Thursday, November 14, 2024
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CM जगन रेड्डी ने अपने मामा को बनाया तिरुपति तिरुमला ट्रस्ट का अध्यक्ष, लोगों ने चढ़ाई भौंहें

रेड्डी ने कहा कि जगन ने उन्हें राज्यसभा भेजने का आश्वासन दिया है और तब तक देवस्थानम बोर्ड का अध्यक्ष पद सँभालने को कहा है। बोर्ड ने इससे पहले मंदिर में विभिन्न पदों पर काम कर रहे नॉन-हिन्दुओं को निकालने का निर्णय लिया था.....

आन्ध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने अपने मामा वाई वी सुब्बा रेड्डी को तिरुपति तिरुमला देवस्थानम ट्रस्ट बोर्ड (TTD) के अध्यक्ष पद पर नियुक्त किया है। इस नियुक्ति के बाद लोगों ने और राजनीतिक गलियारों के व्यक्तियों ने कई सवाल खड़े किए। मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी और उनका परिवार इसाई धर्म में विश्वास रखता है और इसाई तौर-तरीकों का प्रैक्टिस करता है। बता दें कि वेंकटेश्वर मंदिर का प्रबंधन देखने वाला टीटीडी भारत के सबसे अमीर मंदिर ट्रस्टों में से एक है। पूर्व सांसद सुब्बा रेड्डी ने साफ़ किया है कि वे जगन के माँ के घर से हैं और हिन्दू हैं।

2009 में जब जगन के पिता और तत्कालीन मुख्यमंत्री राजशेखर रेड्डी की एक हैलिकॉप्टर दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी। उनके द्वारा भी देवस्थानम बोर्ड में की गई नियुक्तियों पर सवाल खड़े हुए थे। कई लोगों का मानना था कि रेड्डी मंदिर बोर्ड का ईसाईकरण कर रहे हैं। 2006 में गोल्ड किन स्कैंडल भी सामने आया था। 2012 में जगन मोहन रेड्डी ने बिना डिक्लेरेशन फॉर्म भरे मंदिर में एंट्री की थी, जिसके बाद बवाल खड़ा हो गया था (इस फॉर्म को भरना नॉन-हिन्दुओं के लिए आवश्यक है)। टीटीडी ने सफाई में कहा था कि जगन को तिरुपति भगवान में विश्वास है और इसीलिए यह अनिवार्य नहीं है।

इस वाकए के बाद जनसेना के अध्यक्ष और तेलुगु अभिनेता पवन कल्याण ने कहा था कि जगन ने चप्पल-जूते पहन कर मंदिर में प्रवेश किया है, इसीलिए उन्हें सत्ता कभी नहीं मिल सकती है। टीटीडी के मुख्य पुजारी रहे रमना दिक्षितुलू को वाइएसआर परिवार का करीबी माना जाता था। उन्हें चंद्रबाबू नायडू की सरकार के दौरान वित्तीय अनियमितताओं के आरोपों के कारण हटा दिया गया था। उन्होंने दावा किया था कि मंदिर के किचेन की खुदाई के बाद मैसूर के राजा द्वारा दिया गया गुलाबी हीरा मिला था, जिसका कुछ पता नहीं चला।

उन्होंने यह भी आरोप लगाया था कि टीटीडी नायडू परिवार द्वारा संचालित हेरिटेज समूह से दूध ख़रीद रहा है। जगन रेड्डी ने शपथ ग्रहण से पहले तिरुमाला जाकर स्वामी वेंकटेश की ख़ास पूजा की थी। अभी कुछ दिनों पहले टीटीडी की सदस्य सुधा मूर्ति ने इस्तीफा दे दिया था। सुधा मूर्ति ने अपने इस्तीफे की कोई वजह नहीं बताई थी। वह इनफ़ोसिस फाउंडेशन की अध्यक्ष रही है। उन्होंने कहा कि अगर नई सरकार उन्हें बुलाती है, तो वह फिर अपनी सेवा देने के लिए तैयार हैं। हालाँकि, नए अध्यक्ष सुब्बा रेड्डी ने कहा है कि वे शत प्रतिशत हिन्दू हैं और सबरीमाला मंदिर में दर्शन करने भी जाते रहते हैं।

रेड्डी ने कहा कि जगन ने उन्हें राज्यसभा भेजने का आश्वासन दिया है और तब तक देवस्थानम बोर्ड का अध्यक्ष पद सँभालने को कहा है। बोर्ड ने इससे पहले मंदिर में विभिन्न पदों पर काम कर रहे नॉन-हिन्दुओं को निकालने का निर्णय लिया था लेकिन हाईकोर्ट ने कहा था कि इन्हें सिर्फ़ इसीलिए नहीं निकाला जा सकता क्योंकि वे मुस्लिम या इसाई हैं। अगले आदेश तक हैदराबाद हाईकोर्ट ने यथास्थिति बरकरार रखने को कहा था। राज्य में टीटीडी अध्यक्ष का पद बहुत मायने रखता है और उसे कैबिनेट का दर्जा प्राप्त है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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