आगे कहा, “बताइए हम इन्हें कहा गलत कहते हैं हम विपक्ष में रहते हुए भी भारत को मजबूत करना चाहते हैं। कमजोर नहीं करना चाहते हम इसके वासी है।अगर हम इसको डूबते देखेंगे क्या हम बच जाएँगे वतन रहेगा तो हम सब बचेंगे कोई पार्टी हो कोई जमात हो, कोई भी मजहब हो सबसे ज्यादा जरूरी वतन है।”

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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