AIMIM (ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन) के मुखिया असदुद्दीन ओवैसी ने मेरठ में एक जनसभा के दौरान पूछा है कि जब लड़कियाँ 18 की उम्र में सेक्स कर सकती हैं तो फिर शादी क्यों नहीं? बता दें कि हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने लड़कियों के लिए शादी की कानूनी उम्र को 18 से बढ़ा कर 21 कर दिया है। केंद्रीय कैबिनेट के इस फैसले पर कई लोगों ने सवाल भी खड़े किए हैं। इसी पर असदुद्दीन ओवैसी ने भी तंज कसा है।
उन्होंने कहा, “अब भाजपा कहेगी ओवैसी और मुसलमान महिलाओं के फायदे के लिए बात नहीं करते। मोदी जी, आप हमारे चाचा कब बने? चाचा बस बैठकर सवाल पूछते हैं, अब चाचा कह रहे हैं शादी मत करो।” बता दें कि 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियों के बीच ओवैसी मेरठ पहुँचे थे। इस दौरान भाजपा और पीएम मोदी उनके निशाने पर रहे। उन्होंने यूपी के 19% मुस्लिमों की बात करते हुए कहा कि उन्हें उन्हें राजनीतिक ताकत और नेतृत्व में भागीदारी की जरूरत है।
ओवैसी ने कहा कि इससे ही हमारे युवाओं को सम्मान और शिक्षा मिल पाएगी, साथ ही अत्यााचार और भेदभाव पर लगाम लगाई जा सकेगी। ओवैसी ने मंच से मुस्लिमों से पूछा भी कि आखिर वो कब जागेंगे? उन्होंने लखीमपुर खीरी की घटना का भी जिक्र किया और आरोप लगाया कि केंद्रीय गृह राज्यमंत्री अजय कुमार मिश्रा ‘टेनी’ के बेटे ने 4 किसानों को मार डाला। उन्होंने दावा किया कि ब्राह्मण होने के कारण टेनी को पीएम मोदी मंत्रिमंडल से बरख़ास्त नहीं कर रहे, क्योंकि वो यूपी के ब्राह्मण समाज को नाराज़ नहीं करना चाहते।
उन्होंने ये आरोप भी लगा दिया कि प्रधानमंत्री मेरठ शहर में ट्रैफिक की समस्या आज तक हल नहीं कर पाए, ऐसे में वो गंगा एक्सप्रेसवे कैसे बनाएँगे? बता दें कि गंगा एक्सप्रेसवे का उद्घाटन करते हुए पीएम मोदी ने शाहजहाँपुर में ‘UP + Yogi = उपयोगी’ का नारा दिया। यूपी में ओवैसी की पार्टी 100 विधानसभा सीटों पर ताल ठोक रही है। नौचंदी मैदान में अनुमति न मिलने के बाद उन्होंने बंबा बाईपास पर जनसभा की। ‘डेटा प्रोटेक्शन बिल’ पर उन्होंने कहा कि 18 की उम्र में डेटा का अधिकार है लेकिन शादी का नहीं?
शिक्षा की सुविधा बेहतर करे बिना महिलाओं का स्वायत्त होना बहुत मुश्किल है। इस मामले में मोदी सरकार ने क्या किया? बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का कुल बजट ₹446.72 था, जिसमें से सरकार ने 79% सिर्फ़ विज्ञापन पर खर्च किया। 9/n
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) December 18, 2021
सोशल मीडिया पर ओवैसी ने कहा, “महिलाओं के लिए शादी की न्यूनतम उम्र को 18 से बढ़ाकर 21 साल करने के प्रस्ताव को मोदी सरकार ने मंजूरी दे दी है। ऐसी पितृसत्तात्मकता मोदी सरकार की नीति बन चुकी, इससे बेहतर करने की उम्मीद भी हम सरकार से करना छोड़ चुके हैं। 18 साल के लोग क़ानूनी तौर पर अनुबंध पर हस्ताक्षर कर सकते हैं, कारोबार चला सकते हैं, चुनाव में प्रधानमंत्री, सांसद और विधायक चुन सकते हैं, लेकिन शादी नहीं कर सकते? 18 साल के उम्र में भारत के नागरिक यौन संबंध बना सकते हैं, बिना शादी के साथ रह सकते हैं, लेकिन शादी नहीं कर सकते?”
उन्होंने आगे लिखा, 18 साल के किसी भी मर्द और औरत को शादी करने का हक़ होना चाहिए। क़ानूनी तौर पर 18 साल की उम्र के लोगों को बालिग़ समझा जाता है, और उन्हें अपने निजी ज़िंदगी को अपनी मर्ज़ी से जीने का हक़ है। तो शादी के मामले में ऐसी रोक-टोक क्यों? बाल विवाह पर क़ानूनी प्रतिबंध होने के बावजूद, आँकड़े बताते हैं कि हर चौथी शादीशुदा महिला की शादी 18 की उम्र से पहले हुई थी। लेकिन बाल विवाह क़ानून के तहत सिर्फ़ 785 केस दर्ज हुए हैं। ज़ाहिर सी बात है कि क़ानून की वजह से बाल विवाह में कोई कमी नहीं आई है।