किसान जिन तीन केंद्रीय कृषि कानूनों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे थे, उसे मोदी सरकार ने वापस ले लिया है। बावजूद इसके किसान अभी आंदोलन खत्म करने के पक्ष में नहीं हैं। वो लगातार प्रदर्शन कर रहे हैं। इसी क्रम में आगे की रणनीति क्या हो इसके लिए रविवार (21 नवंबर 2021) को संयुक्त किसान मोर्चा ने बैठक की और आंदोलन को जारी रखने का निर्णय लिया है।
रिपोर्ट के मुताबिक, इस मामले में भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष बलवीर सिंह राजेवाल और जतिंदर सिंह विर्क ने 22 नवंबर को लखनऊ में होने वाली किसान महापंचायत का ऐलान किया और कहा कि वे लोग 27 नवंबर को आंदोलन के अगले चरण को लेकर विचार करेंगे। राजेवाल के मुताबिक, जब तक केंद्र सरकार एमएसपी की गारंटी और दूसरी माँगों को मान नहीं लेती तब तक प्रधानमंत्री के ऐलान का स्वागत नहीं किया जाएगा।
राजेवाल ने ये भी कहा कि किसान संगठनों की ओर से एमएसपी गारंटी बिल के कमेटी, बिजली बिल माफ करने और पराली को गैरकानूनी बताने वाले कानून को रद्द करने जैसी माँगों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम ओपन लेटर लिखा जाएगा। इसके साथ ही उन्होंने ये भी कहा है कि लखीमपुर खीरी हिंसा के मामले में केंद्रीय मंत्री के इस्तीफे की माँग करेंगे।
राजेवाल ने ये भी कहा, “सरकार चर्चा के लिए बुलाएगी तो हम जरूर चर्चा के लिए जाएँगे। 27 नवंबर को जो भी हालात बनेंगे, उसके अनुसार फैसला लिया जाएगा। सरकार का फैसला स्वागत योग्य हैं, लेकिन काफी कुछ अभी बाकी है।”
गौरतलब है कि शुक्रवार (19 नवंबर 2021) को देश को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा की थी। इसके साथ ही उन्होंने आंदोलनरत किसानों से अपने-अपने घर लौटने का आग्रह किया था। साथ ही प्रधानमंत्री ने किसानों के एक वर्ग को इन कानूनों के बारे में नहीं समझा पाने के लिए देश से माफी भी माँगी थी।