पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर के गिलगित-बाल्टिस्तान में हाल ही में बौद्ध कलाकृतियों को नुकसान पहुँचाने और उन पर पाकिस्तानी झंडे उकेरने की घटना के बाद भारतीय विदेश मंत्रालय ने इसे लेकर पाकिस्तान को फटकार लगाने के साथ ही चिंता व्यक्त करते हुए पाकिस्तान से जल्द से जल्द PoK के सभी अवैध कब्जे वाले क्षेत्रों को खाली करने की सलाह दी है।
We have conveyed our strong concern at reports of vandalism, defacement and destruction of invaluable Indian Buddhist heritage located in so-called “Gilgit-Baltistan” area of the Indian territory under illegal and forcible occupation of Pakistan: Anurag Srivastava, MEA pic.twitter.com/cCWBad5EHi
— ANI (@ANI) June 3, 2020
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव (Anurag Srivastava, spokesperson, MEA) ने पाकिस्तान द्वारा अवैध रूप से कब्जाए गए भारतीय इलाके गिलगित-बाल्टिस्तान में बौद्ध हैरिटेज को नुकसान पहुँचाए जाने पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि यह काफी चिंता की बात है कि बौद्ध निशानियों को नष्ट किया जा रहा है और भारतीय क्षेत्र पर पाकिस्तान के अवैध कब्जे के बाद धार्मिक और सांस्कृतिक स्वतंत्रता को ऐसे खत्म किया जा रहा ।
उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र भारत के हिस्से में आता है लेकिन पाकिस्तान ने इस पर अवैध रूप से कब्जा कर रखा है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि प्राचीन सभ्यता और सांस्कृतिक विरासतों का अपमान करने वाली ऐसी घटनाएँ निंदनीय हैं। हमने इस अमूल्य पुरातात्विक धरोहर को दोबारा स्थापित करने के लिए और इसे संरक्षित करने के लिए विशेषज्ञों से माँग की है कि वह तत्काल वहाँ पहुँचें।
उल्लेखनीय है कि कुछ ही दिन पहले गिलगित-बाल्टिस्तान के चिलास इलाके में 800 ईसवी की बौद्ध शिलाओं और कलाकृतियों को क्षतिग्रस्त कर उन पर पाकिस्तानी झंडे उकेरे गए थे। ये नक्काशियाँ और कलाकृतियाँ पुरातत्व की दृष्टि से बहुत अहम हैं।
विदेश मंत्रालय ने सख्त चेतवानी देते हुए कहा – “हमने पाकिस्तान से एक बार फिर कहा है वह अवैध रूप से कब्जा किए सभी क्षेत्रों को तत्काल रूप से खाली कर दे और वहाँ रहने वाले लोगों के सांस्कृतिक, आर्थिक और राजनीतिक अधिकारों का उल्लंघन करना बंद करे।”
दिआमेर-ब्हाशा बाँध बनाना चाहता है पाकिस्तान
स्थानीय लोग काफी लम्बे समय से इन बौद्ध कलाकृतियों के संरक्षण की माँग कर रहे हैं। ये कलाकृतियाँ इन्हीं स्थानीय लोगों द्वारा ढूँढी भी गईं थीं। इन कलाकृतियों को नुकसान पहुँचाने के पीछे एक प्रमुख वजह चीन के खर्चे पर पाकिस्तान द्वारा तैयार किया जाने वाला दिआमेर-ब्हाशा बाँध बताया जा रहा है।
बौद्ध प्रतीकों को नष्ट करने की ऐसी घटना इससे पहले 2001 में सामने आई थी, जब बुद्ध की नक्काशीदार प्रतिमा को नष्ट कर दिया गया था। कई सालों तक किसी ने भी तालिबान के डर से इस प्रतिमा को दोबारा बनाने की कोशिश नहीं की। यह बलुआ पत्थर की प्राचीन प्रतिमा कभी विश्व में बुद्ध की सबसे ऊँची मूर्ति हुआ करती थी।
गत 13 मई को ही पाकिस्तान सरकार ने चीन की एक कंपनी के साथ बाँध निर्माण के लिए 442 बिलियन रुपए की डील साइन की। इसके बाद से इस मुद्दे को लेकर विवाद छाया हुआ है। बताया जा रहा है कि इस बाँध के निर्माण से यहाँ पर मौजूद 50 गाँव डूब जाएँगे।
14 मई को, भारत ने गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र में बाँध बनाने के पाकिस्तान और चीन के फैसले का विरोध किया था। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा था कि गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र जम्मू-कश्मीर का हिस्सा है और पाकिस्तान द्वारा अवैध रूप से कब्जा कर लिया गया था।
भारत ने इस परियोजना पर चीन और पाकिस्तान दोनों के साथ अपने विरोध और चिंताओं को साझा किया है। इससे पहले, भारत ने चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (Economic Corridor) के हिस्से के रूप में पीओके में परियोजनाओं का विरोध किया है।
कई स्थानीय मुस्लिम भी सोशल मीडिया पर इस बाँध के निर्माण का विरोध कर रहे हैं। इनका कहना है कि वे एक समृद्ध विरासत के नष्ट होने से दुखी हैं, क्योंकि बाँध बनने के साथ ही ‘इंडिक इतिहास’ की संपत्ति भी पानी में डूब जाएगी।