भारतीय संसद के दोनों सदनों लोकसभा और राज्यसभा में अक्सर देखा जाता है कि नेता एक दूसरे पर सियासी हमला करते वक्त अक्सर अमर्यादित शब्दों का इस्तेमाल कर जाते हैं। नेता एक दूसरे को जुमलाजीवी, बाल बुद्धि सांसद, शकुनि, जयचंद, विनाश पुरुष जैसे शब्दों का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन अब से ऐसा करने पर इन शब्दों को असंसदीय माना जाएगा।
वहीं लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि इन शब्दों के बोलने पर प्रतिबन्ध नहीं है बस उस प्रक्रिया में जब भी संसद में संवाद के दौरान कोई सदस्य किसी चर्चा के दौरान किसी शब्द का इस्तेमाल करते हैं तो जो पीठासीन अधिकारी होते हैं वो उसे असंसदीय घोषित करते हैं। हम उसका संकलन करते हैं। पहले इसकी किताब निकाली जाती थी, लेकिन कागज का उपयोग कम हो, इसके लिए इस बार ऑनलाइन निकाला गया है।
क्या उन्होंने (विपक्ष) 1,100 पन्नों की इस डिक्शनरी (असंसदीय शब्दों को मिलाकर) को पढ़ा है, अगर वे गलतफहमियां नहीं फैलाते…यह 1954…1986, 1992, 1999, 2004, 2009, 2010 में जारी की गई थी। 2010 से सालाना आधार पर रिलीज हो रही है: लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला pic.twitter.com/fbAH44inAn
— ANI_HindiNews (@AHindinews) July 14, 2022
ओम बिरला ने कहा है कि ये लोकसभा की एक पुरानी प्रक्रिया है। ऐसे में ये बताना जरुरी है कि किसी भी शब्द को बैन नहीं किया गया है। उन्होंने बताया कि साल 1954, 1986, 1992, 1999, 2004, 2009 में भी संकलन निकाला गया है। साल 2010 के बाद वार्षिक रूप से ये संकलन निकलने लगा है।” उन्होंने कहा कि किसी भी सदस्य को बोलने का अधिकार कोई नहीं छीन सकता है, लेकिन मर्यादित चर्चा होनी चाहिए।
कोई शब्द प्रतिबंधित नहीं है, उन शब्दों को हटा दिया है जिन पर पहले आपत्ति की गई थी: लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, दिल्ली
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सदन में असंसदीय शब्दों के इस्तेमाल को लेकर लोकसभा सचिवालय ने हाल ही में एक पुस्तिका जारी की है। जिसमें उन शब्दों को सूचीबद्ध किया गया है, जिनका संसद के दोनों सदनों में उपयोग अब असंसदीय माना जाएगा। बुकलेट के मुताबिक, ‘अराजकतावादी’, ‘शकुनि’, ‘तानाशाही’, ‘तानाशाह’, ‘जयचंद’, ‘विनाश पुरुष’, ‘खालिस्तानी’ और ‘खून से खेती’ जैसे शब्दों का प्रयोग होने पर उन्हें कार्यवाही से हटा दिया जाएगा।
संसद की बुकलेट में शामिल किए गए असंसदीय शब्द
संसद में असंसदीय करार दिए गए शब्दों में शर्मिंदा, दुर्व्यवहार, भ्रष्ट, नाटक, पाखंड, अक्षम, दोहरा चरित्र, निकम्मा, नौटंकी, ढिंडोरा पीटना, बहरी सरकार, रक्तपात, खूनी, विश्वासघात, शर्मिंदा, दुर्व्यवहार, धोखा, चमचा, चमचागीरी, चेला, बचकाना, भ्रष्ट, कायर, अपराधी, मगरमच्छ के आँसू, अपमान, गधा, नाटक, चक्कर, धोखा, गुंडागर्दी, पाखंड, भ्रामक, झूठ, असत्य, अराजकतावादी, गदर, गिरगिट, गुंडे, घड़ियाली आँसू, अपमान, असत्य, अहंकार, भ्रष्ट, काला दिन, काला बाजार और खरीद फारोख्त जैसे शब्द लोकसभा सचिवालय द्वारा जारी पुस्तिका में असंसदीय के रूप में शामिल किए गए हैं।
बुकलेट पर आक्रामक हुआ विपक्ष
इस बुकलेट पर प्रतिक्रिया देते हुए कॉन्ग्रेस नेता राहुल गाँधी ने सरकार पर निशाना साधते हुए ट्वीट किया। उन्होंने न्यू इंडिया पर तंज कसते हुए लिखा, “न्यू इंडिया की न्यू डिक्शनरी, असंसदीय का मतलब चर्चा और बहस में इस्तेमाल होने वाले शब्दों से है, जो पीएम के कामकाज का सही वर्णन करता है, जिसे अब बोलने पर रोक लगा दी गई है।” उन्होंने लिखा, “जुमलाजीवी तनाशाह ने अपने झूठ और अक्षमता का खुलासा होने पर मगरमच्छ के आँसू बहाए।”
New Dictionary for New India. pic.twitter.com/SDiGWD4DfY
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) July 14, 2022
राहुल गाँधी के अलावा डेरेक ओ ब्रायन, महुआ मोइत्रा, प्रियंका चतुर्वेदी सहित विपक्षी नेताओं ने भी इस बुकलेट को लेकर मोदी सरकार आलोचना की है। टीएमसी सांसद डेरेक ओब्रायन ने कहा, “सत्र कुछ दिनों में शुरू होने वाला है। सांसदों पर जारी इस आदेश के बाद अब हमें संसद में भाषण देते समय इन मूल शब्दों का उपयोग करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। शर्मिंदा, दुर्व्यवहार, विश्वासघात, भ्रष्ट, पाखंड, अक्षम आदि मैं इन सभी शब्दों का प्रयोग करूँगा, मुझे निलंबित करें। लोकतंत्र के लिए लड़ूँगा।”
Session begins in a few days
— Derek O’Brien | ডেরেক ও’ব্রায়েন (@derekobrienmp) July 14, 2022
GAG ORDER ISSUED ON MPs.
Now, we will not be allowed to use these basic words while delivering a speech in #Parliament : Ashamed. Abused. Betrayed. Corrupt. Hypocrisy. Incompetent
I will use all these words. Suspend me. Fighting for democracy https://t.co/ucBD0MIG16
वहीं शिवसेना सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा, “चूँकि इन शब्दों को बोलना असंसदीय माना जाएगा, बस इसे वाह मोदी जी वाह के साथ यहीं छोड़ दें।” टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने कहा, “बैठ जाइए, बैठ जाइए, प्रेम से बोलिए। संसद के लिए असंसदीय शब्दों की नई सूची में संघी शामिल नहीं है। सरकार विपक्ष द्वारा इस्तेमाल किए गए उन सभी शब्दों को बैन कर रही है जो ये बताते हैं कि भाजपा कैसे भारत को नष्ट कर रही है।”
क्या होता है असंसदीय शब्द
गौरतलब है कि असंसदीय शब्द को संसद की लिस्ट में साल 1999 में शामिल किया गया था। उस दौरान एक बुकलेट तैयार की गई थी, जिसका नाम असंसदीय अभिव्यक्ति रखा गया था। उसमें ऐसे कई शब्द शामिल किए गए थे, जिन्हें असंसदीय अभिव्यक्ति माना गया था।
संविधान के अनुच्छेद 105 (2) में स्पष्ट लिखा गया है कि दोनों सदनों के सांसदों को इस तरह की आजादी नहीं है कि वो ऐसे असंसदीय शब्दों का इस्तेमाल करें। उल्लेखनीय है कि 18 जुलाई से संसद का मानसून सत्र शुरू होगा।