जहाँ एक ओर महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर एनडीए के भीतर ही भारतीय जनता पार्टी और शिव सेना में दाँव पेंच जारी है, वहीं दूसरी ओर शिव सेना ने भी भाजपा की तर्ज पर अपने विधायक दल के नेता का चुनाव कर लिया है। एक बड़ा उलटफेर करते हुए इस पद पर एकनाथ शिंदे का चुनाव हुआ है, जबकि अधिकांश कयास यह पद आदित्य ठाकरे को मिलने के लग रहे थे। एक अन्य वरिष्ठ विधायक सुनील प्रभु को पार्टी का विधानसभा में चीफ व्हिप बनाया गया है।
.@ShivSena MLAs met this afternoon to choose their legislative leader and Shinde was picked as the unanimous choice@AUThackeray @uddhavthackeray https://t.co/oskAnsKuyc
— Mumbai Mirror (@MumbaiMirror) October 31, 2019
आज दोपहर में हुई इस बैठक में शिंदे के नाम का प्रस्ताव ही युवा सेना के अगुआ आदित्य ठाकरे ने रखा जिस पर पार्टी के विधायकों ने मुहर लगा दी। एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार के गढ़ सतारा से ठाणे आकर ऑटो रिक्शा चालक के रूप में शुरुआत करने वाले शिंदे 2009 और 2014 में भी विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं। उन्होंने अपने बेटे श्रीकांत शिंदे को एमबीबीएस और ऑर्थोपेडिक्स में एमएस कराया है, जिसके बाद श्रीकांत भी सक्रिय नेता हैं। इस बैठक की अध्यक्षता शिव सेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे ने की।
शिंदे के नाम की घोषणा खुद आदित्य ठाकरे ने ट्विटर पर की।
As an elected MLA, it was my privilege to propose the name of @mieknathshinde ji as the leader of the @ShivSena Parliamentary Party for the working the legislature. @prabhu_suneel ji has been elected as chief whip of the party for the legislature. #महाराष्ट्र pic.twitter.com/ofMln0A7ku
— Aaditya Thackeray (@AUThackeray) October 31, 2019
रिपोर्ट्स के अनुसार, यह भी कहा जा रहा है कि शिवसेना विधायक दल की बैठक खत्म होने के बाद बताया गया कि आदित्य ठाकरे, एकनाथ शिंदे, दिवाकर राउते और सुभाष देसाई समेत पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेता राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी से मिलने जाएँगे। शिवसेना के वरिष्ठ नेता संजय राउत ने बताया कि शाम 6.15 बजे सभी राज्यपाल से मुलाकात के लिए प्रस्थान करेंगे।
इस बीच शिव सेना और भाजपा में कल रात खत्म होती दिख रही तनातनी आज फिर से जोर पकड़ने लगी है। कल रात को जहाँ उसकी चुनाव नतीजों से अब तक भाजपा के लिए कड़वी रही ज़बान से अचानक ही फ़ूल झड़ने लगे थे, उसे (अपने राजनीतिक अस्तित्व) और राज्य के हित के लिए भारतीय जनता पार्टी के साथ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) का बने रहना ही श्रेयस्कर लग रहा था, वहीं आज अचानक फिर से उसे 50-50 फॉर्मूला याद आने लगा है।
शिव सेना के प्रमुख प्रवक्ता और पार्टी के मुखपत्र सामना के कार्यकारी सम्पादक संजय राउत ने कल दिए बयानों से गुलाटी मारते हुए आज फिर से दावा किया है कि उनकी पार्टी के रुख में न ही कोई नरमी आई है, न ही उनकी पार्टी कभी अपने वादे से पीछे हटी थी। यह तो भारतीय जनता पार्टी है, बकौल राउत, जो चुनाव के पहले तय किए गए 50-50 फॉर्मूले पर अमल से पीछे हटना चाहती है। उन्होंने कहा कि शिव सेना अपनी माँग पर आगे बढ़ती रहेगी। उन्होंने कहा कि सरकार निर्माण होने की सूरत में मंत्रीमंडल में 50-50 मंत्रियों का गणित ही रहेगा। अगर बीजेपी के पास 145 विधायक हैं, तो बेशक सरकार बना ले। राउत पार्टी के कोटे से राज्य सभा सांसद भी हैं।