Saturday, November 16, 2024
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हरियाणा सरकार ने रद्द किया राहुल गाँधी के जीजा रॉबर्ट वाड्रा की रियल एस्टेट फर्म का लाइसेंस, ये है मामला

साल 2008 में जब हरियाणा में कॉन्ग्रेस की सरकार थी, तब रॉबर्ड वाड्रा को यह लाइसेंस दिया गया था। अब टाउन एंड कंट्री प्लानिंग, हरियाणा के डायरेक्टर की तरफ से यह कार्रवाई की गई है।

हरियाणा की भाजपा सरकार ने कॉन्ग्रेस नेता राहुल गाँधी के जीजा और प्रियंका गाँधी के पति रॉबर्ट वाड्रा के एक प्रोजेक्ट का लाइसेंस रद्द कर दिया है। सत्ता में आने के 8 साल बाद भाजपा सरकार ने यह कार्रवाई की है। भाजपा की हरियाणा सरकार ने गुरुग्राम में बनाए जा रहे स्काईलाइट हॉस्पिटालिटी प्राइवेट लिमिटेड का रियल एस्टेट लाइसेंस कैंसल कर दिया है।

साल 2008 में जब हरियाणा में कॉन्ग्रेस की सरकार थी, तब रॉबर्ड वाड्रा को यह लाइसेंस दिया गया था। अब टाउन एंड कंट्री प्लानिंग, हरियाणा के डायरेक्टर की तरफ से यह कार्रवाई की गई है। लाइसेंस रद्द करने का आदेश 9 मार्च को दिया गया था।

साल 2012 में स्काई लाइट ने कमर्शियल कॉलोनी बनाने का यह लाइसेंस 58 करोड़ रुपए में रियल एस्टेट कंपनी DLF को बेच दिया गया था। इतना ही नहीं नियमों का उल्लंघन कर गुरुग्राम के वजीराबाद में डीएलएफ को 350 एकड़ जमीन बेचने का भी आरोप है। बता दें कि रियल एस्टेट डेवलपमेंट लाइसेंस से किसी को रिहाइशी, कमर्शियल या इंडस्ट्रियल कॉलोनी बनाने का अधिकार मिल जाता है। 2012 में भी यह लैंड डील काफी विवाद में थी।

आईएएस अशोक खेमका ने 15 अक्टूबर 2012 को स्काईलाइट के 3.35 एकड़ के म्यूटेशन को रद्द कर दिया था। इसके बाद यह मामला चर्चा में आ गया। हालाँकि, म्यूटेशन को रद्द करने के उनके आदेश को गुरुग्राम राजस्व प्रशासन द्वारा कभी भी प्रभावी नहीं किया गया। 25 अप्रैल, 2014 को गुरुग्राम के डिप्टी कमिश्नर ने कहा कि म्यूटेशन की स्थिति में कोई बदलाव नहीं हुआ और यह डीएलएफ को जमीन का मालिक बताता है। 

हरियाणा में 2014 में जब भाजपा सरकार आई तो हुड्डा सरकार की तरफ से रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी को दिए गए लाइसेंस पर खूब घेराबंदी हुई। अब विभाग ने लाइसेंस रद्द कर दिया है। अब उस जमीन पर कोई भी निर्माण कार्य नहीं हो सकेगा। दरअसल हुड्डा सरकार ने काफी सस्ती कीमत में यह जमीन रॉबर्ट वाड्रा को दी थी लेकिन बाद में इसे बड़ी कीमत में डीएलएफ को बेच दिया गया।

हरियाणा सरकार ने जस्टिस एसएस ढींगरा की अध्यक्षता में एक आयोग का गठन किया था। इस जाँच की रिपोर्ट सरकार को काफी पहले सौंप दी गई थी। कोर्ट ने आयोग की रिपोर्ट को सार्वजनिक करने पर रोक लगाई थी। स्काईलाइट ने जब जमीन डीएलएफ को बेची तो नए टाइटल के साथ स्क्रूटनी फीस जमा की गई और सरकार के पास आवेदन किया गया।

2012 में कॉलोनी की बिल्डिंग बनाने का प्लान अप्रूव हुआ था। 2017 तक प्रोजेक्ट कंप्लीट होना था। डीएलएफ लाइसेंस रिन्यू करवाना चाहता था। जब ऐसा नहीं हुआ तो 2011 में नए लाइसेंस के लिए आवेदन किया गया। 2012 में तत्कालीन डीजी अशोक खेमका ने म्यूटेशन रद्द कर दिया। 

अब DLF ने इस मामले में टाउन एंड कंट्री प्लानिंग के अतिरिक्त मुख्य सचिव के समक्ष अपील दायर की है, जिसमें रद्द करने के आदेश को चुनौती दी गई है। डीएलएफ ने सरकार को भेजे पत्र में कहा कि लाइसेंस के नवीनीकरण के लंबित रहने के कारण विकास कार्य पूरा नहीं हो सका। लाइसेंस के ट्रांसफर के लिए आवश्यक चार्ज और शुल्क के साथ एक आवेदन भी जमा किया गया था। 

उल्लेखनीय है कि वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटेलिटी 2007 में एक लाख रुपए से शुरू हुई थी। 2008 में स्काईलाइट ने सेक्टर 83 में आंकारेश्वर प्रॉपर्टीज से 7.5 करोड़ रुपए में 3.5 एकड़ जमीन खरीदी थी। आरोप है कि कॉमर्शियल कॉलोनी का लाइसेंस मिलते ही स्काईलाइट ने जमीन 58 करोड़ में डीएलएफ को बेच दी। इसको लेकर वाड्रा और हुड्डा के खिलाफ FIR भी दर्ज हुई थी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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