किसानों ने केंद्र सरकार के खिलाफ एक बार फिर से प्रदर्शन करने का फैसला किया है। किसानों ने ऐलान किया है कि वे 31 जनवरी को वादाखिलाफी दिवस के रूप में मनाएँगे। हरियाणा के सोनीपत में शनिवार (15 जनवरी 2022) को संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में यह फैसला लिया गया। बैठक खत्म होने के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा कि हरियाणा को छोड़कर किसी भी राज्य में मुकदमे और मुआवजे को लेकर कोई भी कार्रवाई नहीं की गई है, इसलिए हम 31 जनवरी को वादाखिलाफी दिवस के रूप में मनाएँगे।
‘संयुक्त किसान मोर्चा’ की ओर से यह भी कहा गया है कि किसान सरकार के पुतले फूँकेंगे और सभी जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन करेंगे। रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) 1 फरवरी को लखीमपुर जाएँगे। उनका आरोप है कि लखीमपुर खीरी मामले में SIT की रिपोर्ट के बावजूद केंद्र सरकार गृह राज्य मंत्री टेनी को बचा रही है। उन्होंने (राकेश टिकैत) कहा कि मंत्री को बर्खास्त नहीं किया जा रहा। उल्टे लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में किसानों पर धारा-302 के तहत जेल भेजा जा रहा है। लखीमपुर खीरी में जो घटना हुई थी, हम 21 तारीख से वहाँ पर 3-4 दिन के लिए जाएँगे। पीड़ितों से मुलाकात करेंगे, जो किसान जेल में है हम उनसे भी मिलेंगे।
लखीमपुर खीरी में जो घटना हुई थी, हम 21 तारीख से वहां पर 3-4 दिन के लिए जाएंगे। वहां पर पीड़ितों से मुलाक़ात करेंगे। जो किसान जेल में है, हम उनसे भी मिलेंगे: किसान नेता राकेश टिकैत, सिंघु बॉर्डर #rakeshtikait #UPElection2022 #LakhimpurKheri https://t.co/Zn4lWeOJCY pic.twitter.com/0bAPJme2iU
— NBT Hindi News (@NavbharatTimes) January 15, 2022
बता दें कि तीन कृषि कानूनों के विरोध और अन्य माँगों को लेकर दिल्ली बॉर्डर पर एक साल से अधिक समय तक किसानों ने प्रदर्शन किया। 11 दिसंबर 2021 को किसान नेताओं के आदेशों के बाद सभी किसान दिल्ली की सीमाओं को छोड़कर अपने घरों को लौट गए थे, लेकिन 9 दिसंबर को संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में यह फैसला लिया गया था कि 15 जनवरी को सरकार के साथ हुई बातचीत पर किसान एक बार फिर समीक्षा बैठक करेंगे।