राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू पूर्व उप-प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी के आवास पर जाकर उन्हें ‘भारत रत्न’ से सम्मानित करेंगी। वयोवृद्ध भाजपा नेता के स्वास्थ्य को देखते हुए ये फैसला लिया गया है। लालकृष्ण आडवाणी कई महीनों से किसी सार्वजनिक या निजी कार्यक्रम में नहीं दिखे हैं। राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह में भी वो स्वास्थ्य कारणों से ही अयोध्या नहीं जा पाए थे। अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में उनके घर पर ही राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू उन्हें ‘भारत रत्न’ से नवाजेंगी।
इस दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और BJP के राष्ट्रीय अध्यक्ष JP नड्डा भी वहाँ मौजूद रहेंगे। इसके लिए रविवार (31 मार्च, 2024) की तारीख़ मुक़र्रर की गई है। लालकृष्ण आडवाणी मात्र 14 वर्षों की उम्र में 1941 में ही RSS (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) में शामिल हो गए थे। 1951 में उन्हें जनसंघ ने राजस्थान में संगठन की जिम्मेदारी सौंपी और 6 वर्षों तक घूम-घूम कर उन्होंने जनता से संवाद बनाया। 1967 में दिल्ली महानगरपालिका परिषद का अध्यक्ष चुने जाने के साथ उन्होंने चुनावी राजनीति में कदम रखा।
लालकृष्ण आडवाणी का सार्वजनिक जीवन 7 दशकों से भी अधिक का रहा है। 96 वर्ष की उम्र में भी वो लिखने-पढ़ने में रुचि रखते हैं। लालकृष्ण आडवाणी लोकसभा में गाँधीनगर और नई दिल्ली का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। वहीं उन्हें दिल्ली, गुजरात और मध्य प्रदेश से राज्यसभा सांसद भी चुना गया था। 3 बार उन्होंने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष की कमान सँभाली। जब उन्हें ‘भारत रत्न’ दिए जाने की घोषणा हुई, तब वो काफी भावुक हो गए थे और उनकी आँखों में आँसू थे।
31 मार्च को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू जी लालकृष्ण आडवाणी जी के घर जाकर “भारत रत्न” सम्मान से सम्मानित करेंगी।
— Nishant Azad/निशांत आज़ाद🇮🇳 (@azad_nishant) March 29, 2024
ये निर्णय आडवाणी जी के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।
इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी जी, गृहमंत्री अमित शाह जी, भाजपा अध्यक्ष नड्डा जी मौजूद रहेंगे
वहीं 29 मार्च को कर्पूरी ठाकुर, PV नरसिम्हा राव, MS स्वामीनाथन और चौधरी चरण सिंह को मरणोपरांत ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया जाएगा। उनके परिवार इन दिवंगत हस्तियों की जगह ये सम्मान ग्रहण करेंगे। लालकृष्ण आडवाणी को ‘भारत रत्न’ मिलना इसीलिए भी विशेष है, क्योंकि क्योंकि राम जन्मभूमि आंदोलन में उनका अतुलनीय योगदान है। उनकी ही रथयात्रा के बाद ये आंदोलन जन-आंदोलन बना था। उन्हें बिहार में लालू यादव की सरकार ने गिरफ्तार करवा दिया था, जिसके बाद केंद्र में VP सिंह की सरकार गिर गई थी।