Monday, December 23, 2024
Homeराजनीतिपहले से सेना को खुली छूट दी गई होती तो आतंकी घटनाएँ टल सकती...

पहले से सेना को खुली छूट दी गई होती तो आतंकी घटनाएँ टल सकती थीं : मोदी

उन्होंने वीर जवानों को सलाम करते हुए कहा कि उनके कार्यकाल में उरी और पुलवामा हमला हुआ जिसका बदला लिया गया। सेना को आतंकवाद से लड़ने के लिए खुली छूट दी गई है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस समय तमिलनाडु के कन्याकुमारी में एक सभा को संबोधित कर रहे हैं। इस दौरान उन्होंने देश के लिए बलिदान हुए वीर जवानों को नमन किया। उन्होंने अपने भाषण की शुरूआत इंडियन एयरफोर्स विंग कमांडर अभिनंदन की तारीफ से की। पीएम ने पिछली सरकारों पर निशाना साधते हुए कहा कि उनकी तरफ से आतंकवाद के खिलाफ कोई सख्त कार्रवाई नहीं की गई । मुंबई में 26/11 हमला हुआ था, जिसमें काफी लोगों की जानें गई थी, लेकिन तत्कालीन यूपीए सरकार की तरफ से कोई सख्त कदम नहीं उठाया गया।

उन्होंने वीर जवानों को सलाम करते हुए कहा कि उनके कार्यकाल में उरी और पुलवामा हमला हुआ जिसका बदला लिया गया। सेना को आतंकवाद से लड़ने के लिए खुली छूट दी गई है।

अब इस तरह की बातें सामने आ रही है कि अगर समय रहते सेना को आतंकवाद का सामना करने के लिए खुली छूट दे दी गई होती तो शायद पठानकोट, उरी, पुलवामा सहित कई आतंकी घटनाएँ शायद टल सकती थी। इसके लिए दो चीजों की ज़रुरत होती है- सेना की तैयारी और राजनीतिक इच्छाशक्ति। भारतीय सेना हमेशा से आतंकियों व आतंक के पोषकों पर कार्रवाई करने के लिए तैयार रही है, लेकिन अफ़सोस की बात यह है कि भारतीय शासकों की राजनीतिक इच्छाशक्ति ही इतनी कमज़ोर रही है कि एक शक्तिशाली और शौर्यवान सेना तक के हाथ बाँध कर रख दिए गए हैं।

मुंबई हमले के बाद भी लोगों में उतना ही आक्रोश था, जितना कि पुलवामा हमले के बाद देखने को मिला। उस हमले के बाद भी दोषियों पर कार्रवाई की माँग की गई थी, मगर उस समय के प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह ने तत्कालीन वायु सेना प्रमुख की सलाह को नज़रअंदाज़ कर दिया था। ये बातें स्वयं पूर्व वायुसेना प्रमुख ने रेडिफ को दिए गए इंटरव्यू में बताया था।

यहाँ पर गौर करने वाली बात यह है कि आख़िर क्या कारण थे कि तत्कालीन यूपीए सरकार ने आतंकियों पर कार्रवाई करने की ज़रूरत नहीं समझी। क्या डॉक्टर मनमोहन सिंह को इस बात का डर था कि आतंकियों पर किए गए किसी भी प्रकार के हमले का पाकिस्तान कड़ा प्रत्युत्तर दे सकता है? जैसा कि पूर्व वायुसेना प्रमुख ने बताया कि उन्हें पूर्ण युद्ध का डर था। अब इससे तो यही बात निकलकर सामने आती है कि या तो डॉक्टर सिंह को सेना की तैयारी पर भरोसा नहीं था या फिर सेना के पास उचित संसाधन की कमी थी। दोनों ही स्थितियों में दोषी सरकार ही थी क्योंकि यह राजनेताओं का कार्य होता है कि सेना की भावनाओं को समझ कर उनकी ज़रूरतों के अनुरूप निर्णय लें।

वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सेना में पूरा भरोसा दिखाते हुए उन्हें आतंकवादियों से लड़ने की खुली छूट दी और सेना ने भी अपने पराक्रम का पूर्ण परिचय दिया।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

केरल के सरकारी स्कूल में मन रहा था क्रिसमस, हिंदू कार्यकर्ताओं ने पूछा- जन्माष्टमी क्यों नहीं मनाते: टीचरों ने लगाया अभद्रता का आरोप, पुलिस...

केरल के एक सरकारी स्कूल में क्रिसमस मनाए जाने पर कुछ हिन्दू कार्यकर्ताओं ने सवाल उठाए। इसके बाद उन्हें पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।

जिन 3 खालिस्तानी आतंकियों ने गुरदासपुर पुलिस चौकी पर फेंके थे ग्रेनेड, उनका UP के पीलीभीत में एनकाउंटर: 2 एके-47 के साथ ग्रोक पिस्टल...

इस ऑपरेशन को यूपी और पंजाब पुलिस की संयुक्त टीम ने अंजाम दिया। मारे गए आतंकियों की पहचान गुरविंदर सिंह, वीरेंद्र सिंह उर्फ रवि और जसप्रीत सिंह उर्फ प्रताप सिंह के रूप में हुई है।
- विज्ञापन -