अपने देश विरोधी बयानों के चलते अक्सर विवादों में घिरे रहने वाले नेशनल कॉन्फ्रेंस के चेयरमैन फारूक अब्दुल्ला ने एक बार फिर से उसी मानसिकता का प्रदर्शन किया है। बुधवार (6 जुलाई, 2022) को श्रीनगर में उनसे जब पत्रकारों ने केंद्र सरकार के ‘हर घर तिरंगा’ अभियान को लेकर सवाल पूछा तो उन्होंने कश्मीरी में जबाव दिया, ‘तथैच पन्नी गेरे’ यानी कि तिरंगे को अपने घर में रखो।
फारूक अब्दुल्ला का ये बयान तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। इसको लेकर उनकी जमकर आलोचना की जा रही है। पूरा मामला कुछ यूँ है कि फारुक अब्दुल्ला श्रीनगर में एक दुकान पर गए थे। वहाँ से निकलते वक्त उनका सामना पत्रकारों से हुआ। इस दौरान उनसे विपक्ष के राष्ट्रपति उम्मीदवार यशवंत सिन्हा को लेकर सवाल किया गया। इसके जबाव में उन्होंने कहा कि 9 जुलाई को यशवंत सिन्हा खुद ही जम्मू-कश्मीर के दौरे पर आ रहे हैं और वो यहाँ एक प्रेस कॉन्फ्रेंस करेंगे। उसी दौरान सारी जानकारियाँ दी जाएँगी।
फिर क्या था, पत्रकारों ने केंद्र सरकार के ‘हर घर तिरंगा’ अभियान को लेकर उनसे सवाल पूछ लिया। इतना सुनना था कि आराम से पत्रकारों के सवालों का जबाव दे रहे फारूक अब्दुल्ला ने झट से कहा, तिरंगा अपने घर में रखो।’ इसके साथ ही वो तुरंत अपनी गाड़ी में बैठकर वहाँ से चले गए।
क्या है ‘हर घर तिरंगा’ अभियान
गौरतलब है कि आजादी के 75 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में केंद्र सरकार ने इसी साल 15 अगस्त के मौके पर ‘हर घर तिरंगा’ अभियान शुरू करने का फैसला किया है। केंद्र सरकार के संस्कृति मंत्रालय के इस अभियान के तहत देशभर के लोगों को अपने घरों पर तिरंगा फहराने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। इसी के तहत जम्मू-कश्मीर के ग्रामीण विभाग ने भी एक ऑर्डर जारी कर इस अभियान को सफल बनाने की अपील की है।
वो कौन सा झंडा उठाना चाहते हैं
फारूक अब्दुल्ला के बयान पर पलटवार करते हुए बीजेपी के प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा कि ये वही लोग हैं, जो पाकिस्तान के सुर में सुर मिलाते हैं और चीन से मिलकर अनुच्छेद 370 को फिर से बहाल करने की बातें करते हैं। तिरंगा नहीं उठाने की बातें करने वाले ही आतंकी बुरहान वानी और अफजल गुरू की बातें करते हैं।
बीजेपी प्रवक्ता ने कहा, “उनका कौन सा झंडा है? यह बात उनसे पूछी जानी चाहिए। यदि तिरंगा घर पर रखा जाए तो वह कौन सा झंडा उठाना चाहते हैं। लाल या हरा? यह उनसे पूछा जाना चाहिए। चुनाव आ रहे हैं और तुष्टिकरण की राजनीति चरम पर है। यह गुपकार गैंग अब गद्दार की तरह बात कर रहे हैं।”