उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के निधन के बाद सरकार व संगठन, दोनों ही उनके परिवार के साथ खड़ा रहा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए पहुँचे। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद अंतिम संस्कार की व्यवस्थाओं पर नजर बनाए हुए थे। राम मंदिर में उनके योगदान को लेकर हिन्दुओं ने उन्हें याद किया। अब कल्याण सिंह के बेटे राजवीर सिंह ने भी यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ का धन्यवाद दिया है।
राजवीर सिंह पिछले दो बार से एटा के सांसद हैं। ये वही सीट है, जहाँ से उनके पिता कल्याण सिंह ने 2009 में जीत दर्ज की थी। राजवीर सिंह ने फेसबुक पर लिखा, “एक ऐसे व्यक्तित्व, जो अपने पिता के निधन पर उत्तर प्रदेश सरकार की जिम्मेदारियों की व्यस्तता के चलते उनके अंतिम संस्कार में भी शामिल नहीं हुए। मुख्यमंत्री जी, आपने प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में नहीं, रामभक्त ‘बाबूजी’ के निधन के पश्चात 3 दिन उनके पार्थिव शरीर तथा दाह संस्कार तक साथ रहकर उनके बड़े बेटे का हक निभाया है।
राजवीर सिंह ने कहा कि इसके लिए वो, उनका परिवार तथा क्षेत्र की जनता सदैव मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ऋणी रहेगी। उन्होंने लिखा, “ऐसे योगी के लिए मैं नतमस्तक हूँ।” राजवीर सिंह ने तस्वीरें भी शेयर की, जिसमें दिखाया गया है कि कैसे सीएम योगी दिवंगत कल्याण सिंह के पार्थिव शरीर को लेकर अस्पताल से उनके आवास तक गए। फिर उन्होंने रात में ही दिवंगत आत्मा के लिए शांति पाठ भी शुरू करवाया।
कल्याण सिंह के पार्थिव शरीर को जब विधान भवन और फिर भाजपा के दफ्तर ले जाया गया, तब भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ उनके साथ रहे। फिर वो खुद अपनी देखरेख में दिवंगत नेता के पार्थिव शरीर को लेकर उनके पैतृक गाँव अलीगढ़ तक गए। अंतिम संस्कार की तैयारी को खुद ही पहले जाकर देखा। इतना ही नहीं, अंत्येष्टि में भी सीएम योगी ने परिवार के सदस्य की तरह हर परंपरा को निभाया।
इतना ही नहीं, योगी आदित्यनाथ ने ‘दैनिक जागरण’ में एक लेख के जरिए बताया कि कैसे ‘सुशासन की प्रतिमूर्ति’ कल्याण सिंह ने दो बार राज्य की सत्ता मिलने के दौरान जो बड़े फैसले लिए, उसका असर आज भी देखा जाता है। उन्होंने लिखा है कि लोकराज और ग्रामराज के पक्षधर कल्याण सिंह व्यवस्था के संचलान में हनक व धमक के प्रयोगधर्मी थे। उन्होंने लिखा है कि कल्याण सिंह के निर्णय मेरिट के आधार पर होते थे।
सीएम योगी ने इस लेख में लिखा है, “कल्याण सिंह की शासन व्यवस्था का मूल मंत्र था- भयमुक्त, भ्रष्टाचारमुक्त और दंगारहित प्रदेश। उनके कुछ महत्वपूर्ण निर्णय नजीर बने। उनमें से एक है संगठित अपराध और माफिया का खात्मा। कानून-व्यवस्था का उनका ‘कल्याण मॉडल’ आज भी लोकप्रिय है। इसी मॉडल के तहत उनके पहले कार्यकाल में 1200 से अधिक अपराधी जेल भेजे गए थे। इसे और सशक्त बनाने के लिए उन्होंने 1998 में उत्तर प्रदेश पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स यानी STF बनाकर एक नए अध्याय की शुरुआत की थी।”