Monday, December 23, 2024
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‘क़सम अल्लाह की, धारा 370 हटाया तो कोई नहीं उठाएगा तिरंगा, हम होंगे आज़ाद’

"बाहर से लाएँगे, बसाएँगे और सोते रहेंगे? हम इसका मुक़ाबला करेंगे। धारा 370 को कैसे ख़त्म करोगे? अल्लाह की क़सम कहता हूँ। अल्लाह को यही मंज़ूर होगा कि हम इनसे आज़ाद हो जाएँ। करें, धारा 370 हटाएँ, हम भी देखते हैं।"

जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री फ़ारूक़ अब्दुल्ला ने फिर से कश्मीर की कथित आज़ादी का राग अलापा है। जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ने भाजपा के घोषणापत्र पर ज़हर उगलते हुए चुनौती स्वरूप कहा कि देखते हैं, कौन धारा 370 हटाता है। इतना ही नहीं, उन्होंने कश्मीर में अपनी प्रतिद्वंद्वी महबूबा मुफ़्ती के झंडा वाले बयान को लगभग दुहराते हुए कहा कि अगर ऐसा हुआ तो कश्मीर में कोई तिरंगा झंडा नहीं उठाएगा। महबूबा मुफ़्ती ने भी कहा था कि अगर ऐसा हुआ तो न सिर्फ जम्मू कश्मीर बल्कि पूरा देश जलेगा। अब्दुल्ला ने कहा:

“बाहर से लाएँगे, बसाएँगे और सोते रहेंगे? हम इसका मुक़ाबला करेंगे। धारा 370 को कैसे ख़त्म करोगे? अल्लाह की क़सम कहता हूँ। अल्लाह को यही मंज़ूर होगा कि हम इनसे आज़ाद हो जाएँ। करें, धारा 370 हटाएँ, हम भी देखते हैं। देखते हैं फिर कौन इनका झंडा उठाने के लिए तैयार होता है।”

जिस तरह अब्दुल्ला ने भारत और भारतीयों के लिए (जिसमें जम्मू-कश्मीर भी शामिल है) ‘इन’, ‘इनका’ और ‘इन्हें’ जैसे शब्दों का प्रयोग किया, उससे लगता है कि वो ख़ुद को भारत का नागरिक नहीं मानते। उन्होंने तिरंगे को भी ‘इनका झंडा’ कहा। साथ ही उन्होंने जम्मू कश्मीर से बाहर अन्य भारतीयों के लिए ‘बाहरी’ शब्द का प्रयोग कर अपने देशविरोधी रवैये का परिचय दिया। वैसे फ़ारूक़ के बेटे उमर अब्दुल्ला भी जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। कुछ दिनों पहले उन्होंने भी कश्मीर के लिए अलग प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति की माँग की थी।

उमर अब्दुल्ला के बयान पर पीएम मोदी ने उन्हें ललकारा था और कहा था कि मोदी के रहते कोई देश को विभाजित नहीं कर सकता। उमर अब्दुल्ला ने एक जनसभा को सम्बोधित करते हुए कहा था:

“आज हमारे ऊपर तरह-तरह के हमले हो रहे हैं। हमारे ख़िलाफ़ कई तरह की साज़िशें हो रही हैं। कई ताक़तें लगी हुई हैं जम्मू-कश्मीर की पहचान मिटाने के लिए। कल की बात है जब अमित शाह साहब ने किसी इंटरव्यू में कहा कि हम 2020 तक जम्मू-कश्मीर से 35ए को खत्म कर देंगे। जम्मू-कश्मीर बाकी रियासतों की तरह नहीं है। बाकी रियासतें बिना शर्त रखे हिंदुस्तान में मिल गईं, लेकिन हमने शर्त रखी और मुफ़्त में नहीं आए। हम बिना शर्त मुल्क़ में नहीं आए। हमने अपनी पहचान बनाए रखने के लिए आईन (संविधान) में कुछ चीजें दर्ज कराईं और कहा कि हमारा संविधान और झंडा अपना होगा। उस वक्त हमनें अपना सदर-ए-रियासत और वजीर-ए-आजम भी रखा था, अब हम उसे भी वापस ले आएँगे।”

इसी तरह जम्मू कश्मीर के एक और पूर्व मुख्यमंत्री और कॉन्ग्रेस नेता ग़ुलाम नबी आज़ाद ने भी जम्मू कश्मीर पुलिस को दुश्मन बताते हुए कहा था कि वो निहत्थे लोगों की हत्या करती है। आज़ाद ने कहा था:

“जम्मू कश्मीर पुलिस भी कम दुश्मन नहीं है। उन्होंने कोई कम ज़्यादतियाँ नहीं की हैं। मैं उन पुलिसवालों को तो सलाम करता हूँ जिन्होंने अपनी जानें दी, लेकिन उसमें भी कुछ नासूर ऐसे थे जो अपने प्रमोशन और पैसे के लिए निहत्थे लोगों का क़त्ल करते थे। क्या वजह है कि 2014 तक हालात ठीक हो गए थे? क्या वजह है कि 2014 से लेकर आज तक हालात 1990-91 वाले हो गए हैं। उसके लिए अगर कोई ज़िम्मेदार है तो वो है देश का पीएम नरेंद्र मोदी।”

भाजपा के घोषणापत्र में धारा 370 और 35A को लेकर कही गई बातें


बता दें कि हाल ही में जम्मू कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती ने भी आर्टिकल 35A को लेकर कुछ ऐसा ही विवादित बयान दिया था। उन्होंने केंद्र सरकार को धमकी भरे अंदाज में कहा था कि अगर इस आर्टिकल से छेड़छाड़ की गई तो देश वो देखेगा जो उसने कभी नहीं देखा। साथ ही उन्होंने कहा था कि उसके बाद कश्मीर के लोग तिरंगा छोड़कर कौन सा झंडा उठाएँगे, उन्हें नहीं पता। मुफ़्ती ने कहा था:

“आग से मत खेलो, अनुच्छेद -35 A के साथ छेड़छाड़ न करें, अन्यथा आप वो देखेंगे जो आपने 1947 से अभी तक नहीं  देखा है। अगर उस पर (अनुच्छेद-35 A) हमला होता है तो मुझे नहीं पता कि जम्मू-कश्मीर में तिरंगे की जगह कौन से झंडे लोग लहराने को मजबूर होंगे।” “

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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