लंदन के ‘स्कूल ऑफ ओरिएण्टल एंड अफ्रीकन स्टडीज (SOAS)’ यूनिवर्सिटी में कविता कृष्णन सहित कई वामपंथी कार्यकर्ताओं को उस समय बेइज्जती का सामना करना पड़ा, जब ‘Gay For J&K’ का बैनर लिए कुछ लोगों उनके कार्यक्रम में घुस आए। इन लोगों ने वामपंथी एक्टिविस्ट्स के कार्यक्रम को रोक दिया और उनका विरोध किया। वामपंथी कार्यकर्ताओं ने ये कार्यक्रम मोदी सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त किए जाने के विरोध में आयोजित किया था, जहाँ वे लोगों को बता रहे थे कि कैसे ‘भारत सरकार का निर्णय ग़लत है और कश्मीर पर अत्याचार हो रहा है।’
‘गे फॉर जेके’ के कार्यकर्ताओं ने कविता कृष्णन सहित अन्य वामपंथियों को आइना दिखाते हुए उन्हें बताया कि भारत का संविधान उन्हें मान्यता देता है कि जम्मू कश्मीर के संविधान में उनके लिए कोई जगह नहीं थी। अनुच्छेद 370 के प्रावधानों के निरस्त होने के साथ ही ‘एक देश – दो संविधान’ वाला मसला भी ख़त्म हो गया और राज्य में भारतीय संविधान पूर्णरूपेण प्रभावी हो गया। वामपंथियों को ‘गे फॉर जेके’ के कार्यकर्ताओं के तर्कों का कोई जवाब ही नहीं सूझा।
??? @NitashaKaul @dibyeshanand @SAsiaSolidarity & I are homophobic and fascist – but BJP leader @Swamy39 who advocates curtailment of Muslim citizenship rights, & says homosexuality is a disease, is not?! Tell me when these so called activists protested Swamy & BJP? https://t.co/HANfGbyl83
— Kavita Krishnan (@kavita_krishnan) October 5, 2019
बाद में सोशल मीडिया पर भी लोगों ने कविता कृष्णन को होमोफोबिक (समलैंगिक विरोधी) करार दिया, जिसके बाद वह तिलमिला गईं। बौखलाई वामपंथन कविता ने ट्विटर पर पूछा कि ‘गे फॉर जेके’ के कार्यकर्ता सुब्रह्मण्यम स्वामी का विरोध क्यों नहीं करते? कविता ने दावा किया कि भाजपा नेता स्वामी समलैंगिकता को बीमारी मानते हैं। हालाँकि, वह कार्यकर्ताओं द्वारा लगाए गए आरोपों का कोई स्पष्ट जवाब नहीं दे पाईं।
जब समलैंगिक कार्यकर्ता वामपंथियों के कार्यक्रम में घुसे, तब वामपंथी उन्हें कहते रहे कि वे समलैंगिकों के समर्थन में हैं। उन्होंने यह कह कर उन्हें शांत कराने की कोशिश की कि वे सभी समलैंगिक अधिकारों का समर्थन करते हैं। इन सबके बावजूद ‘गे फॉर जेके’ के बैनर के साथ आए समलैंगिक कार्यकर्ताओं ने न सिर्फ़ नारे लगाए बल्कि अपने पैम्फलेट भी वितरित किए।
Hey @News18 @sanjaysuri88 – are you an RSS mouthpiece? This wasn’t an “anti India” meeting, it was in support of Indians + Kashmiris oppressed by fascists. + these were masked Sanghis masquerading as LGBTQ activists! They rang a fire alarm. But thanks to them more ppl heard us https://t.co/JiRE1wqU6q
— Kavita Krishnan (@kavita_krishnan) October 5, 2019
न्यूज़ चैनल न्यूज़ 18 ने कविता कृष्णन सहित अन्य वामपंथियों द्वारा आयोजित कार्यक्रम को भारत-विरोधी कार्यक्रम बताया, जिसके बाद कविता कृष्णन ने न्यूज़ 18 को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का मुखपत्र करार दिया। कविता कृष्णन ने दावा किया कि ये भारत-विरोधी बैठक नहीं थी। उन्होंने कहा कि ये ‘फासिस्ट सरकार द्वारा सताए गए भारतीयों व कश्मीरियों’ के समर्थन में आयोजित कार्यक्रम था। उन्होंने अपने कार्यक्रम में घुसे समलैंगिक कार्यकर्ताओं को भी संघी करार दिया।