गुजरात आतंकवाद नियंत्रण एवं संगठित अपराध (जीसीटीओसी) बिल को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मंजूरी दे दी है। गुजरात की बीजेपी सरकार ने मार्च 2015 में में कुछ संशोधनों के साथ इस बिल को पारित किया था। राष्ट्रपति द्वारा इसे मंजूरी मिलने की जानकारी गुजरात के गृह मंत्री प्रदीप सिंह जडेजा ने दी है। पहले इस बिल का को गुजरात संगठित अपराध नियंत्रण विधेयक (जीयूजेसीओसी) नाम दिया गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री हुआ करते थे तब दो बार इस बिल को मंजूरी नहीं मिल पाई थी।
जडेजा ने कहा कि इस बिल पर राष्ट्रपति की मुहर लगने के साथ ही प्रधानमंत्री मोदी का सपना पूरा हुआ है। उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री मोदी ने गुजरात के मुख्यमंत्री रहते राज्य के नागरिकों की सुरक्षा के लिए इस कानून का मसौदा तैयार किया था। 16 साल बाद इसे मंजूरी मिल सकी है।”
इस कानून की खासियत यह है कि टैप की हुई टेलीफोन बातचीत को अब एक वैध सबूत माना जाएगा। इससे शराब की तस्करी, फिरौती, जालसाजी जैसे संगठित अपराधों पर शिकंजा कसने की उम्मीद है।
Sixteen years after the first version of it was passed by the Gujarat Assembly, the Gujarat Control of Terrorism and Organised Crime Bill (GCTOC) has finally become law. Gujarat MoS Jadeja said: “Today the dream of PM Narendra Modi has been fulfilled.” https://t.co/NM6LCRVvkU
— Seema Chishti (@seemay) November 6, 2019
जडेजा ने बताया कि अधिनियम को राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने से गुजरात जैसे सीमावर्ती राज्य की सुरक्षा और अपराध की जाँच के लिए पुलिस को अधिक अधिकार और समय मिल सकेगा। राज्य सरकार विशेष अदालतों का गठन करेगी और डिविजन सेशन कोर्ट में मामला चल सकेगा। इसके अलावा सरकार अतिरिक्त सरकारी वकील और लोक अभियोजकों की नियुक्ति कर सकेगी।
गौरतलब है कि नरेंद्र मोदी के गुजरात के मुख्यमंत्री रहते 2003 में पहली बार यह बिल पास किया गया था। इसके बाद से ही यह विधेयक लंबित था। तीन बार राष्ट्रपति ने इसे लौटाया था। दो बार नरेंद्र मोदी के गुजरात सीएम रहते हुए और तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री रहते हुए।
सबसे पहले संचार अवरोधन के प्रावधान का हवाला देकर तात्कालीन राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने इस पर असहमति दिखाई थी और फिर साल 2008 में पूर्व राषट्रपति प्रतिभा पाटिल ने इसे वापिस कर दिया था।
तीसरी बार साल इस विधेयक को राज्य सरकार ने गुजरात आतंकवाद नियंत्रण एवं संगठित अपराध अधिनियम नाम से विधानसभा से पारित कराया, लेकिन पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने भी कुछ प्रावधानों पर आपत्ति जताते हुए इसे वापस कर दिया। गृह राज्यमंत्री के अनुसार, “ये कानून गुजरात में आतंकवादी गतिविधि पर पूर्ण विराम लगाने में मदद करेगा और साथ ही 1,600 किलोमीटर के समुद्री तट की सुरक्षा में मदद करेगा … यह कानून पुलिस अधिकारियों को अधिक अधिकार देगा।”
इसके अलावा इस कानून के तहत पुलिस अधिकारी के समक्ष दिया गया बयान सबूत के रूप में मान्य होगा और पुलिस को आरोप-पत्र पेश करने के लिए छह माह ( करीब 180 दिन) का समय मिलेगा। बता दें अन्य अपराध में चार्जशीट 90 दिन में पेश करने का प्रावधान होता है।