महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी के विधायक दल के अध्यक्ष देवेंद्र फडणवीस ने कल (गुरुवार, 28 सितंबर, 2019 को) ही शपथ लेने वाले वर्तमान मुख्यमंत्री और शिव सेना प्रमुख उद्धव ठाकरे पर हमला बोला है। उन्होंने उद्धव को चुनौती देते हुए कहा कि अब जबकि उद्धव ने सरकार बना ही ली है तो विधायकों को वे अभी भी क्यों छिपाए बैठे हैं।
आज (शुक्रवार, 29 नवंबर, 2019 को) सुबह एक के बाद एक ट्वीट कर फडणवीस ने ठाकरे को घेरा। सबसे पहले उन्होंने दावा किया कि कल रात शिवसेना-कॉन्ग्रेस-एनसीपी की पहली कैबिनेट बैठक में चर्चा किसानों को सहायता की बजाय गुप-चुप विश्वास मत में बहुमत सिद्ध करने के बारे में हुई है। ऐसे में बहुमत के दावे का अर्थ ही क्या है?
कालच्या पहिल्या मंत्रिमंडळ बैठकीत अडचणीत असलेल्या शेतकऱ्यांना मदत देण्यावर चर्चा करण्याऐवजी लपुन-छपून बहुमत कसे सिद्ध करता येईल, यावर चर्चा करण्यात नव्या सरकारने धन्यता मानली.
— Devendra Fadnavis (@Dev_Fadnavis) November 29, 2019
मग बहुमताचे दावे कशासाठी?
उन्होंने महाराष्ट्र सरकार पर गुप्त रूप से विधानसभा की बैठक बुलाने और प्रोटेम स्पीकर को बदलने की कोशिश करने का भी आरोप लगाया। फडणवीस ने पूछा कि आखिर सीएम ठाकरे अपने ही विधायकों पर इतना अविश्वास किस बात के लिए कर रहे हैं।
या सरकारकडे बहुमत असेल तर लपून-छपून सभागृह बोलावण्याचा निर्णय का?
— Devendra Fadnavis (@Dev_Fadnavis) November 29, 2019
नियमबाह्य पद्धतीने प्रो-टेम अध्यक्ष बदलण्याचा प्रयत्न कशासाठी?
स्वतच्या आमदारांवर अजूनही इतका अविश्वास का?
अजूनही त्यांना डांबून ठेवण्याची शिक्षा का?
देवेंद्र फडणवीस इतने पर ही नहीं रुके। उन्होंने ठाकरे से पूछा कि जब भाजपा को विपक्ष घोषित कर ही दिया गया है तो इसके बाद भी महा विकास अघाड़ी क्यों डर के मारे छिप कर बैठी है।
भाजपने विरोधी पक्षात बसण्याची घोषणा केली असताना आणि महाविकास आघाडीने निरनिराळ्या प्रकारे बहुमताचे प्रदर्शन आणि दावे केले असताना ही लपवा-छपवी आणि भीती का?
— Devendra Fadnavis (@Dev_Fadnavis) November 29, 2019
महाराष्ट्राला याचे उत्तर हवे आहे!
गौरतलब है कि पिछले महीने हुए विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद भाजपा से नाता तोड़ने वाली शिव सेना ने कॉन्ग्रेस और एनसीपी के साथ महाराष्ट्र में सरकार बनाई है। तीनों पार्टियों के बीच एक महीने चली बातचीत के बाद शिव सेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे ने कल दादर के शिवाजी पार्क में सीएम पद की शपथ ली थी। उसके साथ कॉन्ग्रेस, शिव सेना और एनसीपी के दो-दो विधायकों को भी फ़िलहाल मंत्री बनाया गया है। इन पार्टियों के न्यूनतम साझा कार्यक्रम में शिव सेना ने सेक्युलरिज़्म को मंज़ूरी देकर और कॉन्ग्रेस ने 80% स्थानीय-मराठी आरक्षण को स्वीकार कर वैचारिक रूप से समझौता किया है।